मंगलवार, 6 नवंबर 2012

उत्‍सव और त्‍यौंहार की बयार फिर बही मध्‍यप्रदेश में


             मध्‍यप्रदेश में उत्‍सव और त्‍यौंहार के अपने अलग-अलग रूप हैं। यह राज्‍य उत्‍सवधर्मी है।किसी न किसी हिस्‍से में कोई न कोई उत्‍सव चलता रहता है। सरकार की ओर से सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों के जरिये उत्‍सव का माहौल बना रहता है। अपने-अपने ढंग से कालाओं का प्रदर्शन लगातार हो रहा है। जब उत्‍सव थम जाते हैं, तो त्‍यौंहारों का दौर शुरू हो जाता है। परंपराओं और मान्‍यताओं पर अटूट विश्‍वास राज्‍य के लोगों में है। यही वजह है कि हर छोटा-बड़ा उत्‍सव धूमधाम से मनाया जाता है। इन दिनों दीप पर्व का उत्‍सव शुरू हो गया है। राज्‍य के हर हिस्‍से में खुशियों के दीप जलाने का सिलसिला शुरू हो गया है। बाजार सजकर तैयार हैं, जनता बाजारों में खरीदारी करने के लिए टूट पड़ रही है। घरों की साज-सज्‍जा हो रही है यानि त्‍यौंहार से पहले ही उसके आगमन की खूब तै‍यारियों में लोग डूबे हैं। हिन्‍दुओं का सबसे बड़ा पर्व दीप पर्व है। इस त्‍यौंहार को राज्‍य में सबसे जोर-शोर से और उत्‍सव से मानने का सिलसिला वर्षों से चल रहा है। इसके अलावा अन्‍य त्‍यौंहारों की लंबी फेहरिस्‍त हैं, लेकिन जितना जोश दीप पर्व में उतना कम ही त्‍यौंहारों में नजर आता है। इस त्‍यौंहारों की खुशियों में गरीब से लेकर अमीर तक डूबा रहता है। यही खासियत है इस विविधता से भरे राज्‍य में।  
कदम-कदम साथ : 
        कदम-कदम पर साथ चलने की कलायें मध्‍यप्रदेश के वाशिंदों से सीखना चाहिए। यहां पर न तो किसी से कोई विवाद होता है और न ही कोई आंखे दिखाता है। कभी-कभार दो वर्गों में विवाद हो जाते हैं, लेकिन बाद में बस एक होकर अपनी-अपनी दुनिया में डूब जाते हैं। इसी सरोकार के चलते राज्‍य की भूमि में ऐसा मिश्रण है कि लोग एक साथ चलते नजर आते हैं। कहीं कोई विरोध, असंतोष, नाराजगी नजर नहीं आती है। इक्‍का-दुक्‍का लोग व्‍यवस्‍था के खिलाफ बोलते नजर आते हैं। यही वजह है कि मध्‍यप्रदेश में विरोधी तेवर अक्‍सर शांत से रहते हैं। न तो बिहार, यूपी की तरह राजनेता एक-दूसरे को ललकारते नजर आते हैं और न ही खामियां निकालते हैं, बल्कि दिखावे के लिए राजनीति चमकाना उनका सगल हो गया है। यही हालत आम आदमी में दिखती है। अमूमन शांतिप्रिय राज्‍य में अपने-अपने ढंग से लोग उत्‍सव मनाकर खुशियों में डूबे रहते हैं, वे न तो उन खुशियों का विस्‍तार करते हैं और न ही उसे व्‍यापक रूप देने में उनका विश्‍वास है। अपने आसपास के लोगों के बीच खुशियों को बांटकर अपनी जिंदगी की गाड़ी बढ़ते रहते हैं।

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