गुरुवार, 8 नवंबर 2012

रामपथ को भूली सरकार

 
            भगवान राम मध्‍यप्रदेश में जहां-जहां से गुजरे हैं उन स्‍थानों को धार्मिक और पर्यटन स्‍थल के रूप में विकसित करने की योजना को भाजपा सरकार भूल गई है। राज्‍य सरकार द्वारा गठित समिति ने भगवान राम के पथ तो खोज लिये हैं, लेकिन उसके बाद की रिपोर्ट मंत्रालय की फाइलों में कहीं गुम हो गई है। योजना के तहत पर्यटन पुरातत्‍व, लोक निर्माण विभाग योजना आयोग को रामपथ मार्ग विकसित करने का जिम्‍मा सौंपा गया था, लेकिन यह योजना एक कदम आगे भी नहीं बढ़ पाई है। भगवान राम का जप करने वाली प्रदेश सरकार ने ''राम वन गमन पथ मार्ग'' तो खोज लिये हैं, लेकिन उन्‍हें विकसित नहीं किया जा रहा है। दिलचस्‍प बात यह है कि वर्ष 2011 में इस मार्ग की प्रथम और द्वितीय चरण का प्रतिवेदन मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपा जा चुका है, परंतु एक वर्ष बाद भी प्रतिवेदन के अंतर्गत होने वाले विकास कामों पर न तो कोई योजना बनी और न ही जमीन पर उसका अमल हो पाया। हर विभाग अपने-अपने तर्क दे रहा है, लेकिन कोई यह बताने को तैयार नहीं है कि आखिरकार इस पथ के विकास का काम कब होगा। 
इसलिए खोजे गये थे मार्ग : 
     मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 01 अक्‍टूबर, 2007 को चि‍त्रकूट में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान एलान किया था कि भगवान राम ने वनवास के दौरान पत्‍नी सीता और भाई लक्ष्‍मण के साथ मध्‍यप्रदेश में जिन-जिन स्‍थानों से गुजरे थे, उन्‍हें राम वन गमन पथ के रूप में विकसित कर संरक्षित किया जायेगा। इन क्षेत्रों का उत्‍थान कर राम स्‍मृति संग्रहालय, रामलीला केंद्र, नये गुरूकुल एवं आश्रमों की स्‍थापना की जायेगी। 
क्‍या है राम वन गमन पथ मार्ग : 
     पौराणिक मान्‍यता है कि भगवान राम वनवास के समय मध्‍यप्रदेश के जंगलों से गुजरे हैं, इन मार्गों को चिन्हित करने के लिए 'राम वन गमन पथ मार्ग' का नाम दिया गया। संस्‍कृति विभाग का मानना है कि भगवान राम चित्रकूट साढ़े ग्‍यारह साल रूके थे। इसके बाद सतना, पन्‍ना, शहडोल, जबलपुर, विदिशा के वन क्षेत्रों से होकर दंडकारण्‍य चले गये थे, वे नचना, भरहुत, उचेहरा, भेड़ाघाट एवं बाधवगढ़ होते हुए छत्‍तीसगढ़ गये थे। 
क्‍या है रिपोर्ट में : 
      संस्‍कृति विभाग ने भगवान राम वन गमन पथ मार्गों के अध्‍ययन एवं शोध के लिए 11 सदस्‍यीय कमेटी गठित की थी। इस समिति के संयोजन का दायित्‍व अवधेश प्रसाद पाण्‍डेय को सौंपा गया था। समिति ने दो चरणों में मार्गों का अध्‍ययन किया। पहला चरण समिति ने 1-9 मार्च, 2009 तक 9 दिवसीय शोधयात्रा चित्रकूट से बाधवगढ़ तक की। इस दौरान समिति को भगवान राम के वन गमन मार्गों के पुरातात्विक, ऐतिहासिक एवं पौराणिक साक्ष्‍य मिले हैं। समिति का दूसरा चरण 7 दिवसीय रहा, जो वर्ष 2010 में पूरा हुआ। इस रिपोर्ट में कहा गया कि भगवान राम वन गमन पथ मार्गों के विषय में रामकथा के प्रमाणित ग्रंथों में आयोध्‍या से चित्रकूट तक के स्‍थलों और मार्गों का उल्‍लेख मिलता है। इन स्‍थानों को पर्यटन और तीर्थ स्‍थल कैसे बनाया जाये, इसका विस्‍तार से उल्‍लेख है। दिलचस्‍प यह है कि भाजपा सरकार के प्रतिनिधि भगवान राम को अपना आराध्‍य देव मानते हैं, लेकिन फिर भी मप्र में उनके मार्गों को विकसित करने का काम अधर में  लटका हुआ है। यहां तक कि यह तय नहीं हो पा रहा है कि आखिरकार इस रिपोर्ट पर काम कौन करेगा। यही वजह है कि रिपोर्ट फाइलों का अंग बनकर रह गई है। 
रिपोर्ट और पक्ष : 
  • राम वन गमन पथ मार्ग की रिपोर्ट मुख्‍यमंत्री को वर्ष 2011 में सौंपी जा चुकी है अब इस पर दीर्घकालिक योजना तैयार कराई जायेगी। विभागों की एक संयुक्‍त बैठक बुलायेंगे, जिसमें अलग-अलग कार्ययोजना विभागों को सौंपी जायेगी, हमारा इरादा है कि राम वन गमन पथ मार्गों को तीर्थ स्‍थल के रूप में विकसित किया जाये, ताकि आम आदमी उन तक पहुंच सके। - लक्ष्‍मीकांत शर्मा, संस्‍कृति मंत्री मध्‍यप्रदेश। 
  • भगवान राम के पथ मार्गों को चिन्हित कर एक प्रमाणित रिपोर्ट हमने संस्‍कृति विभाग को सौंप दी है। मार्गों को चिन्हित करने के साथ-साथ उन स्‍थानों पर किस तरह के निर्माण कार्य एवं विकास योजना तैयार करनी है यह रिपोर्ट भी दी जा चुकी है। करीब 33 करोड़ के प्रोजेक्‍ट दिये गये हैं अब सरकार को उन पर अमल करना है। - अवधेश प्रसाद पांडेय, संयोजक, राम वन गमन पथ विकास मार्ग।

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