सोमवार, 21 जनवरी 2013

संघ की शाखाएं कम क्‍यों हो गई हैं

        मध्‍यप्रदेश में पिछले नौ सालों में राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ की गतिविधियों का लगातार विस्‍तार हुआ है। ऐसा कोई महीना नहीं गुजरता है, जब संघ परिवार के कार्यक्रम राज्‍य के किसी न किसी हिस्‍से में न होते हो। आज से दो दशक पहले संघ परिवार का पथ संचलन कार्यक्रम सिर्फ दशहरा पर्व पर होता था, लेकिन अब तो संघ का पथ संचलन कभी भी और कहीं भी हो रहा है। इसके पीछे संघ के वरिष्‍ठ पदाधिकारी यह तर्क देते हैं कि पथ संचलन का कार्यक्रम की कोई गाइड लाइन नहीं है इसलिए यह कार्यक्रम अब लगातार हो रहे हैं। संघ परिवार के कार्यक्रम तो हो ही रहे है पर उसके अनुषांगिक संगठनों के कार्यक्रम भी थम नहीं रहे हैं। यानि संघ परिवार का विस्‍तार होना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी संघ परिवार की शाखाएं लगातार कम हो रही है इस पर संघ परिवार चिंतन भी कर रहा है। राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ के सहसरकार्यवाह दत्‍तात्रेय होसवाले ने भी 20 जनवरी, 2013 को बै‍रसिया में भी मध्‍य प्रांत की दो दिनों की बैठक के बाद हिन्‍दू सम्‍मेलन में संघ की शाखाएं लगातार कम होने पर चिंता जाहिर की। उन्‍होंने तो यहां तक कहा कि काम बढ़ने से संघ का मूल भाव पूछे छूटता जा रहा है। यदि एक भी शाखा बंद होती है, तो उसके काम का असर पूरे संघ पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में शाखा किसी भी स्थिति में बंद नहीं होना चाहिए। निश्‍चित रूप से मध्‍यप्रदेश में संघ परिवार के कार्यक्रमों की श्रृंखला बढ़ी है फिर शाखाओं का कम होना चिंताजनक पहलू है। 
मध्‍यप्रदेश को प्रयोगशाला बनाया संघ परिवार ने : 
           संघ परिवार की विचारधारा को पुष्पित और पल्वित करने के लिए राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ ने मध्‍यप्रदेश को एक प्रयोगशाला के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इस राज्‍य में बीते नौ साल में भाजपा सरकार ने संघ परिवार की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए करीब दो दर्जन से अधिक योजनाएं जमीन पर उतारी है और उनका क्रियान्‍वयन किया है। यहां तक कि योजनाओं का नामकरण भी संघ परिवार की विचारधारा और हिन्‍दुत्‍व पर केंद्रित है। संघ परिवार की गतिविधियों का विस्‍तार चौंकाने वाला है। वही दूसरी ओर संघ परिवार के मुखिया मोहन भागवत लगातार मप्र में ढेरा डाल रहे हैं, उनके कार्यक्रम हो रहे हैं, मालवांचल और महाकौशल में संघ परिवार ने अपना काम ज्‍यादा फोकस किया है। इसी के बहाने हिन्‍दु सम्‍मेलन भी हो रहे हैं। संघ परिवार की बढ़ती सक्रियता से भाजपा की परेशानी होना स्‍वाभाविक है। भाजपा में कई नेता ऐसे भी है जिनकी पृष्‍ठभूमि संघ परिवार से जुड़ी हुई नहीं है, तो उन्‍हें परेशानियां होना स्‍वाभाविक है, लेकिन 90 प्रतिशत नेता संघ परिवार में काम करने के बाद ही भाजपा में बड़े पदों पर हैं। जहां एक ओर केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 20 जनवरी, 2013 को जयपुर में यह कहकर चौंका दिया हैकि भाजपा और संघ परिवार भगवां आतंकवाद बढ़ा रहे हैं। इस पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने तो शिंदे को बधाई देते हुए कहा है कि जो बात मैं 11 साल से कह रहा हूं उसकी तस्‍दीक हो गई है। मप्र में भगवा आतंकवाद के आरोप में शामिल कुछ लोगों को समझौता एक्‍सप्रेस, मक्‍का मस्जिद तथा मालेगांव विस्‍फोट में एएनआई ने गिरफ्तार भी किया है। कई मामले चल रहे हैं।
क्‍या-क्‍या बोले होसबोले : 
        संघ परिवार के सहसरकार्यवाह दत्‍तात्रेय होसबोले ने बै‍रसिया में स्‍वीकार किया है कि संघ और उनके अनुषांगिक संगठनों में गतिरोध आ गया है। यह संगठन आपस में सम्‍मान और सदभाव बनाये रखे यही उसकी ताकत हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि संघ में भीड़ बढ़ती जा रही है, लेकिन संगठन का विस्‍तार नहीं हो रहा है। संघ का काम मैकेनिकल नहीं है, बल्कि लोगों के बीच भावनात्‍मक रूप से एक-दूसरे के प्रति सम्‍मान, आत्‍मीयता और सदभाव के साथ काम करनेी आवश्‍यकता है। तभी संघ का विस्‍तार हो सकेगा। संघ का काम केवल शाखा में मौजूद रहना भर नहीं है, बल्कि एक घंटे की शाखा लगने के बाद स्‍वयं सेवकों को लोगों के बीच मौजूद रहना होगा, तभी संघ का विस्‍तार होगा। उन्‍होंने कहा कि काम बढ़ने से संघ का मूलभाव पीछे छूटता जा रहा है। संघ सांप्रदायिक संगठन नहीं है, बल्कि हिन्‍दुओं को संगठित करने वाला संगठन है। आज देश में हिन्‍दुओं की संख्‍या घट रही है। दूसरे धर्म के लोग कमजोर हिन्‍दुओं को धर्म परिवर्तन कराने में जुटे हुए हैं। धर्मान्‍तरण का कूचक्र रचा जा रहा है, गाय को काटकर हिन्‍दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। उन्‍होंने कहा कि कुंभकरन की नींद से हिन्‍दुओं को जागना चाहिए और हिन्‍दुओं को एक होने की जरूरत है। 
                                   ''जय हो मप्र की''
   

2 टिप्‍पणियां:

  1. Finally someone noticed the thing. When ever person like me post the same in facebook , I get gaali or dhamki or pity as if membership of RSS has nothing to worry. RSS sevaks are in self denial mode of this fact.

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