बेहद ही दुखद पूर्ण पहलू है कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार गाय को अपनी माता मानकर सुबह-शाम उसका जप कर रहे हैं, लेकिन तब भी गाय की तस्करी थम नहीं रही है। राज्य के कई हिस्सों से गायों की तस्करी हो रही है। एक बड़ा माफिया राज्य की सीमाओं में गाय की तस्करी में जुटा हुआ है। इसकी जानकारी आला अधिकारियों को भी है। गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता और पशु चिकित्सा मंत्री अजय विश्नोई भी तस्करी से बाकिफ हैं, लेकिन फिर भी तस्करी रोकने के लिए कोई कड़े कदम नहीं उठाये गये हैं। इससे खफा होकर भाजपा की ही सांसद मेनिका गांधी ने 07 जनवरी, 2013 को अपने भोपाल प्रवास के दौरान गाय की तस्करी पर वन मंत्री को खरी खोटी सुनाई और उन्होंने यहां तक कह दिया कि वन मंत्री तो तस्करों से मिले हुए हैं और उन्हीं की मिली भगत से तस्करी हो रही है। बार-बार सरकार एक ही बात कहती है कि गायों की तस्करी रोकने के लिए गौ संवर्धन कानून बना हुआ है जिसमें तस्करों को आजीवन कारावास की भी सजा का प्रावधान है। इसके बाद भी मप्र की सीमा से जुड़े इलाकों में गायों
की तस्करी लगातार जारी है। विशेषकर महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तरप्रदेश तथा गुजरात में गाय की तस्करी की जा रही है। मध्यप्रदेश में महाराष्ट्र की सीमा बैतूल और खंडवा से प्रवेश करती है, इन्हीं मार्गों से तस्करी हो रही है, तो बालाघाट जिले से भी बूढ़ी गाय एवं बैलों को तस्करों के हवाले किया जा रहा है। यही हाल यूपी और राजस्थान तथा गुजरात की सीमाओं पर भी तस्करी हो रही है। इस मामले में शिकारियों और तस्करों ने एक गिरोह बना लिया है, जो कि सुनियोजित तरीकों से तस्करी में लगे हुए हैं। इन्हें सरकार के कुछ लोगों का संरक्षण है जिसके चलते गाय की तस्करी हो रही है। भाजपा सांसद मेनिका गांधी ने वन मंत्री सरताज सिंह पर तीखे हमले करते हुए कहा है कि मप्र में मंत्रियों और शिकारियों की मिली भगत से तस्करी हो रही है इसके साथ ही वन मंत्री रिसोर्ट और होटल माफिया से भी मिले हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि यदि किसी की सतर्कता से पकड़े भी जाते हैं, तो पुलिस उन्हें रिश्वत लेकर छोड़ भी देती है। निश्चित रूप से मप्र में गाय की तस्करी होना दुखद पहलू है। इसके लिए किसी भी स्तर पर सख्त से सख्त कार्यवाही होना चाहिए, अन्यथा मप्र से गाय की तस्करी यूं ही अनवरत चलती रहेगी और हम चुपचाप देखते रहेंगे। कम से कम संघ परिवार के प्रति बेहद आस्था रखने वाली भाजपा सरकार को गाय की तस्करी रोकने के लिए तत्काल प्रभाव से अभियान चलाकर गाय तस्करों को पकड़ना चाहिए।
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