सोमवार, 26 नवंबर 2012

किसानों को लेकर फिर मैदान में उतर रही है कांग्रेस

         मध्‍यप्रदेश का अन्‍नदाता हताश और निराश है। अपने-अपने स्‍तर पर किसानों ने सरकार के खिलाफ जंग छेड़ रखी है। किसानों का न कोई नेता है और न ही किसी के नेतृत्‍व में आंदोलन किया जा रहा है। भारतीय किसान संघ के नेता रहे शिव कुमार शर्मा ने किसानों का नेतृत्‍व करके किसान नेता की छवि बनाई, लेकिन उनकी ही सरकार ने पूरी छवि तार-तार कर दी। अब शर्मा अकेले अपने दम पर किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। किसानों की समस्‍याएं नित-प्रति बढ़ती ही जा रही है। न तो समय पर किसानों को बीज मिल रहा है और न ही खाद मिल रही है। इसके लिए किसानों को लंबी-लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है इसके बाद खाद नसीब हो जाये, तो इसके लिए वे बड़ी कामयाबी मानते हैं। कई स्‍थानों पर खाद-बीज को लेकर किसानों ने पुलिस के डंडे भी खाये हैं। बिजली और सिंचाई हेतु पानी भी किसानों के लिए एक सिरदर्द बना हुआ है। ऐसी स्थिति में राज्‍य का किसान बेहाल और बदहाल हो गया है। प्रकृति की मार से हर साल सामना कर रहा है। ऐसा कोई वर्ष नहीं गुजरता जब बिन मौसम बारिश होने लगती है, तो कभी गर्मी ज्‍यादा पड़ती है, तो कभी शर्दी का असर दिखने लगता है। इसका प्रभाव खेती पर दिखता है। निश्चित रूप से मध्‍यप्रदेश का मौसम पल-पल बदल रहा है। इस दिशा में कोई भी सोचने को तैयार नहीं है। कृषि विभाग गहरी नींद में है। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जरूर किसानों की चिंता है और वे समय-समय पर किसानों के हितों को लेकर निर्णय भी कर रहे हैं और उनकी समीक्षा भी कर रहे हैं। इसके बावजूद मध्‍यप्रदेश का किसान कदम-कदम पर लुट रहा है। अब किसानों के बीच कांग्रेस ने भी जाने का एलान कर दिया है। किसानों के बीच एक नई समस्‍या भूमि अधिग्रहण खड़ी हो गई है। इसके चलते राज्‍य में कटनी, डिंडोरी, शहडोल, छिंदवाड़ा में किसानों की भूमि को लेकर खूब हल्‍ला मच रहा है। किसान भी आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतर आये हैं। दिलचस्‍प यह है कि जिन दलों की ताकत उंगलियों पर गिनी जा सकती है, वे दल किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। माकपा के राज्‍य सचिव बदल सरोज, जनता दल यू के अध्‍यक्ष गोविंद यादव, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष रघु ठाकुर अलग-अलग स्‍तर पर किसानों की भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्‍व कर रहे हैं। छिंदवाड़ा में पूर्व विधायक डॉ0 सुनीलम के समर्थक आंदोलन छेड़े हुए है। जहां मेघा पाटकर भी गिरफ्तारी दे चुकी हैं। अब भूमि अधिग्रहण के खिलाफ कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल लिया है। कांग्रेस विधायक दल के नेता दो दिसंबर को कटनी जिले के बहरी से एक बड़ा आंदोलन शुरू कर रहे हैं। इस आंदोलन में कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद, दिग्विजय सिंह, भूरिया, अजय सिंह सहित आदि शिरकत करेंगे। पार्टी ने पदाधिकारियों और विधायकों को आंदोलन में हिस्‍सा लेने के लिए निर्देश दे दिये हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा भी चुप बैठने वाली नहीं है। वह भी किसानों को लेकर समय-समय पर आंदोलन का रास्‍ता अख्यितार किए हुए हैं। मुख्‍यमंत्री स्‍वयं किसानों की मांगों को लेकर आंदोलन का नेतृत्‍व करते रहे हैं। मगर उनका हमला केंद्र सरकार पर होता है। अक्‍सर चौहान कहते रहे हैं कि केंद्र सरकार समय पर खाद नहीं देती है जिसके चलते समस्‍याएं खड़ी होती है। कुल मिलाकर एक बार फिर से किसान मप्र में केंद्र बिन्‍दु बन गया है। किसानों पर जबर्दस्‍त बयानबाजी हो रही है। इन सब से हटकर अन्‍नदाता अपनी समस्‍याओं से बाहर निकलने के रास्‍ते स्‍वयं बुन रहा है। उसे समझ में नहीं आ रहा है वह किसकी तरफ जाये। 
                                          जय हो मप्र की

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