जहां एक ओर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बेटी बचाओ अभियान के लिए जी-तोड़ न सिर्फ मेहनत कर रहे हैं, बल्कि हर तरह के रास्ते खोल रहे हैं, ताकि बेटियों को बचाया जा सके। दूसरी ओर राज्य में ऐसा गिरोह भी फलफूल रहा है, जो कि किशोरियों को बेचने में लगा है। राज्य के हर हिस्से में किशोरियों के बेचने की घटनाएं सामने आ रही हैं। पुलिस ऐसे गिरोह का पर्दाफाश भी कर रही है। आदिवासी और दलित वर्ग की युवतियों को बेचने का गिरोह उन इलाकों में सक्रिय है, जहां पर इस वर्ग का बाहुल्य है और उन सीधी-साधी किशोरियों को रोजगार के नाम पर महानगरों में लेकर जाकर बेचा जा रहा है। ऐसे गिरोह भी लोगों के नजर में आ गये हैं और पुलिस उन्हें पकड़ भी रही है, फिर भी वे किसी और माध्यम से अपना धंधा कर रहे हैं। दिलचस्प यह है कि किशोरियों के बेचने वाले गिरोह हर छह महीने में पकड़े जाते हैं और इस बात की पुलिस तफतीश नहीं करती है कि आखिरकार यह गिरोह पनप क्यों जाते हैं। कुछ लोगों का संदेह है कि पुलिस की मिलीभगत से ऐसे गिरोह पनपते हैं। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भी किशोरियों के बेचने का मामला सामने आते रहे हैं। अब 11 जनवरी, 2013 को राजधानी की पुलिस ने एक नाबालिग बच्ची को दो बार बेचने पर एक गिरोह को धर-दबोचा है। यह गिरोह मैरिज ब्यूरो के नाम पर किशोरियों को बहला-फुसलता था। राजधानी के छोला मंदिर इलाके में रहने वाले एक मजदूर की नाबालिग पुत्री आठवीं की छात्रा थी और वह 20 नवंबर, 2011 से संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गई थी, जिसकी पुलिस में रिपोर्ट भी दर्ज थी। इस नाबालिग किशोरी को इलाके का रहने वाला ओमकार बेरागी घुमाने-फिराने और शादी का सपना दिखाकर उसे घर से भगा ले गया था। आरोपी ने भोपाल स्टेशन पर पार्वती बाई नामक महिला को इस नाबालिग किशोरी को पांच हजार रूपये में बेच दिया था।
पार्वती बाई नाबालिग बच्ची को हरदा दे गई, जहां पर वह बच्ची से भीख मंगवाती थी। इंसानियत तब तार-तार हो गई, जब इस महिला ने नाबालिग बच्ची के हाथ और पैरों में लोहे के सरिया दाग दिये थे। जब हरदा में इस घटना की भनक लगी, तो लोगों ने पार्वती बाई का घर जला दिया, लेकिन पार्वती बाई इस बच्ची को लेकर इंदौर पहुंच गई, जहां पर उसने नाबालिग किशोरी को दस हजार रूपये में बेच दिया। जिन लोगों ने नाबालिग को खरीदा था वह उसकी शादी कराकर पैसा ऐंठनी की नियत से भोपाल में घूम रहे थे, तभी वह पुलिस की नजर में चढ़ गये और उन्हें धर पकड़ा गया। इससे पहले नाबालिग किशोरी ने अपनी मां को मोबाइल भी किया था। पुलिस ने जिस गिरोह को पकड़ा है वह गिरोह अब तक आधा दर्जन से अधिक लड़कियों को बेच चुका है। ऐसा नहीं है कि प्रदेश में लड़कियों को बेचने वाला गिरोह पहली बार पकड़ में नहीं आया है, बल्कि समय-समय पर ऐसे गिरोह पकड़ जा रहे हैं, लेकिन यह समझ से परे है कि आखिरकार विभिन्न इलाकों में ऐसे गिरोह पनप कैसे जाते हैं। उन पर पुलिस नजर क्यों नहीं रखती हैं। आदिवासी युवतियों को बेचने के मामले खूब सामने आ रहे हैं और खूब हल्ला भी मच रहा है, लेकिन फिर भी किसी भी स्तर पर कोई नीतिगत निर्णय नहीं हो पा रहा है।
''मध्यप्रदेश की जय हो''
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