रविवार, 31 मार्च 2013

और विकास दर में छलांग लगाई

         आंकड़ों की बाजीगिरी का खेल नौकरशाही खेलने में माहिर हैं। जब-जब आंकड़ों पर जब पैंतरेबाजी होती है, तो फिर बहस भी लंबी चलती है। मप्र के खातों में दिन प्रतिदिन उपलब्धियां बढ़ती ही जा रही हैं। अब विकासदर के मामले में मध्‍यप्रदेश ने ऊंची छलांग लगाई है। यहां तक कि बिहार को भी पीछे छोड़ दिया है। विकास के मामले में मध्‍यप्रदेश को 2000 के दशक तक बीमारू राज्‍य की संज्ञा दी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे प्रदेश इस बीमारी से बाहर निकल आया है। अब तो मप्र विकास के मामले में कई राज्‍यों से एक कदम आगे बढ़ने के लिए मोर्चा खोल चुका है। वर्ष 2012-13 में मप्र की आर्थिक विकास दर 10.02 और कृषि विकास दर 14.28 प्रतिशत रहने का अनुमान है। आर्थिक विकासदर के मामले में मध्‍यप्रदेश देश के बड़े राज्‍यो में शुमार हो गया है, हालांकि आर्थिक विकास में पौने दो और कृषि विकास की दर में दो प्रतिशत की कमी आई है। बीते साल यह 11.81 और 18.91 फीसदी थी, जबकि अभी गुजरात और महाराष्‍ट्र जैसे विकसित राज्‍यों के आंकड़े आना बाकी है। केंद्र सरकार द्वारा जारी विकास अनुमानों के अनुसार वर्ष 2012-13 में मध्‍यप्रदेश की कृषि विकास दर 14.28 प्रतिशत और आर्थिक विकास 10.02 होगी। वर्ष 2011-12 में बिहार की विकास दर सबसे ज्‍यादा 13.26 प्रतिशत और मध्‍यप्रदेश की विकास दर 11.81 प्रतिशत थी। इसी प्रकार मध्‍यप्रदेश में प्रतिव्‍यक्ति आय में लगातार इजाफा हो रहा है। वैसे तो अभी भी हम छत्‍तीसगढ़ से पीछे हैं। प्रतिव्‍यक्ति आय बढ़ाने में सरकार तो पहल कर ही रही है, लेकिन आम आदमी को भी इस दिशा में आगे आना होगा, तभी प्रतिव्‍यक्ति आय में इजाफा हो पायेगा। मप्र में वर्ष 2012-13 में प्रतिव्‍यक्ति आय में 8.69 प्रतिशत की वृद्वि अनुमानित है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस बात पर प्रसन्‍न है कि मध्‍यप्रदेश विकास दर के मामले में लगातार आगे बढ़ रहा है, जो कि राज्‍य के लिए एक शुभ संकेत है। 
                                 ''मप्र की जय हो''

