खुशी और उत्सव जाहिर करने का जरिया 'ऩत्य' है। मध्यप्रदेश में ऩत्य को लेकर संस्क़ति विभाग समय-समय पर आयोजन करता है, लेकिन राज्य की प्रतिभाएं राष्ट्रीय स्तर पर उभर नहीं पा रही हैं। खजुराहो महोत्सव तो ऩत्य पर ही फोकस होता है। ऩत्य एक मुक्ति है, उर्जा का गतिमान वलय है, भीतर के दुखों का विरेचन है। सर्वोच्च के सम्मुख संपूर्ण समर्पण है। लोग कभी अपने प्रेम को दर्शाने के लिए ऩत्य करते, तो कभी अपने डर को, कभी हमारी आशाएं इसका रूप बनती है, तो कभी-कभी हमारी कल्पनाएं इसको जन्म देती है। ध्वनि, रोशनी, रंग और ताल के मेल से बनी यह कला। हमारी भावनाओं का व्यक्त करने का एक बहुत ही सुंदर माध्यम है। असल में ऩत्य तो व्यक्ति की आत्मा की गति है। 108 प्रकार के शास्त्रीय ऩत्य नाटयशास्त्र से उभर हैं, जो कि योग की भंगिमाएं हैं। भगवान शिव को भारतीय ऩत्य का गुरू माना गया है। इसलिए उन्हें नटराज भी कहा जाता है, पर मध्यप्रदेश में अभी ऩत्य पर काफी काम होना बाकी है।
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