राजनीति की धारा में अपनी अलग पहचान बनाना सबसे जटिल काम है। वर्तमान राजनीति कदम-कदम पर कलुषित हो रही है, ऐसी स्थिति में राजनीति करना भी राजनेताओं के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। इस कठिन दौर में भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी राजनीति की लाइन बिल्कुल अलग-थलग बनाने की कोशिश में है जिसमें वे सामाजिक सरोकारों से न सिर्फ जुड़ रहे हैं, बल्कि समाज में डूब कर अपनी अलग पहचान स्थापित कर रहे हैं। इस अभियान में उनकी कड़ी है 'बेटियां'। वे समर्पित भाव से बेटियों के लिए काम कर रहे हैं। न सिर्फ कन्यादान के जरिये अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं, बल्कि बेटी बचाओ अभियान चलाकर घर-घर में यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि बेटी तो परिवार की शान है। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के कई हिस्सों में न सिर्फ सम्मेलन किये, बल्कि रोड शो के जरिये बेटी बचाओ अभियान का प्रचार अभियान भी चलाया। हो सकता है इसके परिणाम मिलने में देरी लगे, लेकिन फिर भी वे लगातार बेटियों के लिए कोई न कोई योजना के साथ जनता के सामने मौजूद रहते हैं। सबसे उल्लेखनीय पहलू यह है कि जब भी उनके सामने कोई बेटी मौजूद रहती है, तो वे उसे सिर झुकाकर चरण स्पर्श करना नहीं भूलते । उनका यही स्वभाव उन्हें घर-घर में अलग पहचान दे रहा है। जब वे बेटियों के चरण स्पर्श करते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे भगवान के सामने वंदन कर रहे हो। पूरी तरह से वे तन्मयता से उसमें डूब जाते हैं। ऐसा नहीं है कि उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद ही बेटियों के लिए अभियान शुरू किया हो, बल्कि अपनी राजनीति जैसे-जैसे परवान चढ़ना शुरू हुई,तो उन्होंने अपने गृह जिले में कन्यादान अभियान शुरू कर दिया था। इसके तहत वे बालिकाओं के विवाह करते थे और इसी कड़ी को उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के साथ ही सरकार का मुख्य कार्यक्रम बना दिया। आज इस कार्यक्रम के तहत हजारों लड़कियों के विवाह हो गये हैं। यह सिलसिला आज भी अनबरत जारी है। वही दूसरी ओर लाडली लक्ष्मी, बेटी बचाओ अभियान जैसे कार्यक्रम भी तेजी से चल रहे हैं। निश्चित रूप से हर राजनेता अपनी राजनीति चमकाने के लिए कोई न कोई नया रास्ता ढूढ़ता है, लेकिन चौहान ने समाज के भीतर ही अपना मार्ग बनाने की पहल की है, जिसकी सराहना दुनिया के हर हिस्से में हो रही है। हाल ही में उन्हें विश्व बैंक ने महिला सशक्तिकरण पर भाषण देने के लिए अमेरिका बुलाया था। मध्यप्रदेश में भी उनके विरोधी दल भी कन्यादान, लाडली लक्ष्मी योजना तथा बेटी बचाओ अभियान की आलोचना नहीं कर पाते हैं। यह जरूर है कि इस कार्यक्रम पर हमला करने के बहाने वे प्रदेश में असुरक्षित हो रही युवतियां और महिलाओं को केंद्र बिन्दु बनाते हैं। इस दिशा में निश्चित रूप से सरकार को नये सिरे से सोचना चाहिए। एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ अभियान में जुटी हुई है, दूसरी तरफ महिलाओं की आबरू संकट में है। इसे बचाने के लिए सरकार क्या कर सकती है इस पर विचार किया जाये। फिर भी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटियों को लेकर बुने गये सपनों में लोग सहभागी धीरे-धीरे हो रहे हैं, जो कि राज्य के लिए एक शुभ संकेत है।
''जय हो मप्र की''
श्री राम ने रावण को क्यों मारा इसके तर्क अनेक ! ज्ञानी,बुद्धिमान,विवेकशील, भक्त सभी लगा रहे विवेक !!
जवाब देंहटाएंकोई कहता वह पापी था कोई कहता अपहरण कर्ता, कोई कहता चरित्र का था दुराचारी !
हम कहते रावण जैसा कोई भक्त हो नहीं सकता, जिसने अपनी बुद्धि विवेक से इतिहास बनाया, जिसे कहते अत्याचारी !!
रावण न होता तो आज रामजी की लीला का महत्व न होता, पाप न होता तो मानव सत्य की राह छोड़ देता, भक्ति भी न होती !!
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राजा हरिश्चन्द्र के वाद इस दुनिया में कोई सत्य का पाठ नहीं दोहराया पाया . रावण जैसे नहीं थी किसी के पास माया !!
कन्हैया की लीलाओ को आज तक कोई समझ नहीं पाया, बाबा तुलसी दास जैसा ग्रन्थ राम चरित्र मानस कोई लिख नही पाया !!
नक़ल करने बाले नक़ल करते आ रहें है, करते भी रहेंगे , रह कोई किसी की बराबरी कर नहीं पाया, यही है भगवान् की माया !!