शनिवार, 30 मार्च 2013

अमानवीय चेहरा हो गया क्‍या मध्‍यप्रदेश के इंसानों का

      दुख और अफसोस होता है कि जिस राज्‍य के लोगों को सीधा-सादा और अपनी दुनिया में डूबा रहकर काम करने वाला इंसान कहा जाता हो वह इंसान अगर अमानवीय और निष्‍ठुर हो जाये तो फिर क्‍या हमारे हाथ रहेगा। इस दुखद काल से मध्‍यप्रदेश गुजर रहा है। सारे नाते-रिश्‍ते बुरी तरह से टूटकर बिखर रहे हैं, न तो संवेदनाएं बची है और न ही मानवीय पहलू का सम्‍मान हो रहा है। इंसान का विकृत रूप देखकर प्रदेश की तस्‍वीर पर दाग ही दाग नजर आते हैं। यह गंभीर पहलू पर विचार करने की जरूरत आन पड़ी है, क्‍योंकि मां की गोद में बैठी दुधमुंही बच्‍ची को एक इंसान बेहरमी से माल गाड़ी के सामने फेंक देता है और बच्‍ची के अंग-अंग रेल ट्रक पर बिखर जाते हैं। वजह पुरानी दुश्‍मनी निकालना है। इससे भी दुखद घटना यह है कि नशे में डूबा बाप अपनी विकलांग नाबालिग लड़की को हवश का शिकार बनाने की कोशिश करता है, लेकिन पड़ोसियों की जागरूकता के चलते बाप जेल के सीखचों में हैं। यह घटनाएं हर इंसान को प्रदेश में उद्देलित करने वाली हैं। यह बार-बार विचार आता है कि आखिरकार हम किस राह पर जा रहे हैं। जहां एक ओर प्रदेश क स्‍वर्णिम राज्‍य बनाने का सपना बुना जा रहा है वही रिश्‍ते-नाते तार-तार हो रहे हैं। कई घटनाएं ऐसी हो रही है, जो कि पूरे मन और विचार को तहस-नहस कर डाल रही हैं। गरीबी का आलम यह है कि मां-बाप को अपने बच्‍चे भूख के लिए दूसरे राज्‍य में बेचने पड़ रहे हैं। इस पर कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। भला हो मीडिया का कि वह लगातार ऐसी अमानवीय घटनाओं को फोकस करके जनता और उन बुद्विजीवियों को विचार करने के लिए एक सबक तो मिले। इसके बाद भी किसी भी स्‍तर पर कोई विचार के पहलू सामने नहीं आ रहे हैं। निराशाजनक तस्‍वीर यह है कि राज्‍य सरकार के जनप्रतिनिधि और नौकरशाही भी इन बिन्‍दुओं पर विचार तक करने को तैयार नहीं है। तब स्‍वाभाविक रूप से ऐसी घटनाएं होती रहेगी और हम मप्र को ऊंचाई पर ले जाने का ख्‍वाब दिल और दिमाग में पाले रहेंगे। 
.....और मां के सामने बच्‍ची के बिखरे अंग-अंग
          29 मार्च, 2013 को अशोक की नगरी विदिशा के निकट बसा गंजबासौदा कलंकित हो गया। यहां पर शुक्रवार की शाम को रमेश अहिरवार ने 25 वर्षीय अ‍नीता अहिरवार की दुधमुंही छह वर्षीय बच्‍ची  पूनम को रेल्‍वे फाटक के पास मां के हाथ से खींचा और पटरी से गुजर रही माल गाड़ी के सामने बच्‍ची को फेंक दिया। देखते ही देखते बच्‍ची के मासूम अंग रेल पटरी और डिब्‍बे पर बिखर गये। मां बेसुध हो गई। आरोपी भागने लगा, भला हो वहां मौजूद सजग नागरिकों ने मोटर साइकिल पर सवार दरिंदें रमेश अहिरवार को पकड़ लिया। पुलिस के हवाले कर दिया साथ ही उसे जमकर मारापीटा भी। यह व्‍यक्ति महिला को जबरन मोटर साइकिल पर बैठाना चाहता था। महिला का अपराध यह था कि उसके पति राजाराम अहिरवार ने उसकी साली के साथ बलात्‍कार किया था। यानि पति की सजा पत्नि को दी और उसके जीवन का सहारा देखते ही देखते खत्‍म हो गया। बच्‍ची की मौत भयावह थी। मां की आंखों के सामने ऐसा मौत का मंजर छाया कि हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो गया। यह घटना आज राजधानी के सारे समाचार पत्रों में प्रमुखता से फोकस हुई है। थोड़े दिन इस पर चर्चा होगी और फिर हम नई घटना पर बात कर रहे होंगे। हालात समाज के और बद से बदतर देखने के लिए हम तैयार है। यही हमारी बदनसीबी है, लेकिन इसके बाद भी हमें नये समाज की रचना करने की कल्‍पना से कोई नहीं रोक सकता निश्‍चित रूप से हम सबको नया मप्र गढ़ना है। 

