मध्यप्रदेश भले ही अंधेरे में डूबा रहे। शिक्षा का प्रतिशत गिरता रहे। आम आदमी को बुनियादी सुविधाएं न मिले। प्रति-व्यक्ति आय में इजाफा न हो। मानव विकास में लगातार पिछड़ता रहे। न उद्योगों का जाल फैले और न ही रोजगार के रास्ते खुले जैसे अनगिनत सवाल राज्य में मुंह बाये खड़े हैं, लेकिन प्रदेश के राजनेताओं को इसकी कोई परवाह नहीं है। उन्हें तो अपनी राजनीति कैसे परवान चढ़े। किस प्रकार चमक-दमक का जीवन जीने का आनंद लें और आम जनता को दरकिनार करते हुए हवाई यात्राओं में डूबे रहे। जब मौका मिले तब जुबान खोलकर जो मर्जी आये उस पर टीका-टिप्पणी करें, भले ही उन टिप्पणियों का कितना ही समाज पर विपरीत असर पड़े इसकी उन्हें कोई परवाह नहीं है। यही वजह है कि प्रदेश की राजनीति में इन दिनों बयानबाजी के जरिये अपनी राजनीति चमकाने वाले नेताओं का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे-ऐसे बयान दिये जा रहे हैं जिन पर समाज की तीखी नाराजगी बढ़ती ही जा रही है। इसका राजनेताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। गैंगरेप जैसी गंभीर घटनाओं पर भी राजनेताओं का मजाकिया नजरिया चिंता का विषय है। जब से दिल्ली गैंगरेप की घटना ने पूरे समाज को उददोलित किया हुआ है उसके बाद से मप्र में शिवराज सरकार की कैबिनेट मंत्रियों द्वारा जो मर्जी आ रही है वह बोला जा रहा है। उनकी चिंता इस बात में नहीं है कि मप्र में भी गैंगरेप और बलात्कार की घटनाओं में जो इजाफा हुआ है उसे किस तरह रोके पर वे तो समाज सुधार की बातें करके अपने आपको महान राजनेता साबित करने पर तुले हुए हैं। बार-बार शिवराज सरकार के मंत्री बाबूलाल गौर, डॉ0रामकृष्ण कुसमरिया, युवतियों की ड्रेस को अपराधों के लिए दोषी मान रहे हैं और ड्रेस कोड की वकालत कर रहे हैं। उन्हें शायद यह नहीं मालूम है कि वैश्वीकरण के दौर में फेंशन डिजाइन एक बड़ा व्यवसाय बन गया है। तब कपड़ों के आधार पर अपराध कैसे कम होंगे। इसके लिए न सिर्फ पुलिस सजग हो, बल्कि समाज में भी जो बहशीपन आता जा रहा है उसे रोकने के लिए विचार किया जाना चाहिए। बयानों की इस कड़ी में उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने तो सारी सीमाएं ही तोड़ दी है। उन्होंने कहा है कि महिलाएं मर्यादा में रहे। अगर उन्होंने लक्ष्मण रेखा पार की तो सामने रावण बैठा है, जो सीताहरण करके ले जायेगा। इस बयान की तीखी आलोचना हो रही है। निश्चित रूप से यह बयान दिल और दिमाग को उत्तेजित करता है। आखिरकार कैबिनेट मंत्री विजयवर्गीय किस तरह का बयान देकर और क्या संदेश देना चाहते हैं यह तो वे ही बता सकते हैं। इससे एक बात तो साफ है कि भगवा बिग्रेड समाज के उन लोगों को और प्रोत्साहित कर रही है, जो कि महिलाओं की ड्रेस को लेकर फब्तिया तो सार्वजनिक स्थलों पर बयां करते ही हैं। ऐसे लोगों को मंत्री और प्रोत्साहित कर रहे हैं। इससे पहले भी विजयवर्गीय कह चुके हैं कि महिलाओं को श्रृंगार नहीं करना चाहिए, उससे उत्तेजना फैलती है पर उन्हें कौन बताये कि महिलाओं का गहना तो श्रृंगार है। यह सच है कि युवतियों का जो पहनावा है वह कहीं न कहीं एक मापदंड तो तोड़ रहा है, लेकिन यह सब बदलते हुए समाज की एक कड़ी है। आखिरकार हम कब तक विचारहीन बने रहेंगे, हमें बदलाव तो करना ही होगा। ऐसा नहीं है कि मप्र में सिर्फ शिवराज सरकार के मंत्री ही विवादास्पद बयान देते हैं। बयान देने में कांग्रेस महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी बड़े उस्ताद हैं। वे भी बयानों के जरिये विवादों में बने रहते हैं। उनकी ही लाइन में बयान देने वालों में कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष प्रभात झा भी शामिल हैं। यह नेता बयानबाजी करने की कला में तो खूब माहिर हैं, लेकिन प्रदेश के विकास पर भी जरा चिंता कर लें तो, न सिर्फ राज्य का भला होगा, बल्कि प्रदेश भी विकास के नये आयाम पर दस्तक देते नजर आयेगा। पर इससे राजनेताओं को कोई मतलब नहीं है। यही वजह है कि प्रदेश की राजनीति दिग्भ्रिमित हो रही है। मुद्दों पर कोई भी राजनेता बहस करने को तैयार नहीं है। सब अपने-अपने जाल में फंसे हुए हैं इसलिए प्रदेश समस्याओं के जाल में फंसता ही जा रहा है।
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