मंगलवार, 26 जून 2012

आईएएस अफसरों की कार्यशैली पर उठे सवाल


     आईएएस अफसरों के पावर के सामने बड़े से बड़ा राजनेता दंडवत् हो जाता है। इसकी वजह है राजनेताओं का नियम-प्रक्रियाओं के ज्ञान का न होना अन्‍यथा गुजरे जमाने में ऐसे राजनेता हो चुके हैं, जिनके सामने आईएएस अफसर ज्‍यादा सवाल जवाब नहीं कर पाते थे। मप्र में आईएएस अफसरों की तूती हमेशा बोलती रही है। चाहे कांग्रेस सरकार हो या भाजपा राज, हर समय आईएएस अफसर ही ताकतवर रहे हैं। इन बेलगाम अफसरों को समय-समय पर दंडित कर भय पैदा करने की कोशिश की गई है, लेकिन फिर भी आईएएस अफसर अपने हिसाब से ही काम करते हैं। इसकी एक बड़ी वजह सरकार का नेतृत्‍वकर्त्‍ता भी है, क्‍योंकि अगर वे आईएएस अफसरों को निर्देशों का पालन कराने में कामयाब नहीं है, तो फिर सवाल उठना स्‍वाभाविक है। ऐसा नहीं है कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आईएएस अफसरों पर कार्यवाही करने पर कोई कोताही बरती हो। उनके साढ़े छह साल के कार्यकाल में करीब आधा दर्जन आईएएस अफसरों को निलंबित किया गया है। सार्वजनिक स्‍थलों पर आईएएस अफसरों को डांटा-फटकारा भी गया है, इसके बाद भी अफसरों ने अपनी कार्यशैली में कोई आमूल-चूल परिवर्तन नहीं किया है। सीएम बारबार कह चुक हैं कि आईएएस अफसरों को गांव में दौरे करना चाहिए और रात्रि विश्राम भी वहीं करना चाहिए, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश के आईएएस अफसरों ने इस निर्देश का न तो पालन किया और न ही गांव में पहुंचे। अब आईएएस अफसरों की कार्यशैली से नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री बाबूलाल गौर भी दुखी हो गये हैं। गौर ने हाल ही में अपनी इंदौर यात्रा के दौरान 25 जून को कहा कि आईएएस अफसरों की काम करने में कोई रूचि नहीं है। वह नगर निगमों में तो काम करना ही नहीं चाहते हैं। शुरूआती दिनों में तो आईएएस अफसर अपनी सक्रियता दिखाते हैं और फिर समय काटते नजर आते हैं। उनकी कार्यप्रणाली सब कुछ बयां कर देती हैं। जबलपुर नगर निगम में पदस्‍थ आईएएस अफसर तो महीने में 15 दिन छुट्टी पर ही रहते हैं, उनका काम में मन ही नहीं लगता है। ऐसी स्थिति में अभी विचार किया जा रहा है कि नगरीय निकायों के लिए राज्‍य नगरीय प्रशासनिक सेवा का गठन किया जाये, ताकि सभी दूर ऐसे अफसर तैनात हो, जो मन लगाकर काम कर सकें। इससे साफ जाहिर है कि गौर प्रदेश में एक नई धारा बहाना चाहते हैं, लेकिन आईएएस अफसर इसके लिए तैयार नहीं हुए। आईएएस अफसरों को यह नागवार गुजरता है कि कोई उनके अधिकारों पर बार करें। कभी परिवहन विभाग आईएएस के अधीन हुआ करता था, लेकिन वर्तमान में आईपीएस अफसर विभाग के आयुक्‍त हैं।
इस विभाग में फिर से आईएएस की नियुक्ति के लिए ऐसा संशोधन किया गया है कि कोई भी अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा का अफसर परिवहन आयुक्‍त बन सकता है। इससे साफ जाहिर है कि आईएएस अफसर किसी भी तरह से राज्‍य नगरीय प्रशासन सेवा का गठन नहीं होने देंगे, क्‍योंकि इससे उनके पद तो कम होंगे ही, बल्कि शहरों में ताकत भी घटेगी। इससे पहले ही राज्‍य सरकार प्रदेश के दो नगरों में पुलिस आयुक्‍त प्रणाली लागू करना चाहती है। अगर यह लागू हो गई, तो संभागायुक्‍त और कलेक्‍टरों के अधिकार अपने आप सीमित हो जायेगे। इससे भी आईएएस अफसर परेशान और दुखी है, तब फिर गौर के सुझाव पर कैसे अमल होगा यह तो समय ही बतायेगा।

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