मध्यप्रदेश में घर-घर और गली-गली में मंगलमूर्ति जय गणेश देवा के जयकारे गुरूवार से गूंजने लगे हैं। घर-घर में गणेशजी के आगमन के साथ ही उत्सव और त्यौहारों का सिलसिला शुरू हो गया। यूं तो राज्य के हर हिस्से में गणेश उत्सव की धूम है, विशेषकर मालवा अंचल में गणेश पर्व जोर-शोर से मनाया जाता है। इसकी झलक अब शहरों और कस्बों में भी दिखने लगी है। मीडिया ने गणेश उत्सव को जीवन प्रबंधन के गुरू के रूप में वैलकम किया। गणेश उत्सव के पहले दिन दैनिक समाचार पत्रों में लिखा है कि यह उत्सव सिर्फ अध्यात्म और आराधना ही नहीं है,बल्कि शुद्व आचरण, बुद्वि, सामंजस्य, सामाजिक सदभाव और जीवन प्रबंधन भी हैं। वैसे तो गणेश उत्सव पर्व वर्षों से मनाया जा रहा है। दिन प्रतिदिन इस पर्व में व्यवसायिकता और बाजारवाद की झलक भी दिखने लगी है, लेकिन गणेश उत्सव और उत्सव से मानने का चलन का कारवा बढता ही जा रहा है। गणपति बप्पा मोरया।
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