मध्यप्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी में इन दिनों एक नया सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है। क्या सरकारी मशीनरी में नया इतिहास दर्ज होने वाला है। फिलहाल तो मंथन, चिंतन हो रहा है, परिणाम फाइलों तक पहुंच गया है। विषय है ''राज्य के मुख्य सचिव आर0परशुराम का छह माह का कार्यकाल बढ़ाना''। प्रदेश के सीएस आर0परशुराम 31 मार्च, 2013 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी सेवावृद्वि के बाद कौन नया सीएस होगा, इसके लिए चर्चा तो पिछले छह महीनों से चल रही है। आधा दर्जन आईएएस अधिकारी सीएस बनने की कतार में हैं। वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सीएस का बेहतर समन्वय है जिसके फलस्वरूप सीएम ने मुख्य सचिव पर भरोसा जताते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाने के लिए प्रस्ताव केंद्रीय कार्मिक विभाग को भेज दिया है। इस प्रस्ताव से वरिष्ठ अधिकारियों की उम्मीदों पर फिलहाल पानी तो फिर गया है, लेकिन यह भी एक बड़ा सवाल है कि अगर सीएस को छह महीने की सेवावृद्वि दी गई, तब भी उनका सितंबर महीने में खत्म हो जायेगा, तब फिर सरकार को नया सीएस लाना पड़ेगा। उस दौरान राज्य में चुनावी का वातावरण पूरी तरह बन चुका होगा। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री के सामने बड़ा धर्म संकट खड़ा हो गया है कि वे नये सीएस को मैदान में उतारे अथवा पुराने सीएस के जरिये ही चुनाव मैदान का सामना करें। सितंबर के बाद तो नया सीएस लाना ही पड़ेगा। मध्यप्रदेश में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, दिसंबर माह में नई सरकार का गठित हो जायेगी। वर्तमान मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री के बीच कामकाज को लेकर कहीं कोई टकराव नहीं हैं। इसके फलस्वरूप ही मुख्यमंत्री ने केंद्र को सीएस की सेवावृद्वि का प्रस्ताव भेजा है। केंद्र सरकार मुख्य सचिव के कार्यकाल में वृद्वि अखिल भारतीय डेथ.कम.रिटायरमेंट नियम'1958 के नियम 16(3) के तहत करती है। इससे साफ जाहिर है कि राज्य सरकार ने सीएस के कार्यकाल में सेवावृद्वि का मानस बना लिया है, लेकिन आगे क्या होगा यह सवाल हर तरफ गूंज रहा है। चुनाव प्रचार के दौरान अगर नये मुख्य सचिव का प्रवेश होगा, तो फिर निश्चित रूप से राज्य में व्यवस्थाओं में आमूल-चूल बदलाव होगा, जो कि सरकार की सेहत के लिए अनुकूल नहीं रहेगा।
''मध्यप्रदेश की जय हो''
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
EXCILENT BLOG