यूं तो सामाजिक कुरीतियां खत्म लेने का नाम नहीं ले रही। धीरे-धीरे हमारी मानसिक अवधारणाओं ने न सिर्फ कुरीतियों को बल दिया है, बल्कि उन्हें और बढ़ावा मिला है। शहरी आवो-हवा से सोच और नजरिये में बेहद फर्क आ गया है। अब जिंदगी भी लाभ और हानि पर जीने के लिए लोग विवश हो रहे हैं। एक तरफ मप्र में ''बेटी बचाओ अभियान'' चल रहा है, तो वही लिंगानुपात का प्रतिशत कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। हाल ही में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में राज्य में 18 से 19 साल की लड़कियां गर्भपात कराने का खुलासा हुआ हैं जिसमें इंदौर टॉप पर है। औद्योगिक महानगर के रूप में पनप रहा इंदौर में गर्भपात का गोरखधंधा लगातार पैर जमा रहा है। यह सच है कि आज भी 60 से 80 प्रतिशत नौजवान पीढ़ी शादी के बाद अपनी पत्नी से यही अपेक्षा करता है कि उसे पुत्र मिले। इसके लिए कई टोने-टोटके और पूजा-पाठ होती है। मेडीकल जांचों का भी सहारा लिया जाता है। यह भी सच है कि मध्यप्रदेश की सरकार ने गर्भपात कराने पर सख्त कानून बना रखा है। नर्सिंगहोमों पर उनकी कड़ी नजर है, लेकिन बंद कमरों में यह बाजार भी खूब गर्म है। समय-समय पर इस धंधे में माहिर चिकित्सक पकड़े भी जा रहे हैं। लिंगानुपात आज भी यथावत है, जबकि मप्र के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक जिलों में लिंगानुपात की गंभीर समस्याएं है जिसमें ग्वालियर एवं चंबल संभाग प्रमुख हैं। इसके साथ ही सांख्यिकी विभाग ने हाल ही तैयार की एक रिपोर्ट में कहा है कि भले ही सरकार बेटी बचाओ अभियान, कन्यादान, लाडली लक्ष्मी और आंगनवाड़ी में युवतियों के जन्म दिन पर उत्सव मानने पर कितनी ही राशि खर्च करें, लेकिन लिंगानुपात में कोई कमी नहीं आई है।
गर्भपात में इंदौर टॉप पर :
शर्मनाक स्थिति है कि एक तरफ इंदौर, मुंबई के बाद व्यवसायिक नगरी धीरे-धीरे आकर ले रही है, वहीं दूसरी ओर गर्भपात जैसा गंदा कारोबार पर्दे के पीछे चल रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार 15 से 19 साल की लड़कियों द्वारा गर्भपात कराने के मामले में इंदौर पूरे प्रदेश में टॉप पर है। अब तक कुल 64 लड़किया एक साल में गर्भपात करा चुकी हैं। जिला जनगणना आयुक्त कार्यालय के स्वास्थ्य सर्वे में यह शर्मनाक खुलासा हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल गर्भपात में से 11.5 प्रतिशत इंदौर जिले में कराये गये हैं। अप्रैल 2011 से मार्च, 2012 के बीच 15 से 19 वर्ष की 53 लड़कियों ने गर्भपात कराया है। अप्रैल 2012 से सितंबर, 2012 के बीच अब तक 11 लड़किया गर्भपात करा चुकी हैं।
निश्चित रूप से इस अवैध कारोबार पर सरकार की नजर है, कड़े कानून बने हैं, समय-समय पर डॉक्टर पकड़े भी जा रहे हैं। इस दिशा में सामाजिक मान्यताओं को खत्म करने में समय लगेगा, लेकिन सजगता और जागरूकता के चलते हम कहीं न कहीं परिवर्तन की पहल तो कर ही सकते हैं।
कामयाबी :
पहली क्राइम पोर्टल बनी : आईपीएस अफसर उपेंद्र जैन जहां भी काम करते हैं तो कोई न कोई नहीं राह बना ही लेते हैं। जब वे छतरपुर जिले के एसपी थे, तब उन्होंने दबंग राजनेता विक्रम सिंह उर्फ भैया राजा के महल पर छापा मारा था और अवैध सामग्री जप्त की थी। इस घटना को आज भी लोग बहुत गर्व से याद करते हैं। वर्ष 2010-11 में जब वे ग्वालियर में उप परिवहन आयुक्त थे, तो उन्होंने विभाग की नीति बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लंबे समय तक उन्होंने विभाग की कमान अपने हाथ में रखी। नई नीति को बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाले जैन को 2011 में ही उज्जैन रेंज के पुलिस महानिरीक्षक के पद पर पदस्थ किया। यहां भी उन्होंने नवंबर, 2012 में प्रदेश की पहली क्राइम पोर्टल बनाने वाली उज्जैन रेंज का नाम दर्ज करा लिया। यह पोर्टल प्रदेश में बड़े अपराधियों पर शिकंजा कसने और उनके अपराधों पर नियंत्रण तथा जांच को पुख्ता बनाने के लिए है। इस पोर्टल के माध्यम से रेंज और पड़ौसी राज्य राजस्थान की मप्र की सीमा से लगे जिलों के अपराधियों का उनके फोटों, अपराध के तरीके आदि जानकारियां थाना प्रभारी को कम्प्यूटर पर एक क्लिक करने पर मिल जायेगी। इससे अपराधियों की पहचान करने में भी सहायता मिलेगी। अभी तक अपराध होने पर एलबम बुलाना पड़ता था लेकिन अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। यह अपने आप में एक बड़ा मिशन का काम पूरा हुआ है।
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