मंगलवार, 26 मार्च 2013

मिशन-2013 : अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना गान

       इस बार मध्‍यप्रदेश में चुनावी जंग के नजारे सड़कों पर अलग ही नजर आयेंगे। भाजपा फिर से सत्‍ता पर काबिज होने के लिए न सिर्फ बेताब है, बल्कि भगवा रंग में लोगों को रंगने के लिए कोई कौर-कसर नहीं छोड़ रही है। विपक्ष की भूमिका अदा कर रही कांग्रेस भी अब सत्‍ता के लिए तड़पने लगी है। उसकी तड़प बिन मछली पानी की तरह नजर भी आ रही है। अब यह कसक कांग्रेस नेताओं के चेहरों पर झलकन लगी है कि बस बहु-बहुत संघर्ष कर लिया, अब तो सत्‍ता चाहिए। सत्‍ता की खातिर कांग्रेसी धीरे-धीरे अपने कलफदार कुर्ता-पजामा अलमारियों से बाहर निकालने लगे हैं यानि कहीं न कहीं कांग्रेसियों को यह अहसास हो गया है कि इस बार अगर सत्‍ता नहीं मिली, तो लम्‍बा वनवास भुगतना पड़ेगा। सत्‍ता की चासनी का भरपूर आनंद ले रही भाजपा को भी अब सत्‍ता क सुख ने परमानंद में पहुंचा दिया है। ऐसी स्थिति में वह भी सत्‍ता से दूर होने के लिए तैयार नहीं है। इसके लिए उन्‍हें सत्‍ता की चाबी पाने के लिए बेताबी बढ़ती ही जा रही है। इससे साफ जाहिर है कि मिशन 2013 की जंग न सिर्फ दिलचस्‍प होगी, बल्कि कई-कई दृष्टिकोण में रिकार्ड भी बनायेगी। सत्‍ता की खातिर हिंसा का खुला खेल दोनों दल खेलेंगे। मध्‍प्रदेश की राजनीति में धीरे-धीरे हिंसा ने प्रवेश कर लिया है। राजनेताओं पर हमले होने लगे हैं तथा उन्‍हें धमकियां मिल रही हैं। इससे साफ जाहिर है कि मप्र की राजनीति अब करवट ले रही है। इसके साथ ही पॉवर गेम के लिए दौलत की तो वर्षा ही होगी और इसमें लोगों को आनंद आयेगा, जो कि लंबे समय से राजनेताओं से पैसा लेने के लिए बेताब हैं। 
कौन करेगा फतह : 
      मिशन 2013 कौन फतह करेगा इस सवाल को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने स्‍तर पर गुणा-भाग में जुटी है। इस फतह को लेकर कांग्रेस और भाजपा की रणनीतियां तो बन ही रही है पर आम आदमी भी यह सवाल करने लगा है कि इस बार कौन सा दल फतह करेगा। अभी तो फिलहाल भाजपा का पलड़ा हर तरफ भारी नजर आ रहा है, लेकिन कांग्रेस भी कमजोर कड़ी नहीं है। इस बात का अहसास भाजपा को है। भाजपा की बागडोर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथ में होगी, उनके पीछे संगठन दौड़ लगाता नजर आ रहा है। यूं भी चुनाव का नेत़ृत्‍व चौहान के हाथ में होगी। चौहान ने चुनावी अभियान का बिगुल बजा दिया है, वे लगातार जनता से संवाद करने का अभियान चलाये हुए हैं। संगठन ने भी महाजनसंपर्क अभियान शुरू करके यह संकेत दे दिया है कि चुनाव की तैयारी में वे किसी से पीछे नहीं रहेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस ने भी अप्रैल से जनजागरण एवं परिवर्तन यात्राएं शुरू करने का शंखनाद कर दिया है। यह कार्यक्रम कांग्रेस की बैठकों में तैयार हुआ है। दिलचस्‍प यह है कि इन कार्यक्रमों का संयुक्‍त नेतृत्‍व प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह करेंगे। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा में अविश्‍वास प्रस्‍ताव फिर से लाने का एलान कर दिया है जिसने भाजपा सरकार की नींद उड़ा दी है। अब यह विपक्ष को तय करना है कि वे धारदार आरोपों की झड़ी लगायेगा अथवा मिशन का आगाज होगा। इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्‍यमंत्री और महासचिव दिग्विजय सिंह भी फिर से कांग्रेस को सत्‍ता दिलाने के लिए मैदान में रहेंगे, तो लोकसभा मं नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज भी मैदानी जंग में मौजूद रहेगी। यूं तो वे प्रदेश की राजनीति से अपने आपको दूर रखती हैं, लेकिन विदिशा की सांसद होने के कारण वे चुनाव में जोर आजमाईश करेंगी। प्रदेश में दो दलीय व्‍यवस्‍था है, यहां की जनता भी कांग्रेस और भाजपा को ही पसंद करती है, इसके बाद भी 90 के दशक से तीसरी ताकत अपने-अपने स्‍तर पर जोर लगा रही है। दो दशक बाद भी तीसरी ताकत का जो रूप दिखना चाहिए वह नजर नहीं आता है सिर्फ बसपा अपनी मौजूदगी सड़क से लेकर वोट तक दिखाती है। अन्‍य दलों की हालत बेहद पतली है। बसपा की इच्‍छा है कि इस बार कांग्रेस और भाजपा का चुनावी समीकरण बिगाड़ा जाये। इसके लिए बसपा ने जाल बिछा दिया है। इस जाल में कौन-कौन फंसेगा यह जनता ही तय करेगी, लेकिन हाथी की चाल धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगी है। अगर हाथी ने तेज रफ्तार में अपना रौद्र रूप दिखा दिया, तो कांग्रेस और भाजपा को मैदानी जंग में परेशानियां हो सकती हैं। इस बार चुनावी फतह किसी भी दल के लिए आसान राह नहीं है। सारे दल अपने-अपने गुणा-भाग से मैदान में उतरने के लिए बेताब है, अब कौन बाजी मारेगा यह तो वक्‍त ही बतायेगा। 
                                          ''मप्र की जय हो''

