चुनावी साल में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल को चमकाने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जोर देने लगे हैं। पिछले साल भी भोपाल के विकास पर बैठक के साथ-साथ शहर का मुआयना करके विकास के कामों को करीब से देख चुके हैं मुख्यमंत्री।10 जनवरी, 2013 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंत्रालय में राजधानी के विकास को लेकर करीब 4 से 5 घंटे तक जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के साथ मंथन किया। इस चिंतन-मंथन में कोई नई योजना तो बाहर नहीं आई, बल्कि अफसरों को तीन माह का अल्टीमेटम मिल गया है कि वे सड़कों को सुधार लें, अगर कहीं भी कोई भी गड़बडि़या दिखी, तो फिर खैर नहीं। यहां तक कि मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन महीने बाद वे स्वयं सड़कों पर उतरकर वास्तविकता को देखेंगे।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के विकास को लेकर स्थानीय शासन मंत्री बाबूलाल गौर जिस तरह की पहल करते हैं, उसमें वे इस बार कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। विभिन्न-विभिन्न एजेंसियों के असहयोग के चलते विकास के उस पायदान पर नहीं पहुंच पाये, जो गौर का सपना था। सच कहा जाये, तो बीते चार सालों में भोपाल को कोई खास सौगात गौर नहीं दे पाये हैं, जो बीआरटीएस योजना के तहत चमचमाती सड़कें शहर में नजर आ रही है, उनमें ढेरो खामियां हैं। पिछले दो-तीन साल के दौरान इन सड़कों पर दुर्घटनाओं का ग्राफ ऐसा बढ़ा है कि ये सड़के अब मौत का मार्ग तक कहीं जाने लगी हैं। इन सड़कों की गुणवत्ता पर भी ढेरो सवाल उठ रहे हैं। बाते सड़कों तक सीमित नहीं हैं। राजधानी के विकास को लेकर जो गंभीरता सरकार को दिखानी चाहिए, उसमें अभी भी हम बहुत पीछे हैं। भोपाल की प्राकृतिक सौंदर्यता का कोई जवाब नहीं है। इस शहर के आसपास ऐतिहासिक इमारतें और ऐतिहासिक स्थल भी मौजूद हैं, जहां पर पर्यटकों को लुभाने के लिए भरसक कोशिश की जा सकती है। मसलन भोपाल के आसपास ही सांची, भीमबैठिका, भोजपुर जैसे स्थल मौजूद हैं, लेकिन सरकार फिर भी भोपाल के विकास में जो तेजी आनी चाहिए, वह कहीं नजर नहीं आ रही है। भोपाल में ही बड़ी झील का अपना महत्व है। इस झील को लगातार अतिक्रमणकारी खत्म कर रहे हैं, लेकिन सरकार की नींद नहीं खुल रही है। न तो सौंदर्यकरण की कोई योजना सामने आ रही है और न ही बड़े तालाब के पैकेज पर कोई ध्यान दिया जा रहा है। हालात यह हो गये हैं कि खूबसूरत शहर दिनों-दिन दम तोड़ रहे हैं। स्थानीय शासन मंत्री बाबूलाल गौर ने अपनी दिलचस्पी लेकर भोपाल को खूबसूरत तो बनाया है, लेकिन कई बार वे भी महसूस करते हैं कि उनके हाथ बंधे हुए हैं। अन्यथा वे भोपाल को विकास के मामले में ऊंचाईयों पर ले जाने की क्षमता रखते हैं। इसके बाद भी किसी भी स्तर पर विकास की गति धीमी ही चल रही है। यही वजह है कि भोपाल जिस रफ्तार से दौड़ना चाहिए, उसमें लगातार पिछड़ता जा रहा है। इसके लिए राजधानी के जनप्रतिनिधि बेहद जिम्मेदार है।
''मप्र की जय हो''
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