यूं तो आयकर के छापे व्यापारियों के यहां पड़ते ही रहते हैं और उन पर मीडिया दो-चार दिन हल्ला मचाकर शांत हो जाता है और फिर रिपोर्ट कहां गायब होती है, इसका पता ही नहीं चलता है पर अरसे बाद आयकर के छापों ने मप्र की सियासत में उबाल ला दिया है। इन छापों पर कांग्रेस और भाजपा में कोई अंदरूनी राजनीति नहीं हो रही है और नही बयानबाजी हो रही है पर नेताओं की दबी जुबान ही सियासत को नये-नये रंग दिखा रही है। भाजपा से जुड़े कारोबारी दिलीप सूर्यवंशी और सुधीर शर्मा के ठिकानों पर आयकर के छापों ने राजनीति को विद्रूप कर दिया है। जहां भाजपा संगठन के मुखिया प्रभात झा दंभ से कह रहे हैं कि व्यापार करना कोई गुनाह नहीं है, लेकिन वे इस सवाल का जवाब नहीं दे पा रहे हैं कि सरकार की वैशाखियों के सहारे व्यवसाय करना और जनता की गाड़ी कमाई पर अपनी धन-दौलत में देखते ही देखते इजाफा कर लेना। इस पर झा कुछ नहीं बोल रहे हैं। इस पूरे मामले में विपक्ष की भूमिका अदा कर रही कांग्रेस की चुप्पी तो और भी रहस्यमय है। जब भाजपा से जुड़े कारोबारियों के छापों के तार सीधे मुख्यमंत्री से जुड़ रहे हों, तब भी कांग्रेस का चुप रहना लोगों को नागवार गुजर रहा है। राजनीति निश्चित रूप से अंधकार की दिशा में जा रही है, न तो प्रदेश के विकास पर लग रहे ग्रहण पर सवाल हो रहे हैं और न ही जो विकास के नाम पर लूट का खेल खेला जा रहा है उस पर भी कोई गंभीर प्रश्न नहीं किये जा रहे हैं। इसके चलते आम आदमी एक बार फिर अपने आपको ठगा महसूस कर रहा है। छापों की कहानियां भले ही कुछ भी कहें, लेकिन अगर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के खर्चे भी अगर भाजपा से जुड़े कारोबारी उठा रहे हैं, तो फिर कांग्रेस को विपक्ष की भूमिका अदा करने का कोई हक नहीं है। वहीं दूसरी ओर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी छापे के बाद सुधीर शर्मा पर तो हमला बोला, लेकिन दिलीप सूर्यवंशी पर चुप्पी साध गये। जब राज्य में नेता प्रतिपक्ष के बयानों को लेकर खूब हल्ला मचा तो तीसरे दिन यानि 23 जून, 2012 को नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने सुधीर शर्मा के साथ-साथ दिलीप सूर्यवंशी पर भी प्रहार किया है, लेकिन तब तक तीर निकल चुका था। यही वजह है कि 24 जून, 2012 को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह जब मप्र में ग्वालियर पहुंचे, तो उनसे पत्रकारों ने यह सवाल दाग ही दिया कि दिलीप सूर्यवंशी और नेता प्रतिपक्ष के बीच क्या संबंध हैं। इस पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि इसका जवाब तो नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और पीसीसी देगी। कुल मिलाकर आयकर छापों ने प्रदेश कांग्रेस पर तो छींटे पड़े ही हैं, जो कि विपक्ष की भूमिका में है, जबकि भाजपा को घेरने का सुनहरा मौका कांग्रेस के हाथ से निकल गया है, जिसका उसे लंबे समय तक इंतजार करना पड़ेगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
EXCILENT BLOG