सोमवार, 25 मार्च 2013

व्‍यापारियों के लिए अब भगोरिया भी व्‍यवसाय बना


       यूं तो मध्‍यप्रदेश में आदिवासी बाहुल्‍य एक दर्जन से अधिक जिले हैं, जिनमें उनकी अपनी-अपनी संस्‍कृति आज भी जैसे-तैसे बचाने के लिए आदिवासी स्‍वयं जद्दोजहद कर रहे हैं। आदिवासियों का मुख्‍य पर्व भगोरिया भी अब व्‍यापारियों की नजर में कारोबार बनता नजर आ रहा है। हर साल होली से पहले आदिवासियों का यह पर्व जोर-शोर से मनाये जाने का सिलसिला चल पड़ा है। मालवांचल के आदिवासी बाहुल्‍य जिला झाबुआ में तो भगोरिया पर्व बेहद उत्‍साह से मनाया जाता है। यहां तक कि आदिवासी अपने साल भर की जमा पूंजी भी इस उत्‍सव में दांव पर लगा देते हैं। इसको व्‍यापारियों ने भाप लिया है। यही वजह है कि अब व्‍यापारियों ने भगोरिया को धीरे-धीरे कारोबारी रूप देना शुरू कर दिया है।
इस साल झाबुआ में भगोरिया उत्‍सव के दौरान रिकार्ड तोड़ कारोबार हुआ है। व्‍यापारियों के अनुसार करीब एक से दो करोड़ का व्‍यवसाय होने का अनुमान है। इस बार आदिवासियों की भीड़ भी खूब जमकर मेले में उमड़ी है। कहा जाता है कि 75 पंचायतों से करीब 220 गांवों के आदिवासियों ने इस भगोरिया उत्‍सव में हिस्‍सा लिया। इस मौके पर 7 दर्जन से अधिक ढोल पार्टियां भी थी, जो कि आदिवासियों के रंग में रंगी हुई थी। इसके साथ ही आदिवा‍सी बच्‍चों के लिए होटलों की व्‍यवस्‍था भी की गई थी। इस मौके का लाभ उठाते हुए व्‍यापारियों ने भी आटो मोबाइल, कपड़ा, बर्तन, ज्‍वैलरी, खेरची बाजार को आदिवासियों के खूब सजाया। करीब 2 हजार दुकानें लगी थी, जिसमें आदिवासियों ने भरपूर खरीदरी की थी। इस बार के भगोरिया उत्‍सव से उत्‍साहित व्‍यापारियों  को अब ऐसा लगने लगा है कि इस त्‍यौंहार को भी कारोबार में बदला जा सकता है। इसकी नींव रखी जा चुकी है, भविष्‍य में भगोरिया उत्‍सव भी अन्‍य त्‍यौंहारों की तरह कहीं बाजार की भेंट न चढ़ जाये, इसकी चिंता आदिवासियों के शुभचिंतकों को सताने लगी है। 
                                        ''मप्र की जय हो''
  

