मंगलवार, 26 मार्च 2013

मिशन-2013 : अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना गान

       इस बार मध्‍यप्रदेश में चुनावी जंग के नजारे सड़कों पर अलग ही नजर आयेंगे। भाजपा फिर से सत्‍ता पर काबिज होने के लिए न सिर्फ बेताब है, बल्कि भगवा रंग में लोगों को रंगने के लिए कोई कौर-कसर नहीं छोड़ रही है। विपक्ष की भूमिका अदा कर रही कांग्रेस भी अब सत्‍ता के लिए तड़पने लगी है। उसकी तड़प बिन मछली पानी की तरह नजर भी आ रही है। अब यह कसक कांग्रेस नेताओं के चेहरों पर झलकन लगी है कि बस बहु-बहुत संघर्ष कर लिया, अब तो सत्‍ता चाहिए। सत्‍ता की खातिर कांग्रेसी धीरे-धीरे अपने कलफदार कुर्ता-पजामा अलमारियों से बाहर निकालने लगे हैं यानि कहीं न कहीं कांग्रेसियों को यह अहसास हो गया है कि इस बार अगर सत्‍ता नहीं मिली, तो लम्‍बा वनवास भुगतना पड़ेगा। सत्‍ता की चासनी का भरपूर आनंद ले रही भाजपा को भी अब सत्‍ता क सुख ने परमानंद में पहुंचा दिया है। ऐसी स्थिति में वह भी सत्‍ता से दूर होने के लिए तैयार नहीं है। इसके लिए उन्‍हें सत्‍ता की चाबी पाने के लिए बेताबी बढ़ती ही जा रही है। इससे साफ जाहिर है कि मिशन 2013 की जंग न सिर्फ दिलचस्‍प होगी, बल्कि कई-कई दृष्टिकोण में रिकार्ड भी बनायेगी। सत्‍ता की खातिर हिंसा का खुला खेल दोनों दल खेलेंगे। मध्‍प्रदेश की राजनीति में धीरे-धीरे हिंसा ने प्रवेश कर लिया है। राजनेताओं पर हमले होने लगे हैं तथा उन्‍हें धमकियां मिल रही हैं। इससे साफ जाहिर है कि मप्र की राजनीति अब करवट ले रही है। इसके साथ ही पॉवर गेम के लिए दौलत की तो वर्षा ही होगी और इसमें लोगों को आनंद आयेगा, जो कि लंबे समय से राजनेताओं से पैसा लेने के लिए बेताब हैं। 
कौन करेगा फतह : 
      मिशन 2013 कौन फतह करेगा इस सवाल को लेकर खूब चर्चाएं हो रही हैं। भाजपा और कांग्रेस अपने-अपने स्‍तर पर गुणा-भाग में जुटी है। इस फतह को लेकर कांग्रेस और भाजपा की रणनीतियां तो बन ही रही है पर आम आदमी भी यह सवाल करने लगा है कि इस बार कौन सा दल फतह करेगा। अभी तो फिलहाल भाजपा का पलड़ा हर तरफ भारी नजर आ रहा है, लेकिन कांग्रेस भी कमजोर कड़ी नहीं है। इस बात का अहसास भाजपा को है। भाजपा की बागडोर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हाथ में होगी, उनके पीछे संगठन दौड़ लगाता नजर आ रहा है। यूं भी चुनाव का नेत़ृत्‍व चौहान के हाथ में होगी। चौहान ने चुनावी अभियान का बिगुल बजा दिया है, वे लगातार जनता से संवाद करने का अभियान चलाये हुए हैं। संगठन ने भी महाजनसंपर्क अभियान शुरू करके यह संकेत दे दिया है कि चुनाव की तैयारी में वे किसी से पीछे नहीं रहेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस ने भी अप्रैल से जनजागरण एवं परिवर्तन यात्राएं शुरू करने का शंखनाद कर दिया है। यह कार्यक्रम कांग्रेस की बैठकों में तैयार हुआ है। दिलचस्‍प यह है कि इन कार्यक्रमों का संयुक्‍त नेतृत्‍व प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष कांतिलाल भूरिया और नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह करेंगे। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा में अविश्‍वास प्रस्‍ताव फिर से लाने का एलान कर दिया है जिसने भाजपा सरकार की नींद उड़ा दी है। अब यह विपक्ष को तय करना है कि वे धारदार आरोपों की झड़ी लगायेगा अथवा मिशन का आगाज होगा। इस चुनाव में कांग्रेस की तरफ से पूर्व मुख्‍यमंत्री और महासचिव दिग्विजय सिंह भी फिर से कांग्रेस को सत्‍ता दिलाने के लिए मैदान में रहेंगे, तो लोकसभा मं नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज भी मैदानी जंग में मौजूद रहेगी। यूं तो वे प्रदेश की राजनीति से अपने आपको दूर रखती हैं, लेकिन विदिशा की सांसद होने के कारण वे चुनाव में जोर आजमाईश करेंगी। प्रदेश में दो दलीय व्‍यवस्‍था है, यहां की जनता भी कांग्रेस और भाजपा को ही पसंद करती है, इसके बाद भी 90 के दशक से तीसरी ताकत अपने-अपने स्‍तर पर जोर लगा रही है। दो दशक बाद भी तीसरी ताकत का जो रूप दिखना चाहिए वह नजर नहीं आता है सिर्फ बसपा अपनी मौजूदगी सड़क से लेकर वोट तक दिखाती है। अन्‍य दलों की हालत बेहद पतली है। बसपा की इच्‍छा है कि इस बार कांग्रेस और भाजपा का चुनावी समीकरण बिगाड़ा जाये। इसके लिए बसपा ने जाल बिछा दिया है। इस जाल में कौन-कौन फंसेगा यह जनता ही तय करेगी, लेकिन हाथी की चाल धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगी है। अगर हाथी ने तेज रफ्तार में अपना रौद्र रूप दिखा दिया, तो कांग्रेस और भाजपा को मैदानी जंग में परेशानियां हो सकती हैं। इस बार चुनावी फतह किसी भी दल के लिए आसान राह नहीं है। सारे दल अपने-अपने गुणा-भाग से मैदान में उतरने के लिए बेताब है, अब कौन बाजी मारेगा यह तो वक्‍त ही बतायेगा। 
                                          ''मप्र की जय हो''

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