रविवार, 18 नवंबर 2012

मध्‍यप्रदेश को हिकारत नजरों से क्‍यों देखते हैं शरद यादव

             माना कि शरद यादव को मध्‍यप्रदेश की जनता ने एक बार ही लोकसभा में पहुंचाया है पर इसी कर्म भूमि से उभरकर वे राष्‍ट्रीय राजनीति में चमके हैं। अगर शरद यादव को महाकौशल अंचल की माटी ने आर्शीवाद नहीं दिया होता, तो आज वे दिल्‍ली में दहाड़ नहीं रहे होते। निश्चित रूप से शरद यादव एनडीए के संयोजक होने के सा‍थ-साथ जनता दल यूके के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष भी हैं पर वे मध्‍यप्रदेश को हिकारत नजर से देखते हैं। जब भी वे मध्‍यप्रदेश के दौरे पर आते हैं, तो कोई न कोई ऐसी टिप्‍पणी करते हैं, जो यहां के लोगों को नागवार गुजरती है। पहले उन्‍होंने कहा था कि मध्‍यप्रदेश के लोग मृत है, न तो वे प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करते हैं और न ही विरोध करते हैं, वे चुपचाप रहते हैं। इस टिप्‍पणी का तीखा विरोध हुआ था। एक साल बाद फिर यादव ने 17 नवंबर को अपने भोपाल प्रवास के दौरान यह कहकर फिर विवाद खड़ा कर दिया है कि मध्‍यप्रदेश की राजनीति शून्‍य हो गई है। यहां न तो कोई हलचल होती है और न ही कोई विरोध होता है यहां तक कि अच्‍छे-बुरे का कोई मतलब नहीं रह गया है। अब किसी भी स्‍तर पर उथल-पुथल सुनाई नहीं देती है। यह बात यादव ने पार्टी के कार्यकर्ता सम्‍मेलन में कहीं, लेकिन जब पत्रकारों से रूबरू हुए, तो राजधानी के संवाददाताओं ने उनसे यह सवाल दागा कि आखिरकार प्रदेश की राजनीति शून्‍य क्‍यों मानते हैं, तो उन्‍होंने कहा कि राज्‍य के विपक्षी दल शांत रहते हैं, न कोई हलचल करते हैं और न ही विवाद। यह सच है कि मध्‍यप्रदेश की राजनीति में वैसा तूफान नहीं आता है, जो कि बिहार और यूपी में सुनाई देता है। यहां की राजनीति शांत स्थिति में रहती है, न विरोध के तेवर तीखे होते हैं और न ही खास हलचल होती है, लेकिन यह मानना भी उचित नहीं है कि राजनीति शून्‍य है। इस प्रदेश में भी कांग्रेस और भाजपा दो बड़े दल है जिनकी गतिविधिया समय-समय पर हलचल मचाती रहती हैं। इसके अलावा तीसरी ताकत से जुड़े दल भी कोई न कोई कार्यक्रम करते रहते हैं। तब यह कैसे माना जाये कि प्रदेश की राजनीति शून्‍य है पर शरद यादव के दिल में कहीं न कहीं यह काटा चुभा हुआ है कि उन्‍हें राज्‍य की जनता ने महत्‍व नहीं दिया। इसीलिए वह मध्‍यप्रदेश छोड़कर राष्‍ट्रीय राजनीति में सक्रिय हैं। यादव ने जबलपुर से ही अपनी राजनीति शुरू की और धीरे-धीरे राष्‍ट्रीय फलक पर छा गये। इसके बाद से वह मध्‍यप्रदेश को भूलते ही चले गये और फिर पलटकर नहीं देखा और अब मप्र के बारे में कुछ भी टिप्‍पणी कर रहे हैं जिससे राज्‍य के वांशिंदों को तकलीफ हो रही है।
                                        ''मध्‍यप्रदेश की जय''

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