हर आदमी लखपति बनने के लिए बेताब है। इसके लिए वह नये-नये सपनों के जाल में भी आसानी से फंस जाता है। बार-बार मध्यमवर्गीय समाज में ऐसे लोग प्रवेश कर जाते हैं, जो कि सपनों की दुनिया दिखाकर उनकी जमा पूंजी हड़प लेते हैं और वे हमेशा की तरह तैयार भी हो जाते हैं। यह सिलसिला मध्यप्रदेश में वर्षों से चल रहा है। हर साल कोई न कोई कंपनी द्वारा लोगों को ठगने का मामला सामने आता है। थोड़े दिन बड़ा हल्ला मचता। मीडिया में खूब सुर्खिया बनती है। पुलिस जांच करती है,
लेकिन ठग करने वाले को पकड़ नहीं पाती है। इसके बाद लोग भूल जाते हैं, फिर एक नई कंपनी आती है और वह अपना ऐसा मायाजाल फैलाती है कि लोग उसमें धसते ही चले जाते हैं। इस बार तो एन-मार्ट नामक कंपनी ने 20 लाख लोगों को अपना शिकार बनाया है। राज्य का ऐसा कोई शहर या कस्बा बाकी नहीं था, जो उसके जाल में न फंसा हो। इस कंपनी ने लोगों के पैसे डबल करने का सपना दिखाया। उसने लोगों से साढ़े पांच हजार रूपये लेकर चार साल में उन्हें 11 हजार रूपये करने का विश्वास दिलाया। इसके साथ ही हर महीने एन-मार्ट शोरूम से सामान खरीदने के लिए 48 कूपन भी सौंपे। कंपनी इतनी चालक थी कि उसने लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए पहले स्थान-स्थान पर अपने शोरूम खोले उसमें भव्यता का प्रदर्शन किया, इसके बाद धीरे-धीरे अपने जाल में फांस ही लिया। लोगों को कूपन के जरिये मुफ्त में सामान दिलाने का इरादा तो था ही, साथ ही चार साल तक हर महीने 1500 रूपये की क्रेडिट का लाभ मिलना भी तय था। ऐसे सपनों में कौन नहीं फंसता। इस जाल में प्रदेश के 20 लाख लोग ठगी के शिकार हुए हैं। भोपाल में 4 हजार, ग्वालियर 10 हजार से ज्यादा सदस्य बन गये थे, जबकि होशंगाबाद, सीहोर, राजगढ़, ब्यौवरा तथा अशोकनगर में भी लोग ठगी के शिकार हुए हैं। इस कंपनी ने सदस्यता के लिए प्रति व्यक्ति साढ़े पांच हजार की रकम वसूले थे, लेकिन कंपनी सात महीने में ही फरार हो गई। इस कंपनी ने मध्यप्रदेश के साथ-साथ गुजरात, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में भी अपना जाल फैलाया था। एन-मार्ट नामक कंपनी ने 1400 करोड़ का चूना लोगों को लगाया है। इस कंपनी ने देशभर में 147 मॉल खोलने का दावा किया था और 20 लाख लोगों के पैसे लगे थे। इस कंपनी के सीएमडी गोपाल शेखावत बार-बार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने किसी को लूटा नहीं है, लेकिन वह अंडरग्राउण्ड जरूर हो गये हैं और उनके सारे मॉल बंद हो चुके हैं और कोई भी मॉल के बारे में यह बताने को तैयार नहीं है कि यह कब तक खुलेंगे। इससे जाहिर है कि लोगों को एक बार फिर ठग लिया गया है और अपने जीवनभर की कमाई बर्बाद होने के बाद व्यक्ति लुट-पिटकर अफसोस के अलावा उसके पास कुछ नहीं बचा है।
बार-बार ठगे जाते हैं लोग :
मध्यप्रदेश में ऐसी कंपनियां समय-समय पर आती रही है और वह लोगों को ठगती रही है। पिछले पांच सालों में राजधानी में ही करीब आधा दर्जन से अधिक फर्जी कंपनियों ने लोगों को ठगा है। कभी नौकरी के नाम पर, तो कभी ट्रेनिंग के नाम पर लोगों को लूटा गया है। बार-बार पुलिस दावा करती है कि वह फर्जी कंपनियों पर नजर रखेगी, लेकिन पुलिस की नाक के नीचे यह लूट सतत चल रही है। पुलिस के लिए इन कंपनियों की जांच एक रहस्य बनकर रह जाती है। थोड़े दिनों तो कंपनी की जांच पुलिस करती है, लेकिन बाद में पुलिस भी उसे भूल जाती है और फिर न तो कंपनी का पता चलता है और न ही कंपनी के मालिकों का, जो लोग अपने जीवनभर की कमाई इन कंपनियों के हवाले कर देते हैं वह सिर्फ आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं कर पाते हैं।
''जय हो मप्र की''
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