सोमवार, 12 सितंबर 2011

सुषमा स्‍वराज के इलाकों में तालाब बने गांव

   लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज मध्‍यप्रदेश के विदिशा संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्‍व करती है, पर इन दिनों उनके क्षेत्र के विभिन्‍न गांव बाढ की विभीषका से जूझ रहे हैं। तालाब गांव बन गये हैं, जोरदार बारिश ने जन-जीवन अस्‍त-व्‍यस्‍त कर दिया है। ग्राम साचेत में नदी का पानी भरने से ग्रामीणजन परेशान हो रहे है। गांव में गले-गले तक पानी भर गया है। महिलाओं को पीने का पानी कुओं से लाने के लिए गले तक भरे पानी से गुजरना पड रहा है। इससे पहले यह सूचना आई थी कि इन इलाकों के बच्‍चे बारिश के दौरान जब नदी-नालों में पानी उफान पर होता है, तब स्‍कूल जाने के लिए रस्‍सी बांध कर पानी पार करना पडता है। यह आलम जब मध्‍यप्रदेश में भाजपा सरकार होने के बाद भी नेताप्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज के संसदीय क्षेत्र में है, तो फिर राज्‍य के अन्‍य हिस्‍सों में क्‍या स्थिति बारिश के दौरान बनी होगी यह आसानी से समझा जा सकता है।
 ''जय हो मध्‍यप्रदेश की''

शनिवार, 10 सितंबर 2011

खुशी जाहिर करने का जरिया 'ऩत्‍य'

          खुशी और उत्‍सव जाहिर करने का जरिया  'ऩत्‍य' है। मध्‍यप्रदेश में ऩत्‍य को लेकर संस्‍क़ति विभाग समय-समय पर आयोजन करता है, लेकिन राज्‍य की प्रतिभाएं राष्‍ट्रीय स्‍तर पर उभर नहीं पा रही हैं। खजुराहो महोत्‍सव तो ऩत्‍य पर ही फोकस होता है। ऩत्‍य एक मुक्ति है, उर्जा का गतिमान वलय है, भीतर के दुखों का विरेचन है। सर्वोच्‍च के सम्‍मुख संपूर्ण समर्पण है। लोग कभी अपने प्रेम को दर्शाने के लिए ऩत्‍य करते, तो कभी अपने डर को, कभी हमारी आशाएं इसका रूप बनती है, तो कभी-कभी हमारी कल्‍पनाएं इसको जन्‍म देती है। ध्‍वनि, रोशनी, रंग और ताल के मेल से बनी यह कला। हमारी भावनाओं का व्‍यक्‍त करने का एक बहुत ही सुंदर माध्‍यम है। असल में ऩत्‍य तो व्‍यक्ति की आत्‍मा की गति है। 108 प्रकार के शास्‍त्रीय ऩत्‍य नाटयशास्‍त्र से उभर हैं, जो कि योग की भंगिमाएं हैं। भगवान शिव को भारतीय ऩत्‍य का गुरू माना गया है। इसलिए उन्‍हें नटराज भी कहा जाता है, पर मध्‍यप्रदेश में अभी ऩत्‍य पर काफी काम होना बाकी है।

गुरुवार, 1 सितंबर 2011

मध्‍यप्रदेश : घर-घर में मंगलमूर्ति के जयकारे

मध्‍यप्रदेश में घर-घर और गली-गली में मंगलमूर्ति जय गणेश देवा के जयकारे गुरूवार से गूंजने लगे हैं। घर-घर में गणेशजी के आगमन के साथ ही उत्‍सव और त्‍यौहारों का सिलसिला शुरू हो गया। यूं तो राज्‍य के हर हिस्‍से में गणेश उत्‍सव की धूम है, विशेषकर मालवा अंचल में गणेश पर्व जोर-शोर से मनाया जाता है। इसकी झलक अब शहरों और कस्‍बों में भी दिखने लगी है। मीडिया ने  गणेश उत्‍सव को जीवन प्रबंधन के गुरू के रूप में वैलकम किया। गणेश उत्‍सव के पहले दिन दैनिक समाचार पत्रों में लिखा है कि यह उत्‍सव सिर्फ अध्‍यात्‍म और आराधना ही नहीं है,बल्कि शुद्व आचरण, बुद्वि, सामंजस्‍य, सामाजिक सदभाव और जीवन प्रबंधन भी हैं। वैसे तो गणेश उत्‍सव पर्व वर्षों से मनाया जा रहा है। दिन प्रतिदिन इस पर्व में व्‍यवसायिकता और बाजारवाद की झलक भी दिखने लगी है, लेकिन गणेश उत्‍सव और उत्‍सव से मानने का चलन का कारवा बढता ही जा रहा है। गणपति बप्‍पा मोरया।