गुरुवार, 1 नवंबर 2012

पग-पग अपनी नई राह बना रहा मध्‍यप्रदेश

         मध्‍यप्रदेश ने आज 01 नवंबर, 2012 को अपने 56 साल पूरे कर लिये। अब नये बदलाव के साथ 57वें वर्ष में राज्‍य प्रवेश कर गया। इस परिवर्तन में आम आदमी की भागीदारी भी धीरे-धीरे हो रही है। पग-पग अपनी नई राह मध्‍यप्रदेश बना रहा है। जो संसाधन है उसके सहारे अपनी ताकत को पूरी करने में जुटा है। जहां कमी है उसे स्‍वीकार कर नई मंजिल पर छूने की बेताबी साफ तौर पर नजर आती है। बार-बार मध्‍यप्रदेश को बीमारू और पंगु कहा गया, लेकिन धीरे-धीरे इस धुंधली तस्‍वीर से भी राज्‍य बाहर निकल आया है। अब कोई भी मध्‍यप्रदेश को उस नजर से नहीं देख रहा है, जो कि आज से एक दशक पहले स्थितियां बन गई थी। अब तो हम अन्‍य विकासशील राज्‍यों से कदमताल कर रहे हैं। हमारी योजनाएं अन्‍य राज्‍य स्‍वीकार कर रहे हैं फिर चाहे उत्‍तर हो या दक्षिण भारत के राज्‍य अब मध्‍यप्रदेश की योजनाओं को स्‍वीकार कर अपने यहां अंगीकार कर रहे हैं। यह राज्‍य के लिए शुभ लक्ष्‍ाण है, क्‍योंकि प्रदेश की योजनाएं अगर दूसरा राज्‍य स्‍वीकार कर रहा है, तो निश्चित रूप से हम जिस धारा में बहना चाहते हैं उसके निकट पहुंच रहे हैं। अभी भी राज्‍य के नवनिर्माण के लिए उन योजनाओं को ज्‍यादा स्‍वीकार करना है, जिनसे आम आदमी का विकास हो सके। कई स्‍तर पर विकास योजनाएं निश्चित रूप से जो परिणाम देना चाहिए वह नहीं दे पाती हैं। इसके बाद भी उन योजनाओं की खामियों को विचार करके नये सिरे से लागू करना चाहिए। 
       यह राज्‍य के लिए एक सुखद पहलू है कि वर्ष 2011-12 में हमने 12 फीसदी आर्थिक विकास दर हासिल की है पर फिर भी मध्‍यप्रदेश अभी भी देश के विकसित राज्‍यों से बहुत पीछे हैं। ऐसा नहीं है कि हम देश के अग्रणी राज्‍य नहीं बन सकते। पूरी क्षमताएं और संसाधन है। प्राकृतिक संसाधन तथा सशक्‍त संसाधन मौजूद हैं बस उनका उपयोग करने की जरूरत है। अभी भी मध्‍यप्रदेश स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा, पर्यटन, सड़क, परिवहन, उद्योग, निवेश, बिजली, ग्रामीण क्षेत्र आदि में अन्‍य राज्‍यों से पीछे है, लेकिन धीरे-धीरे अपने विकास की गति बढ़ाई जा रही है जिसके परिणाम नजर भी आने लगे हैं। यही वजह है कि स्‍वर्णिम राज्‍य और आओ बनाएं मध्‍यप्रदेश के सपने बुने जा रहे हैं। इससे एक कदम आगे बढ़कर विकास की नई परिकल्‍पनाएं फाइलों से बाहर निकल रही है, जो कि शुभ संकेत है। 
इरादा : 
  • प्रदेश के गौरव की भावना को जागृत करने के लिए हम सतत् सक्रिय है। मप्र स्‍वर्णिम राज्‍य और अपना प्रदेश बनाओ अभियान के बाद अब अपना गांव चलाने का संकल्‍प है इसके पीछे का मकसद जो गांव अपने बलबूते पर अच्‍छा काम करेंगे, उन्‍हें विकास में ज्‍यादा राशि दी जायेगी। - शिवराज सिंह चौहान, मुख्‍यमंत्री, मध्‍यप्रदेश।       
  • जब व्‍यक्ति अपने जन्‍मदिन और विवाह समारोह पर करोड़ों रूपये खर्च कर सकता है, तो फिर प्रदेश का जन्‍मदिन जोर-शोर से क्‍यों न मनाया जाये, आखिरकार यह हमारे गौरव से जुड़ा हुआ क्षण है। - लक्ष्‍मीकांत शर्मा, संस्‍कृति मंत्री।      
फोकस पाइंट: 
  • वर्ष 2001-2011 तक 20.30 प्रतिशत आबादी बढ़ी
  • प्रदेश में 4 बड़े शहर - इंदौर, भोपाल, ग्‍वालियर एवं जबलपुर
  • 52,114 गांव, जिनमें 56 फीसदी में आज भी बिजली नहीं
  •  स्‍वास्‍थ्‍य खर्च - 214 रूपये प्रति व्‍यक्ति हो रहा है
  • साक्षरता दर - 74 प्रतिशत है। बढ़ाने के हर स्‍तर पर प्रयास
  • 2012 में विदेशी पर्यटक मप्र में आये - 2.69 लाख 
  • बिजली कमी से जूझ रहा प्रदेश - 20 प्रतिशत 
यह है हमारी कमजोरी : 
  • 36 जिलों में ग्रामीण आबादी ज्‍यादा
  • 29 जिलों में ज्‍यादातर ग्रामीण बेरोजगार 
  • 01 लाख की आबादी के क्षेत्र विकास से दूर

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