शनिवार, 23 मार्च 2013

महिलाओं की अस्मिता हो रही तार-तार, अंधी मां का कावड़ से कराई यात्रा

            जहां एक ओर मध्‍यप्रदेश में महिलाओं की अस्मिता रोज दांव पर लग रही है। हर दिन कोई न कोई ऐसी घटनाएं सामने आ रही है जिसमें महिलाओं का जीना दभर होता जा रहा है। ग्‍वालियर चंबल अंचल के भिंड जिले के मौ कस्‍बे में जैन साध्‍वी को अगवा कर न सिर्फ बेहरमी से पीड़ा बल्कि निर्वस्‍त्र कर गली में फेंक दिया गया। छिंदवाड़ा में मूकबधिर बच्चियों के साथ छेड़छाड़ और दुष्‍कृत्‍य करने का मामला सामने आ गया है। इन घटनाओं के बीच महिलाओं के प्रति आदर सम्‍मान बढ़ाने और मां के प्रति अगाध आस्‍था में डूबे जबलपुर जिले के हिनौती गांव निवासी कैलाश गिरि ने अपनी नेत्रहीन माता कीर्ति देवी को कावड़ से चार धाम की यात्रा कराकर मां के इरादों को पूरा किया है। यह अपने आप में एक उल्‍लेखनीय घटना है। नेत्रहीन मां को चारधाम यात्रा कराने से साफ जाहिर है कि आज भी लोग मां के प्रति कितने आस्‍थावान हैं। यह खबर निश्चित रूप से एक नया जोश भरती है। इसके साथ ही इन दिनों मध्‍यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में भगोरिया उत्‍सव चल रहा है जिसमें आदिवासी महिलाएं दिनभर तो मेहनत मजदूरी करके जो कमाती हैं, उसी राशि से भगोरिया उत्‍सव में भाग लेकर अपनी परंपरा का निर्वाह भी कर रही हैं। यह उत्‍सव लंबे समय से चल रहा है। आदिवासी महिला और पुरूष सजधज कर भगोरिया उत्‍सव में शामिल होते हैं। 
            दुखद और अफसोस जनक पहलू यह है कि मध्‍यप्रदेश में 1993 से 2002 के बीच महिलाओं को निर्वस्‍त्र करने की घटनाएं होती रही हैं। इन घटनाओं पर 2003 से 2012 के बीच विराम लगा है। इक्‍का-दुक्‍का घटनाएं हुई हैं, लेकिन 20 मार्च, 2013 को भिंड जिले के मौ कस्‍बे में कुछ बदमाशों ने न सिर्फ जैन साध्‍वी के साथ बेरहमी से मारपीट की, बल्कि निर्वस्‍त्र कर गली में फेंक दिया गया। इस जैन साध्‍वी को लाठी और डंडे से इस कदर पीटा गया है कि उनके शरीर पर तीन फेक्‍चर आये हैं। इस घटना ने एक बार फिर महिलाओं की अस्मिता को तार-तार कर दिया है। यूं तो मप्र में महिलाओं के साथ बलात्‍कार, गैंगरेप और अपहरण की घटनाएं खूब हो रही हैं, लेकिन फिर भी निर्वस्‍त्र करने की घटनाओं ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। 
                                           ''जय हो मप्र की''

