महिलाओं पर अत्याचार और उत्पीड़न की घटनाएं तो थम नहीं रही हैं। जो मामले सामने आ रहे हैं और पुलिस तक पहुंच रहे हैं, उन पर आनन-फानन में कार्यवाही की प्रक्रिया तेज हुई है, यहां तक कि दुराचार करने के बाद हत्या जैसे जघन्य मामलों में अदालत की तरफ से फटाफट फैसले सुनाये जा रहे हैं। इससे उम्मीद की किरण चमक रही है। अपराधियों में एक भय का अहसास तो जरूर ही होगा। भोपाल का बहुचर्चित काजल हत्याकांड के आरोपी नंदकिशोर को अपहरण, दुष्कर्म, हत्या और साक्ष्य छुपाने के आरोप में जिला न्यायाधीश सुषमा खोसला ने 14 मार्च, 2013 को हत्यारे को फांसी की सजा सुनाई। सिर्फ 9 दिनों की सुनवाई में फैसला आया है, जो कि एक सुखद अहसास कराता है कि कहीं न कहीं अगर न्याय की प्रक्रिया जल्द होगी, तो फिर लोगों को न्याय भी मिलेगा। इससे पहले मंडला, बैतूल, मुलताई, जबलपुर, खरगौन और सीहोर में भी बलात्कार के मामलों में आरोपियों को आजीवन कारावास और फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। यह सारे मामले भी हाल के समय के हैं। मध्यप्रदेश में 1996 के बाद किसी को फांसी की सजा नहीं हुई है। 1996 में इंदौर के केंद्रीय जेल में एक आरोपी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। राष्ट्रपति के पास भी एक दयायाचिका मप्र से संबंधित लंबित है। भोपाल में आरोपी नंद किशोर ने 8 साल की मासूम काजल बच्ची के साथ दुराचार कर नृशंस ढंग से हत्या कर दी थी। यह ऐसा मामला सामने आया था जिससे पूरा भोपाल उत्तेजित हो गया था। मप्र के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता के बंगले के निकट यह हादसा हुआ था। पुलिस ने भी तत्पर्यता दिखाई और पांच फरवरी को आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। जिला न्यायाधीश ने 9 दिनों की सुनवाई के बाद 61 पेज का फैसला सुनाया है। इस मामले का एक सुखद पहलू यह भी है कि नंद किशोर को उसका परिवार छोड़ चुका है और उससे मिलने को तैयार नहीं है। इसके बाद भी आरोपी का यह कहना है कि उसे फंसाया गया है और वह हाईकोर्ट में दस्तक देगा। निश्चित रूप से फांसी की सजा का निर्णय अपने आप में एक राहत देता है कि जिस तरह से 8 साल की बच्ची के साथ घिनौनी हरकत करके मौत के घाट उतार दिया था, उसके बाद तो फांसी के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता था। फिलहाल तो कागज के माता-पिता इस फैसले से अपने आपको राहत महसूस कर रहे हैं, लेकिन कागज के मां-बाप का कहना है कि जब तब आरोपी को फांसी की सजा नहीं हो जाती है, तब तक कलेजे को ठंडक नहीं मिलेगी। इस हादसे ने भोपाल की जनता को बेहद उत्तेजित किया था, लेकिन फैसले से भी लोगों को एक बार फिर न्याय पर विश्वास बढ़ा है।
दुराचार पर कोर्ट के फैसले : इन दिनों लड़कियों से दुराचार के मामले में कोर्ट फटा-फट निर्णय ले रहा है,जो कि एक बेहतर संकेत है। यहां प्रस्तुत है चुनिंदा निर्णय -
- मंडला - 14 वर्षीय लड़की से दुराचार और हत्या के बाद महज सात दिनों की सुनवाई के बाद आरोपी राजकुमार को जिला अदालत ने फांसी की सजा सुनाई।
- बैतूल - जिला कोर्ट ने 16 वर्षीय किशोरी के साथ सामूहिक दुष्कृत्य के मामले में 20 दिनों की सुनवाई के बाद दस वर्ष की सजा सुनाई गई है।
- मुलताई - जिला अदालत ने छात्रा के साथ दुष्कर्म के आरोपी भोला सूर्यवंशी को मात्र 57 दिनों की सुनवाई के बाद 10 साल के कठोर करावास की सजा सुनाई।
- जबलपुर - 7 साल की मासूम बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या करने वाले आरोपी पंचम को जबलपुर न्यायालय ने 9 माह की सुनवाई के बाद फांसी की सजा सुनाई।
- खरगौन - जिला कोर्ट ने किशोरी के साथ बलात्कार के मामले में आरोपी संजू गांगले को आजीवन कारावा की सजा सुनाई है।
- सीहोर - एक किशोरी के साथ बलात्कार करने वाले जगदीश को 10 वर्ष की सजा सुनाई गई है।
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