रविवार, 25 नवंबर 2012

विकास बनाम छलावा

पिछडे राज्‍य की संज्ञा से धीरे धीरे बाहर आने के लिए बैचेन मध्‍य प्रदेश में विकास की आशा की उम्‍मीद तो जागी है, पर कभी कभी लगता है कि कहीं विकास के नाम पर छलावा तो नहीं हो रहा है, बार बार राज्‍य के सीएम चौहान कह रहे है कि विकास दर में इजाफा हो गया है अभी भी प्रतिव्‍यक्ति आय में  मध्‍य प्रदेश छग से  पीछे है, इस मामले में पंजाब, महाराष्‍ट, गुजरात, हरियाणा दिल्‍ली से भी पीछे है इसके बाद राजनीति में बडी बडी डींगे हांकने वाले राजनेताओं के मुंह तो कभी भी प्रतिव्‍यक्ति आय बढाने पर विचार तक नहीं खुलते है, यह सच है कि मप्र में लोगो की आय में इजाफा हुआ, खर्च करने की क्षमता में बढोत्‍तरी हुई  इस बात को उघोग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय कह चुके है,इसके साथ ही विकास का चरण भी धीरे धीरे चल रहा है पर आर्थिक्‍ विशेषज्ञ राजेंद्र कोठारी कहते है कि  विकास दर का बढना राज्‍य के साथ छलावा है हम उस दिशा में विचार ही नहीं कर रहे है कि प्रतिव्‍यक्त्‍िा आय में इजाफा हो, ऐसी नीतियां भी नहीं बन रही है, प्रदेश की उम्र में इजाफा हो रहा है पर वैसा विकास नहीं हुआ है जैसा हो जाना चाहिए आज भी प्रदेश के कई हिस्‍सों से पलायन हो रहा है, किसान आत्‍महत्‍या कर रहा है, बेटियों की तस्‍करी हो रही है, कुपोषण का कलंक बना हुआ है ऐसे अनगिनत सवाल आज भी मौजूं हूं, इस सब के बाद भी स्‍वर्धिम राज्‍य बनाने का सपना तो बुना गया पर यह सच है कि उस पहल नहीं हो रही है किसी भी क्षेत्र में भविष्‍य की योजनाएं नहीं बनाई जा रही है जो वर्तमान समस्‍याएं सामने आ रही है उनका ही निराकरण किया जा रहा है, विकास का चक्र चलाने में राजनेताओं की तो रूचि है ही नहीं पर नौकरशाही का भी यही हाल है तब विकास का पहिया तेज कहां से चल पाएगा पर फिर भी विकास के पहलुओं पर विचार के स्‍तर पर एक कदम तो आगे बढे है  यही शुभ संकेत है।                                                             

                                                                  जय हो मप्र की 

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