शुक्रवार, 22 मार्च 2013

फुटवाल बन रहे हैं मध्‍यप्रदेश के किसान

         जब-जब किसानों ने नये सपने बुने तो उन्‍हें प्रकृति ने तारतार करने में भी देरी नहीं लगाई। जाने क्‍यों, बार-बार प्राकृतिक मार के शिकार मध्‍यप्रदेश के किसान हो रहे हैं। हर दो साल में किसानों के साथ नाइंसाफी हो रही है। बहुत मेहनत से किसान जैसे-तैसे अपनी खेती को जिंदा रखने के लिए जद्दोजहद कर रहा है, लेकिन प्रकृति उसे हर बार चौराहे पर लाकर खड़ी कर देती है। इस बार भी बिन मौसम बरसात ने किसानों के जीवन में निराशा और हताशा ला दी है। प्रकृति की मार का खेल मध्‍यप्रदेश में एक दशक से चल रहा है। हर एक या दो साल के भीतर बिन मौसम बारिश और ओलाबारी किसानों की फसलों को चौपट कर रहा है जिसके चलते किसान न तो अपनी जिंदगी सुधार पा रहा है और न ही फसलों के जरिये परिवार में कोई खुशहाली आ पा रही है। इस वर्ष जनवरी से मार्च के महीने में जो बिन मौसम बारिश हुई है उसने 2083 करोड़ से अधिक फसलों को नुकसान पहुंचाया है। अब तक राज्‍य के करीब 80 लाख 47 हजार 61 किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। ओला एवं पाला के कारण करीब 7 लाख 74 हजार 771 हैक्‍टेयर में फसलें नुकसान हो गई हैं। सरकार के प्रारंभिक आंकलन के अनुसार करीब साढ़े तेरह हजार गांव प्राकृतिक प्रकोप के शिकार हुए हैं जिसमें 29 लोगों की जानें गई हैं और 300 मवेशी मारे गये हैं। दुखद पहलू यह है कि राजगढ़ जिले में तो फसलों को देखकर एक किसान ने आत्‍महत्‍या तक कर ली है।
फसलों के नष्‍ट होने से किसानों की जिंदगी वाकई में दुखदायी तो हुई है। राज्‍य सरकार अन्‍नदाता के आंसू पंछने के लिए बार-बार आश्‍वस्‍त कर रही है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के बीच जाकर लगातार उन्‍हें हिम्‍मत दे रहे हैं। वे लगातार कह रहे हैं कि सरकार किसानों के साथ खड़ी है। उनका मानना है कि विभिन्‍न जिलों में करीब 300 करोड़ से अधिक की फसलों का नुकसान हुआ है। सबसे ज्‍यादा करीब 20 जिले प्रभावित हुए हैं। इनमें राजगढ़, सतना, नरसिंहपुर, सीधी, रायसेन, भिंड, अनूपपुर, देवास, जबलपुर, होशंगाबाद आदि शामिल हैं। मुख्‍यमंत्री ने राज्‍य सरकार की ओर से सर्वे का एलान कर दिया है। सर्वे में धांधलियों की बातें भी होने लगी हैं। अब मुख्‍यमंत्री केंद्र से मदद लेने के लिए दिल्‍ली में सक्रिय हो गये हैं। उन्‍होंने पहले चरण में 21 मार्च, 2013 को केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार से मुलाकात करके महाराष्‍ट्र की तर्ज पर मप्र को भी 500 करोड़ का पैकेज देने की मांग की है। उन्‍होंने तो यह तक कह दिया कि यदि महाराष्‍ट्र को सूखे के लिए  500 करोड़ का पैकेज मिल सकता है, तो मप्र के किसानों ने उनकी क्‍या खता की है। मुख्‍यमंत्री ने किसानों को मार्च के महीने में अनगिनत राहत दे दी हैं, जो वसूली होनी थी वह स्‍थगित कर दी गई हैं इसके साथ ही आर्थिक मदद के द्वार खोल दिये गये हैं । फसल हानि पर राहत बढ़ा दी गई है। निश्चित रूप से मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लगातार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि खेती को लाभ का धंधा बनाया जाये, लेकिन उनका सपना हर बार किसी न किसी वजह से टूट भी रहा है, लेकिन उन्‍होंने मप्र की विकास दर तो 18 प्रतिशत बढ़ा ही दी है साथ ही गेहूं की पैदावार में भी रिकार्ड तोड़ उत्‍पादन हुआ है। भले ही मौसम की मार से किसान आहत हो, लेकिन फिर भी गेहूं का उत्‍पादन अच्‍छा होने की उम्‍मीद कृषि विभाग जाहिर कर रहा है। किसानों की जिंदगी फिलहाल तो नरक बन गई है, लेकिन कोई न कोई रास्‍ते निश्चित रूप से खलेंगे और फिर किसानों की जिंदगी में खुशहाली दस्‍तक देगी। इसी उम्‍मीद  इंसान जिंदा है और लगातार अपनी नई राह बना रहा है। किसानों को भी अपना नया नजरिया देखना चाहिए। 
                                        ''मप्र की जय हो''

शनिवार, 16 मार्च 2013

शहीद की शहादत को बार-बार सलाम

         श्रीनगर में आंतकी हमले में शहीद मध्‍यप्रदेश के सीहोर जिले के शाहपुर गांव के वीर सपूत ओमप्रकाश की शहादत को बार-बार सलाम। ओमप्रकाश की शहादत हमेशा-हमेशा याद रहेगी। आंतकियों ने भले ही अपना घिनौना रूप दिखा दिया हो, लेकिन प्रदेश के नौजवान ने भी पूरी ताकत से उन ताकतों को मुंह तोड़ जवाब दिया। जिसमें वह शहीद हो गया। इस वीर सपूत को हमेशा-हमेशा मध्‍यप्रदेश की जनता याद रखेगी। इस वीर सपूत को अंतिम सलाम 15 मार्च, 2013 को प्रदेश की जनता ने दिया। इसके साथ ही गांव में नम आंखों के साथ अंत्‍योष्ठि की गई। वीर पिता ओम प्रकाश को उसके मासूम बेटे राज ने अंतिम सलामी दी। इस मौके पर मौजूद हर व्‍यक्ति की आंखे नम हो गई। वीर सपूत की झलक पाने के लिए न सिर्फ आसपास के गांवों के लोग मौजूद थे, बल्कि अन्‍य जिलों से भी लोगों को हुजूम उमड़ पड़ा था। शहीद ओमप्रकाश के पार्थिव शरीर पर मध्‍यप्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज ने भी पुष्‍पांजलि दी। शहीद को तिरंगे में रखकर विदा किया गया। मुख्‍यमंत्री चौहान ने शहीद की अर्थी को कंधा दिया इस मौके पर हर व्‍यक्ति की आंखे नम थी। मुख्‍यमंत्री ने इस मौके पर एलान किया कि राज्‍य सरकार परिजनों को 15 लाख रूपये के साथ ही परिवार के एक सदस्‍य को नौकरी भी देगी।
                                       ''मप्र की जय हो'' 

