गुरुवार, 3 जनवरी 2013

मध्‍यप्रदेश में शादियों के लिए 89 दिन शुभ

             अगर आप के परिवार में शादी-विवाह होना है, तो इस साल सिर्फ 89 दिन ही विवाह हो पायेंगे। ज्‍योतिषों का कहना है कि मप्र में इस साल विवाह के लिए कई दिन हैं। मार्च और उसके बाद अगस्‍त से अक्‍टूबर तक विवाह नहीं होंगे। जून महीने में सबसे कम 4 दिनों के विवाह मुर्हूत हैं। इस दौरान ही खुशियों का मौसम शुरू होगा, तो कहीं पर नई दुल्‍हन आयेगी, तो कहीं से लड़की की विदाई होगी। यह सिलसिला अनवरत चलना है। आजकल मप्र में भी विवाह एक व्‍यवसाय बनता जा रहा है। इसके लिए अलग-अलग स्‍टोल खुल गये हैं। अब तो महानगरों में ऐसी एजेंसियां भी काम कर रही है, जो कि विभाग की सारी तैयारियां करके दे दी हैं, बस दूल्‍हा-दुल्‍हन को तैयार होकर मंडल में पहुंचना है। यहां तक कि पंडि़त की व्‍यवस्‍था भी एजेंसियां करने लगी हैं। इसमें साज-सज्‍जा एवं खान-पान की व्‍यवस्‍था भी है। इससे साफ जाहिर है कि विवाह भी एक व्‍यवसाय बनता जा रहा है। इसमें ज्‍योतिषों की भी पौ-बारा है। अगर बात शुभ मुर्हूत की हैं, 
तो खरीदी के लिए भी इस साल समय काफी बेहतर है। पूरे साल पुष्‍पनक्षत्र सिर्फ 12 हैं, जो कि खरीदी के लिए श्रेष्‍ठ समय माना जाता है। शुभ मुर्हूत पूरे वर्ष में तीन गुरू, तीन रवि समेत 12 पुष्‍पनक्षत्र हैं। यानि खरीदारी के लिए पिछले साल से ज्‍यादा मौके लोगों को इस साल मिलने वाले हैं। व्‍यापारियों के लिए तो चांदी ही चांदी है। शादी विवाह के कारोबार ने लोगों को आराम दे दिया है और सारी व्‍यवस्‍था पैसे के बल पर हो रही है। इसके अलावा राज्‍य की एक तस्‍वीर और हैं, जिसमें आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में शादियों को लेकर जो उत्‍साह होता है, वह अपने आप में उल्‍लेखनीय है। वहां पर आज भी 15-15 दिनों तक शादियों को उत्‍सव चलते हैं और सारी व्‍यवस्‍था घर परिवार के लोग ही करते हैं। अभी वहां पर शहरीकरण प्रवेश तो कर गया है, लेकिन शादी-विवाह को इससे दूर ही रखा गया है। इससे साफ जाहिर है कि गांव में आज भी रिश्‍ते-नातों की अपनी एक अलग पहचान है। 
                                          ''मध्‍यप्रदेश की जय हो'' 

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