शनिवार, 19 जनवरी 2013

सडकों को एक एजेंसी के हवाले करने पर फिर पहल

            मध्‍य प्रदेश में सडकों की बदहाली पर एक बार फिर हर कहीं शोरगुल हो रहा है, सत्‍तापक्ष् भाजपा की  चिंता यह है कि विस चुनाव से पहले सडक चकाचक हो जाए, इसके लिए मुख्‍यमंत्री हर स्‍तर पर प्रयास तो कर रहे है पर सडकों का निर्माण एक दिन में नहीं होना वाला है इस वजह से सरकार का परेशान होना स्‍वाभाविक है, इस राज्‍य में सडकों का निर्माण आधा दर्जन से अधिक सरकारी विभाग  करते है जिसके चलते सडक कोई भी एजेंसी बनाए पर अगर वह जल्‍दी बदहाल की अवस्‍था में पहुंची तो जनता, मीडिया, जनप्रतिनिधि एक स्‍वर से लोक निर्माण विभाग को कोसना शुरू कर देते है, कई बार यह बात सामने आई है कि लोनिवि तो चुनिंदा ही सडकों का निर्माण कर रहा है पर बदनामी तो उसकी ही होती है इसके चलते अब राज्‍य के सीएस आर परशुराम ने मुख्‍यमंत्री शिवराजसिह चौहान को एक सलाह दी है कि शहरों की सारी सडकों की जिम्‍मेदारी लोनिवि को दे दी जाए, इसके पीछे का तर्क यह है कि इससे विभाग को सारी सडकों की जानकारी होगी और उनका समय समय पर रख रखाव हो सकेंगा, अभी तो हाल यह है कि शहरों और महानगरों में नगर निगम, विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड, जलसंसाधन विभाग, भोपाल में राजधानी परियोजना भी सडकों को बनाने में हाथ अजमा रहे है इससे सडकों की गुणवत्‍ता पर तो सवाल उठते ही रहते है इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों की सडकों का निर्माण् पंचायत एवं ग्रामीण विकास कर रहा है जिसके तहत प्रधानमंत्री सडक बनाई जा रही है तो मुख्‍यमंत्री सडक के नाम से भी योजनाएं चल रही है, इन सडकों का निर्माण सडक विकास प्राधिकरण कर रहा है, इससे साफ जाहिर रहे है कि राज्‍य में सडकों को निर्माण करने वाली एजेंसियों की संख्‍या काफी है, यह हालत वर्ष 1990 के बाद बनी है इससे पहले सारी सडकों का निर्माण लोनिवि ही करता था, अलग अलग एजेंसी के हिस्‍सों में सडकों का निर्माण जाने से लोनिवि ने तो राहत की सांस ली पर बदनामी  से विभाग बच नहीं पा रहा है, आलम यह है कि विभाग ने स्‍टेट हाइवे का काम सडक विकास निगम को दे रखा है जबकि राष्‍टीय राजमार्ग की चिंता भी विभाग नहीं कर रहा है अब जो एनएच विभाग ने ले लिए है उसके लिए विभाग को मेहनत करनी पडी रही है, सडको को लेकर विभाग में तो खूब चर्चा होती है पर आम आदमी इन सडकों को लेकर हर कहीं चर्चा करता है क्‍योकि सडकों से उसका रोज का ही वास्‍ता पड रहा है इस वजह से सडकों को लेकर नई नई कहानियां भी खुब बाजार में आती है विभाग के इंजीनियरों को भी सडकों के निर्माण व मरम्‍मत में खूब मजा आता है यही वजह है कि लोनिवि के इंजीनियर सडकों के निर्माण में जितनी रूचि लेते है उतनी वे भवन निर्माण मे नहीं लेते है, कुल मिलाकर मुख्‍यसचिव अभी तक तो अपने काम काज से कोई असर प्रशासन पर नही छोड पाए है पर अब सडकों को एक ही एजेंसी को देने की पहल करके वे विभाग को ताकत देने का काम कर रहे  है अब यह कब तक होता है यह तो नौकरशाही पर निर्भर करेंगा पर सीएस ने एक बेहतर सुझाव तो दे दिया है जिसकी प्रशंसा होनी ही चाहिए 1
                                               मप्र  की जय हो

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