शुक्रवार, 15 मार्च 2013

दुराचार मामलों में कोर्ट कर रहे हैं फटाफट निर्णय

           महिलाओं पर अत्‍याचार और उत्‍पीड़न की घटनाएं तो थम नहीं रही हैं। जो मामले सामने आ रहे हैं और पुलिस तक पहुंच रहे हैं, उन पर आनन-फानन में कार्यवाही की प्रक्रिया तेज हुई है, यहां तक कि दुराचार करने के बाद हत्‍या जैसे जघन्‍य मामलों में अदालत की तरफ से फटाफट फैसले सुनाये जा रहे हैं। इससे उम्‍मीद की किरण चमक रही है। अपराधियों में एक भय का अहसास तो जरूर ही होगा। भोपाल का बहुचर्चित काजल हत्‍याकांड के आरोपी नंदकिशोर को अपहरण, दुष्‍कर्म, हत्‍या और साक्ष्‍य छुपाने के आरोप में जिला न्‍यायाधीश सुषमा खोसला ने 14 मार्च, 2013 को हत्‍यारे को फांसी की सजा सुनाई। सिर्फ 9 दिनों की सुनवाई में फैसला आया है, जो कि एक सुखद अहसास कराता है कि कहीं  न कहीं अगर न्‍याय की प्रक्रिया जल्‍द होगी, तो फिर लोगों को न्‍याय भी मिलेगा। इससे पहले मंडला, बैतूल, मुलताई, जबलपुर, खरगौन और सीहोर में भी बलात्‍कार के मामलों में आरोपियों को आजीवन कारावास और फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। यह सारे मामले भी हाल के समय के हैं। मध्‍यप्रदेश में 1996 के बाद किसी को फांसी की सजा नहीं हुई है। 1996 में इंदौर के केंद्रीय जेल में एक आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। राष्‍ट्रपति के पास भी एक दयायाचिका मप्र से संबंधित लंबित है। भोपाल में आरोपी नंद किशोर ने 8 साल की मासूम काजल बच्‍ची के साथ दुराचार कर नृशंस ढंग से हत्‍या कर दी थी। यह ऐसा मामला सामने आया था जिससे पूरा भोपाल उत्‍तेजित हो गया था। मप्र के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्‍ता के बंगले के निकट यह हादसा हुआ था। पुलिस ने भी तत्‍पर्यता दिखाई और पांच फरवरी को आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जिला न्‍यायाधीश ने 9 दिनों की सुनवाई के बाद 61 पेज का फैसला सुनाया है। इस मामले का एक सुखद पहलू यह भी है कि नंद किशोर को उसका परिवार छोड़ चुका है और उससे मिलने को तैयार नहीं है। इसके बाद भी आरोपी का यह कहना है कि उसे फंसाया गया है और वह हाईकोर्ट में दस्‍तक देगा। निश्चित रूप से फांसी की सजा का निर्णय अपने आप में एक राहत देता है कि जिस तरह से 8 साल की बच्‍ची के साथ घिनौनी हरकत करके मौत के घाट उतार दिया था, उसके बाद तो फांसी के अलावा कोई रास्‍ता नहीं बचता था। फिलहाल तो कागज के माता-पिता इस फैसले से अपने आपको राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन कागज के मां-बाप का कहना है कि जब तब आरोपी को फांसी की सजा नहीं हो जाती है, तब तक कलेजे को ठंडक नहीं मिलेगी। इस हादसे ने भोपाल की जनता को बेहद उत्‍तेजित किया था, लेकिन फैसले से भी लोगों को एक बार फिर न्‍याय पर विश्‍वास बढ़ा है। 
दुराचार पर कोर्ट के फैसले : इन दिनों लड़कियों से दुराचार  के मामले में कोर्ट फटा-फट निर्णय ले रहा है,जो कि एक बेहतर संकेत है। यहां प्रस्‍तुत है चुनिंदा निर्णय -
  • मंडला - 14 वर्षीय लड़की से दुराचार और हत्‍या के बाद महज सात दिनों की सुनवाई के बाद आरोपी राजकुमार को जिला अदालत ने फांसी की सजा सुनाई। 
  • बैतूल - जिला कोर्ट ने 16 वर्षीय किशोरी के साथ सामूहिक दुष्‍कृत्‍य के मामले में 20 दिनों की सुनवाई के बाद दस वर्ष की सजा सुनाई गई है। 
  • मुलताई - जिला अदालत ने छात्रा के साथ दुष्‍कर्म के आरोपी भोला सूर्यवंशी को मात्र 57 दिनों की सुनवाई के बाद 10 साल के कठोर करावास की सजा सुनाई। 
  • जबलपुर - 7 साल की मासूम बच्‍ची के साथ बलात्‍कार और हत्‍या करने वाले आरोपी पंचम को जबलपुर न्‍यायालय ने 9 माह की सुनवाई के बाद फांसी की सजा सुनाई। 
  • खरगौन - जिला कोर्ट ने किशोरी के साथ बलात्‍कार के मामले में आरोपी संजू गांगले को आजीवन कारावा की सजा सुनाई है। 
  • सीहोर -क किशोरी के साथ बलात्‍कार करने वाले जगदीश को 10 वर्ष की सजा सुनाई गई है। 

