इन दिनों मध्यप्रदेश की सड़कों को लेकर बड़ी हाय-तौबा मची हुई है। जगह-जगह सड़कों के गहरे गड्डों ने आम आदमी को परेशान करके रख दिया है। सड़कों की मरम्मत नहीं हो रही है। लोक निर्माण विभाग बार-बार सरकार को आश्वस्त कर रहा है कि निर्धारित समय पर सड़कों की मरम्मत का काम हो जायेगा। इसके बाद भी शिवराज सरकार के मंत्री कैबिनेट की बैठकों में चिंता जाहिर कर रहे हैं कि सड़कों की हालत खस्ता है। आम आदमी शिकायतों पर शिकायत कर रहा है। दुख पहलू यह है कि सड़कों की मरम्मत के नाम पर गड्डों में मिट्टी डाली जा रही है और ऊपर से डामरीकरण किया जा रहा है। यह सड़के चार-छह महीने तो ठीक रहेगी बाद में फिर गड्डों में तब्दील हो जायेगी। एक महीने पहले मंत्रिपरिषद की बैठक में सड़कों को लेकर करीब 2 से 3 घंटे तक बैठक हो चुकी है, विभाग अपना पक्ष रख चुका है इसके बाद भी 20 नवंबर की कैबिनेट बैठक में फिर से मंत्रियों ने सड़कों को लेकर अपना रोना रोया। मंत्रियों ने यहां तक कहा कि अगर सड़कों की यही हालत रही तो हमारी तो लुटिया डूब जायेगी। सड़कों की चिंता को लेकर मंत्री समय-समय चिंता जाहिर करते रहे हैं। निश्चित रूप से सड़के विकास की वाहनी है, लेकिन इनका निर्माण जिस गति से होना चाहिए, वैसा हो नहीं पा रहा है। ऐसी स्थिति में सड़कों के निर्माण की गुणवत्ता पर भी समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं जिसके फलस्वरूप हर बारिश में सड़के पानी में बह रही है। यही वजह है कि हरसाल सड़कों पर मंत्री और विधायक दुखी होते हैं, लेकिन सड़के जस की तस बनी हुई हैं।
जय हो मध्यप्रदेश की
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