पाकिस्तान के मंसूबों को सीमाओं पर ललकार कर चौंकसी करने वाले मध्यप्रदेश के वीर जवान सुधाकर सिंह के साहस, हिम्मत और देश सेवा को बार-बार नमन। इस जवान ने वह काम कर दिखाया है, जो कि हर मध्यप्रदेशवासी के लिए गौरव का विषय है। निश्चित रूप से हमें दुख भी है और अफसोस भी है कि हम अपने जवा साथी को खो चुके हैं, लेकिन फिर भी भारत-पाकिस्तान सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों की बर्बरता का शिकार मध्यप्रदेश का एक वीर जवान भी हुआ है, जो कि सीधी जिले के डढि़या गांव का निवासी है। इस घटना ने न सिर्फ पूरे मध्यप्रदेश को रूलाया और दुखी किया है, बल्कि विंध्य क्षेत्र में तो मातम छा गया है। उनके घर पर गमगीन माहौल है। 28 वर्षीय सुधाकर सिंह 5 सितंबर, 2012 को पिता बने थे और अभी महज 4 माह का उनका पुत्र है, पत्नी दुर्गा अपने पिता मानवेंद्र सिंह के पास रहकर बी0कॉम0 फायनल ईअर की पढ़ाई कर रही थी। पत्नी का रो-रो कर बुरा हाल है, लेकिन वह गर्व से कह रही है कि वह
अपने बेटे को भी सेना में भेजू्गी। निश्चित रूप से दिल दहला देने वाली घटना है, लेकिन सुधाकर सिंह का जांबाजी से लड़ना हम सबके लिए गौरव है। उसने वादा किया था कि जनवरी में गांव आयेगा और उसके लिए रिजर्वेशन भी करवा लिया था, लेकिन नियति की कहानी देखिए कि अब उसका पार्थिव शरीर गांव पहुंच गया है। सुधाकर के पिता सच्चिदानंद सिंह दुखी स्वर में कहते हैं कि बचपन से ही उसकी सेना में जाने की इच्छा थी वह कहा करता था कि एक दिन मरना ही है, तो देश के लिए मरेंगे, यह जज्वां और प्रेम देश के लिए उल्लेखनीय है। निश्चित रूप से सुधाकर सिंह की शहादत हमें सम्बल देती रहेगी। मध्यप्रदेश की जन्मभूमि पर पैदा एक वीर नायक के इस तरह से अबसान हो जाने से दुख सबको है, लेकिन गौरव भी है कि हमारा नायक दुश्मनों से टकराते हुए शहीद हुआ है, फिर भले ही दुश्मनों ने ऐसा घिनौना काम किया है जिसे कभी मांफ नहीं किया जा सकता है। मध्यप्रदेश में पाकिस्तान के खिलाफ स्थान-स्थान पर विरोध तीखा हो रहा है। लोग सड़कों पर उतरकर पाकिस्तान के पुतले जला रहे हैं। वीर जवान सुधाकर को बार-बार नमन।
''मध्यप्रदेश की जय हो''
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