गुरुवार, 14 मार्च 2013

मघ्‍यप्रदेश का वीर जवान फिर शहीद हुआ

          मध्‍यप्रदेश के वीर जवान देश के मोर्चे पर लड़ते शहीद हो गये। अभी सीधी जिले शहीद हुए वीर जवान की याद खत्‍म भी नहीं हुई थी कि राज्‍य का दूसरा जवान श्रीनगर में आंतकवादियों से लड़ते-लड़ते खत्‍म हो गया। 13 मार्च, 2013 को श्रीनगर के बेमिना इलाके में पुलिस पब्लिक स्‍कूल के नजदीक क्रिकेट में हथियार लेकर आंतकियों ने हमला किया, जिसमें पांच वीर जवान शहीद हो गये। इन जवानों में मध्‍यप्रदेश के दो जवान शहीद हो गये हैं। जिसमें एक जवान सीहोर जिले के इछावर तहसील के शाहपुर का वीर सपूत ओमप्रकाश शामिल है, जबकि शहीद हुए दूसरवीर सिपाही अवध बिहारी का भी मध्‍यप्रदेश से गहरा संबंध है। अवध बिहारी ने अपनी शिक्षा-दीक्षा उज्‍जैन में अपने चाचा लक्ष्‍मण सिंह परिहार के यहां की थी, जो कि आज भी चिमनगंज थाने में आरक्षक हैं। इस वीर जवान अवध बिहारी ने 1988 में झाबुआ जिले में सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। इस जवान का जन्‍म उत्‍तरप्रदेश के जालौन जिला में हुआ था।
            मध्‍यप्रदेश की सरजमी पर पले-बड़े ओमप्रकाश के शहीद होने की खबर जैसे ही शाहपुर गांव में पहुंची, तो पूरा गांव मातम में डूबा हुआ है, लेकिन हर व्‍यक्ति का चेहरा गर्व से फूला हुआ है, क्‍योंकि उनके गांव का वीर सपूत आंतकवादियों से लड़ते हुए शहीद हुआ है। यह वीर जवान 15 दिन पहले ही श्रीनगर पहुंचा था, क्‍योंकि छह माह पहले ओमप्रकाश के पिता गलजीराम मर्दानिया का निधन हो गया था। जिसके फलस्‍वरूप वह अवकाश पर था। जब यह अवकाश के बाद जा रहा था, तो गांव के लोगों ने इसे शानदार ढंग से विदा किया था, तब अपनी पत्‍नी कोमलबाई से वादा किया था कि जल्‍दी ही वापस लौटूगा। अब शहीद के रूप में उसकी वापसी 14 मार्च को गांव में हुई। जहां उसकी राजकीय सम्‍मान के साथ अंत्‍योष्टि की जायेगी। इस वीर जवान की शहादत को लंबे समय तक याद किया जायेगा। दुखद पहलू यह है कि वीर जवान के दो छोटे बच्‍चे हैं, जो कि अभी पढ़ाई कर रहे हैं। इस जवान की इच्‍छा थी कि उनके बच्‍चे पढ़-लिखकर सेना में ही भर्ती हों। ओमप्रकाश की कुर्बानी हमेशा याद की जायेगी। हाल ही में सीधी जिले का एक वीर जवान शहीद हो गया था। अब सीहोर जिले का वीर जवान शहीद हुआ है जिसे हम वर्षों-वर्ष तक नम आंखों से याद करते रहेंगे। वीर जवान की जय हो। 
                                      ''मप्र की जय हो''