रविवार, 6 जनवरी 2013

भ्रष्‍टाचार की झूठी शिकायतों से खफा राजभवन

        भ्रष्‍टाचार की गंगा सरकारी कामकाज में खूब बह रही है। अधिकारी/ कर्मचारी नियमों को तोड़कर काम करने की कला में माहिर हो गये हैं। हर योजना में कहीं न कहीं कमियां मिल रहीइसके चलते योजनाओं में खुलकर भ्रष्‍टाचार हो रहा है। यही वजह है कि अब भ्रष्‍टाचार की शिकायतें विरोधियों ने खुलकर करने की बजाय पर्दे के पीछे करने का अभियान सा छेड़ दिया है। आजकल झूठी शिकायतें करने का भी चलन बढ़ गया है। इसके पीछे किसी को परेशान करने की मंशा भी होती है। मगर कहीं न कहीं उन झूठी शिकायतों में कोई न कोई तथ्‍य मिल जाते हैं अगर कोई पकड़ने वाला हो। भ्रष्‍टाचार की जांच करने वाली एजेंसियों ने तो ऐसी झूठी शिकायतों की फाइलें बनानी शुरू कर दी है और उन पर नजर भी रखते हैं। इसके विपरीत राजभवन ऐसी झूंठी शिकायतों से बेहद खफा हो गया है। यहां तक कि राज्‍यपाल राम नरेश यादव अब ऐसी शिकायतों के बारे में सार्वजनिक स्‍थलों पर बयां भी करने लगे हैं। 05 जनवरी, 2013 को बीयू के दीक्षांत समारोह में जब पत्रकारों ने विश्‍वविद्यालयों के खिलाफ लोकायुक्‍त एवं आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्‍यूरो की जांचों से संबंधित सवाल दागा, तो यादव ने कहा कि कई शिकायतें झूंठी साबित हुई हैं। इन शिकायतों के चलते राजभवन के रोजाना दो घंटे बर्बाद हो रहे हैं और परिणाम कुछ नहीं मिल रहे हैं। कई शिकायतें भ्रष्‍टाचार की आती है पर वे झूंठी पाई जाती हैं। पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस के दो पदाधिकारियों के नाम से भी राजभवन में शिकायतें मिली थी, जब राजभवन की ओर से कांग्रेस पदाधिकारियों से संपर्क किया गया, तो उन्‍होंने उन शिकायतों को करने से इंकार कर दिया। इससे राजभवन सतर्क हुआ है और अब शिकायतों के मामले में नये नजरिये से उनका आकलन किया जा रहा है। यह सच है कि झूठी शिकायतों में समय तो जया होता है, लेकिन उन शिकायतों में कहीं न कहीं कोई न कोई पहलू जरूर रहता है बस उन पर नजर गड़ाने की आवश्‍यकता होती है। 
                                        ''मध्‍यप्रदेश की जय हो''

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