सोमवार, 19 नवंबर 2012

किसानों का मजाक उड़ा रहे है कृषि मंत्री कुसमरिया

        अपने आपको किसान नेता का दंभ भरने वाले मध्‍यप्रदेश शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ0रामकृष्‍ण कुसमरिया की फितरत हो गई है कि किसानों का मजाक उड़ाओ और बाद में मांफी मांग लो। जब प्रदेश में किसान फसलें बर्बाद होने पर आत्‍महत्‍या कर रहे थे, तब कृषि मंत्री कुसमरिया ने राग अलापा था कि जो जैसा करता है, उसे वैसा ही भोगना पड़ता है। यानि किसानों का पाप निकल रहा है। अब एक साल बाद फिर उन्‍होंने कटनी में भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे किसानों का मजाक उड़ाते हुए कहा है  कि जो किसान भूमि अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं वह दलाल है। उनकी इस जुबान पर सबसे तीखी नाराजगी संघ परिवार से जुड़े भारतीय किसान संघ के नेताओं ने जाहिर की है। यह सच है कि जब हम किसानों के आंसुओं का नहीं पोछ सकते, तो फिर उनका मजाक क्‍यों उठाया जाये, पर कुसमरिया तो अपने अंदाज में राजनीति कर रहे हैं उन्‍हें किसानों के सुख-दुख से कोई वासता नहीं है। मध्‍यप्रदेश में किसानों की जिंदगी दिनों दिन कष्‍टमय होती जा रही है। कदम-कदम पर उन्‍हें मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। इस दिशा में तो मत्री कुसमरिया ने तो कभी ध्‍यान नहीं दिया और न ही उनकी बाधाएं दूर करने की कोशिश की है। मुख्‍यमंत्री चौहान अपने आपको किसान पुत्र कहने पर गौरवांवित महसूस करते हैं और उनकी पहल पर ही किसानों को शून्‍य प्रतिशत पर ब्‍याज और कृषि कैबिनेट बनी हुई है। दूसरी ओर उनके कैबिनेट मंत्री का संवेदनशील बयान यह दर्शा रहा है कि मंत्री महोदय किस कदर संवेदनहीन हो गये हैं और वे लगातार ऐसी टिप्‍पणियां कर रहे हैं जिससे आम आदमी का नाराज होना स्‍वाभाविक है। अभी तक फिलहाल कृषि मंत्री ने अपनी टिप्‍पणी वा‍पस नहीं ली है। जिसका हर तरफ विरोध हो रहा है। 
                          ''जय हो मप्र की''

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