जहां एक ओर मध्यप्रदेश में महिलाओं की अस्मिता रोज दांव पर लग रही है। हर दिन कोई न कोई ऐसी घटनाएं सामने आ रही है जिसमें महिलाओं का जीना दूभर होता जा रहा है। ग्वालियर चंबल अंचल के भिंड जिले के मौ कस्बे में जैन साध्वी को अगवा कर न सिर्फ बेहरमी से पीड़ा बल्कि निर्वस्त्र कर गली में फेंक दिया गया। छिंदवाड़ा में मूकबधिर बच्चियों के साथ छेड़छाड़ और दुष्कृत्य करने का मामला सामने आ गया है। इन घटनाओं के बीच महिलाओं के प्रति आदर सम्मान बढ़ाने और मां के प्रति अगाध आस्था में डूबे जबलपुर जिले के हिनौती गांव निवासी कैलाश गिरि ने अपनी नेत्रहीन माता कीर्ति देवी को कावड़ से चार धाम की यात्रा कराकर मां के इरादों को पूरा किया है। यह अपने आप में एक उल्लेखनीय घटना है। नेत्रहीन मां को चारधाम यात्रा कराने से साफ जाहिर है कि आज भी लोग मां के प्रति कितने आस्थावान हैं। यह खबर निश्चित रूप से एक नया जोश भरती है। इसके साथ ही इन दिनों मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचलों में भगोरिया उत्सव चल रहा है जिसमें आदिवासी महिलाएं दिनभर तो मेहनत मजदूरी करके जो कमाती हैं, उसी राशि से भगोरिया उत्सव में भाग लेकर अपनी परंपरा का निर्वाह भी कर रही हैं। यह उत्सव लंबे समय से चल रहा है। आदिवासी महिला और पुरूष सजधज कर भगोरिया उत्सव में शामिल होते हैं।
दुखद और अफसोस जनक पहलू यह है कि मध्यप्रदेश में 1993 से 2002 के बीच महिलाओं को निर्वस्त्र करने की घटनाएं होती रही हैं। इन घटनाओं पर 2003 से 2012 के बीच विराम लगा है। इक्का-दुक्का घटनाएं हुई हैं, लेकिन 20 मार्च, 2013 को भिंड जिले के मौ कस्बे में कुछ बदमाशों ने न सिर्फ जैन साध्वी के साथ बेरहमी से मारपीट की, बल्कि निर्वस्त्र कर गली में फेंक दिया गया। इस जैन साध्वी को लाठी और डंडे से इस कदर पीटा गया है कि उनके शरीर पर तीन फेक्चर आये हैं। इस घटना ने एक बार फिर महिलाओं की अस्मिता को तार-तार कर दिया है। यूं तो मप्र में महिलाओं के साथ बलात्कार, गैंगरेप और अपहरण की घटनाएं खूब हो रही हैं, लेकिन फिर भी निर्वस्त्र करने की घटनाओं ने एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।
''जय हो मप्र की''
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