दुख और अफसोस होता है कि जिस राज्य के लोगों को सीधा-सादा और अपनी दुनिया में डूबा रहकर काम करने वाला इंसान कहा जाता हो वह इंसान अगर अमानवीय और निष्ठुर हो जाये तो फिर क्या हमारे हाथ रहेगा। इस दुखद काल से मध्यप्रदेश गुजर रहा है। सारे नाते-रिश्ते बुरी तरह से टूटकर बिखर रहे हैं, न तो संवेदनाएं बची है और न ही मानवीय पहलू का सम्मान हो रहा है। इंसान का विकृत रूप देखकर प्रदेश की तस्वीर पर दाग ही दाग नजर आते हैं। यह गंभीर पहलू पर विचार करने की जरूरत आन पड़ी है, क्योंकि मां की गोद में बैठी दुधमुंही बच्ची को एक इंसान बेहरमी से माल गाड़ी के सामने फेंक देता है और बच्ची के अंग-अंग रेल ट्रेक पर बिखर जाते हैं। वजह पुरानी दुश्मनी निकालना है। इससे भी दुखद घटना यह है कि नशे में डूबा बाप अपनी विकलांग नाबालिग लड़की को हवश का शिकार बनाने की कोशिश करता है, लेकिन पड़ोसियों की जागरूकता के चलते बाप जेल के सीखचों में हैं। यह घटनाएं हर इंसान को प्रदेश में उद्देलित करने वाली हैं। यह बार-बार विचार आता है कि आखिरकार हम किस राह पर जा रहे हैं। जहां एक ओर प्रदेश को स्वर्णिम राज्य बनाने का सपना बुना जा रहा है वही रिश्ते-नाते तार-तार हो रहे हैं। कई घटनाएं ऐसी हो रही है, जो कि पूरे मन और विचार को तहस-नहस कर डाल रही हैं। गरीबी का आलम यह है कि मां-बाप को अपने बच्चे भूख के लिए दूसरे राज्य में बेचने पड़ रहे हैं। इस पर कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। भला हो मीडिया का कि वह लगातार ऐसी अमानवीय घटनाओं को फोकस करके जनता और उन बुद्विजीवियों को विचार करने के लिए एक सबक तो मिले। इसके बाद भी किसी भी स्तर पर कोई विचार के पहलू सामने नहीं आ रहे हैं। निराशाजनक तस्वीर यह है कि राज्य सरकार के जनप्रतिनिधि और नौकरशाही भी इन बिन्दुओं पर विचार तक करने को तैयार नहीं है। तब स्वाभाविक रूप से ऐसी घटनाएं होती रहेगी और हम मप्र को ऊंचाई पर ले जाने का ख्वाब दिल और दिमाग में पाले रहेंगे।
.....और मां के सामने बच्ची के बिखरे अंग-अंग :
29 मार्च, 2013 को अशोक की नगरी विदिशा के निकट बसा गंजबासौदा कलंकित हो गया। यहां पर शुक्रवार की शाम को रमेश अहिरवार ने 25 वर्षीय अनीता अहिरवार की दुधमुंही छह वर्षीय बच्ची पूनम को रेल्वे फाटक के पास मां के हाथ से खींचा और पटरी से गुजर रही माल गाड़ी के सामने बच्ची को फेंक दिया। देखते ही देखते बच्ची के मासूम अंग रेल पटरी और डिब्बे पर बिखर गये। मां बेसुध हो गई। आरोपी भागने लगा, भला हो वहां मौजूद सजग नागरिकों ने मोटर साइकिल पर सवार दरिंदें रमेश अहिरवार को पकड़ लिया। पुलिस के हवाले कर दिया साथ ही उसे जमकर मारापीटा भी। यह व्यक्ति महिला को जबरन मोटर साइकिल पर बैठाना चाहता था। महिला का अपराध यह था कि उसके पति राजाराम अहिरवार ने उसकी साली के साथ बलात्कार किया था। यानि पति की सजा पत्नि को दी और उसके जीवन का सहारा देखते ही देखते खत्म हो गया। बच्ची की मौत भयावह थी। मां की आंखों के सामने ऐसा मौत का मंजर छाया कि हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा हो गया। यह घटना आज राजधानी के सारे समाचार पत्रों में प्रमुखता से फोकस हुई है। थोड़े दिन इस पर चर्चा होगी और फिर हम नई घटना पर बात कर रहे होंगे। हालात समाज के और बद से बदतर देखने के लिए हम तैयार है। यही हमारी बदनसीबी है, लेकिन इसके बाद भी हमें नये समाज की रचना करने की कल्पना से कोई नहीं रोक सकता निश्चित रूप से हम सबको नया मप्र गढ़ना है।
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