गुरुवार, 14 जून 2012

फिर केंद्र को ललकारा शिवराज ने

           एक बार फिर से मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। इस बार उनका मुद्दा किसानों का है। अपने कार्यकाल में श्री चौहान चौ‍थी बार केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। इससे पहले भी समय-समय पर चौहान केंद्र के खिलाफ मुखर होकर नीतियों पर बोलते रहे हैं। अब चौहान ने खाद के दामों में हुई वृद्वि के खिलाफ 24 घंटे का उपवास करने का एलान किया है। यह उपवास 15 जून को शुरू होगा। इससे पहले किसानों को राहत पैकेज की मांग को लेकर 13 फरवरी, 2011 को सीएम ने सविनय आग्रह उपवास का एलान किया था, लेकिन तत्‍कालीन राज्‍यपाल रामेश्‍वर ठाकुर की पहल पर चौहान ने सांकेतिक उपवास करके 02 घंटे बाद अपना उपवास स्‍थगित कर दिया था। इस बार चौहान अडिग है कि वे 24 घंटे तक किसानों के पक्ष में उपवास पर बैठेंगे। 
         जब-जब चौहान ने केंद्र के खिलाफ आंदोलन शुरू करते हैं, तो कांग्रेस भी रटा-रटाया आरोप लगाने की कला में माहिर हो गई है कि सीएम को सिर्फ केंद्र के खिलाफ बोलने के अलावा और कोई विषय नहीं मिलता है। इस पर सीएम का मानना है कि अगर उनके राज्‍य की जनता को समस्‍याएं होगी, तो वे केंद्र के खिलाफ सांकेतिक उपवास करने में क्‍यों पीछे रहे। चौहान का मानना है कि खाद के दामों में केंद्र सरकार ने अप्रत्‍याशित इजाफा किया है। पिछले एक साल में खाद के दाम प्रति बोरी दोगुने से भी अधिक हो गये हैं। पिछले साल डीएपी की कीमत 1080 प्रति बोरी थी, अब इसमें वृद्वि 192 रूपये की हो गई है। इस वृद्वि के खिलाफ भी सरकार केंद्र से बेहद खफा हो गई है। हर खाद के दाम बढ़ाये गये हैं। दूसरी ओर विपक्ष के नेता अजय सिंह कह रहे हैं कि मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उपवास और अनुष्‍ठान की नोटंकी करने की बजाय सरकार ने करों से जो खाद की कीमत बढ़ाई है उसे तत्‍काल समाप्‍त किया जाना चाहिए। वर्तमान में रासायनिक खाद पर 4 प्रतिशत वाणिज्‍ियक कर, रासायनिक खाद पर 5 प्रतिशत प्रवेश कर, कृषि उपकरण पर 9 प्रतिशत वाणिज्यिक कर और ट्रेक्‍टर-ट्रॉली पर 5 प्रतिशत वा0कर लिया जा रहा है। इन करों को वापस लिया जाना चाहिए। वहीं दूसरी ओर मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कहते हैं कि राज्‍य सरकार टेक्‍स तो कम ले रही है, लेकिन केंद्र सरकार ने खादों के दामों में ऐसी वृद्वि कर दी है जिससे किसानों की कमर ही टूट गई है। मुख्‍यमंत्री तो उपवास पर बैठ ही रहे हैं साथ ही साथ मंत्रि परिषद के प्रत्‍येक मंत्री को अपने प्रभार वाले जिलों में कार्यकर्ताओं के साथ उपवास पर बैठना है। मुख्‍यमंत्री के इस आंदोलन से निश्चित रूप से एक नई बहस फिर छिड़ जायेगी। बार-बार यह सवाल भी खड़ा होता है कि मुख्‍यमंत्री के उपवास करने से संवैधानिक संकट खड़ा हो जायेगा, जबकि मुख्‍यमंत्री ने कहा है कि वे जनता के सेवक है और किसानों के मामलों पर धरने पर बैठने पर कोई संवैधानिक संकट खड़ा नहीं होता है। कुल मिलाकर मप्र में एक बार फिर से राज्‍य सरकार और केंद्र सरकार के बीच तनातनी बढ़ गई है। अब आगे क्‍या होगा यह तो वक्‍त ही बतायेगा, लेकिन जैसे-जैसे राज्‍य में चुनाव निकट आ रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस अपने अपने मिशन पर जुट गये हैं।

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