भाजपा के बुजुर्ग नेता लालकृष्ण आडवाणी की प्रशंसा के भी कई मायने होते हैं। वे अगर अपने किसी प्रिय शिष्य को पसंद करते हैं, तो उसकी सार्वजनिक रूप से पीठ भी थप-थपाते हैं। कभी राजनीति में उनके प्रियतम शिष्य नरेंद्र मोदी हुआ करते थे, लेकिन मोदी ने बीच-बीच में जब आंखे दिखाई तो आडवाणी ने भी उनसे दूरियां बना ली। ऐसा भी नहीं है कि आडवाणी के शिष्य उंगलियों पर गिने जाये। उनके शिष्यों की लंबी कतार है, लेकिन इन दिनों वे सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कामों पर फिदा है। यही बात है कि वे लगातार बार-बार शिवराज सिंह चौहान की प्रशंसा के पुल बांध रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह की ताजपोशी के दौरान 23 जनवरी, 2013 को एक बार फिर आडवाणी ने मप्र सरकार के कामकाज की जमकर तारीफ की और मुख्यमंत्री चौहान को बधाई भी दी। उन्होंने कहा कि इसी महीने जब राष्ट्रपति भवन में मप्र के मुख्यमंत्री को कृषि विकास दर में देश भर में अव्वल आने पर सम्मानित किया जा रहा था, तब उनका सिर और ऊंचा हो गया। क्योंकि मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि विकास दर में वह काम करके दिखा दिया, जो कि सामान्यत: हर राज्य नहीं कर पा रहा हैं। आज कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश नंबर वन पर आ गया है। भाजपा अध्यक्ष बने राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में तो कोई तारीफ नहीं की, लेकिन उन्हें किसान नेता कहा जाता है। इसलिए वे भी आडवाणी की बात पर मंद-मंद मुस्कराते देखे गये। ऐसा नहीं है कि आडवाणी ने पहली बार शिवराज की तारीफ की है। इसके पहले जब तीर्थदर्शन योजना का शुभारंभ करने भोपाल आये थे, तब भी उन्होंने अपने ब्लॉग पर इस योजना की खूब प्रशंसा की थी जिसकी मीडिया में खबरे भी बनी थी। चौहान को आडवाणी पिछले दो दशक से पसंद कर रहे हैं। दिल्ली दरवार में जब-जब चौहान को आडवाणी ने जो भी काम दिया, तब-तब चौहान उस पर खरे उतरे। यही वजह हैकि कोई एक दशक पहले अविभाजित मध्यप्रदेश में जब भाजपा में जबर्दस्त आंतरिक संघर्ष चल रहा था, तो आडवाणी ने मध्यप्रदेश के चुनिंदा नेताओं को अपने बंगले बुलाया और उन्हें एक कमरे में प्रवेश कराकर यह निर्देश दिये कि आज और अभी यह तय कर लें कि मध्यप्रदेश का अगला अध्यक्ष कौन होगा। आडवाणी के इस निवास पर हुई बैठक में भाजपा नेता कुशाभाऊ ठाकरे, सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी, लक्ष्मी नारायण पांडेय सहित आदि शामिल थे। इन नेताओं ने 5 मिनिट के भीतर अगले अध्यक्ष के रूप में लक्ष्मीनारायण पांडेय का नाम तय करके बताया। इस पर आडवाणी ने सब नेताओं की प्रशंसा की, लेकिन इसके साथ उन्होंने कहा कि प्रदेश महामंत्री का दायित्व शिवराज सिंह चौहान संभालेंगे। इस पर सारे नेता सहमत हो गये। मप्र के इतिहास में संभवत: यह पहला मौका था, जब राष्ट्रीय स्तर से सीधे महामंत्री पद किसी की नियुक्ति हुई हो, तो वह शिवराज सिंह चौहान ही थे। इससे साफ जाहिर है कि आडवाणी दो दशक पहले से चौहान को पसंद करते थे। मुख्यमंत्री बनने के बाद तो चौहान के कामकाज से वे लगातार प्रभावित हो रहे हैं और उन्होंने हरसंभव प्रदेश को मदद भी की है। चौहान की तारीफ यह साबित करती है कि लालकृष्ण आडवाणी की नजर में चौहान किस तरह छाये हुए हैं और भविष्य में भी चौहान के कामकाज की प्रशंसा वे करते रहेंगे।निश्चित रूप से मुख्यमंत्री चौहान की प्रशंसा कई मायने में उल्लेखनीय है। आडवाणी द्वारा उन्हें पसंद करना अपने आप में यह साबित करता है कि चौहान किस तरह से अपने मार्ग पर चल रहे हैं।
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