इन दिनों मप्र बेसब्री से झमाझम बारिश का इंतजार कर रहा है। सूरज के तीखे तेवर बरकरार हैं। उमस परेशान कर रही है, गर्मी की तपन से लोग बेहाल हैं। मानसून की भविष्यवाणी एक बार फिर धोखा खा गई। मौसम विशेषज्ञों ने दावा किया था कि 22 जून को मौसम राज्य में दस्तक दे देगा, लेकिन अभी मानसून नजर भी नहीं आ रहा है। बारिश्ा की झमाझम के इंतजार के बीच मीडिया की भी इन दिनों बल्ले-बल्ले हो रही है, क्योंकि प्रदेश की राजधानी का विशेषकर प्रिंट मीडिया खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी वजह है भाजपा व्यापारियों से जुड़े दो बड़े कारोबारियों के ठिकानों पर आयकर के छापों की खबरों का प्रकाशन। इन खबरों ने राजनीति और प्रशासन तंत्र में भूचाल ला दिया है। हर तरफ छापों की ही चर्चा है। राजनीति में तो छापों के अलावा और किसी विषय पर बात नहीं हो रही है, लेकिन राज्य के नौकरशाह भी इन दिनों आयकर छापे पर ही इन दिनों केंद्रित किये हुए हैं। कुछ आईएएस अफसरों की तो धुक-धुकी मची हुई है वे बारबार अपने पत्रकार मित्रों से दस्तावेज और मिले कागजों के बारे में पूछताछ भी कर रहे हैं। निश्चित रूप से राजधानी के मीडिया ने एक बार फिर छापों की खबरों में जिस प्रकार से निष्पक्षता दिखाई है वह अपने आप में न सिर्फ सलाम करने वाली है, बल्कि इसके दूरगामी परिणाम भी होंगे। मीडिया की धूम के बीच भाजपा के नेता भले ही दुखी हो, लेकिन आम आदमी मीडिया की खबरों से बेहद गद-गद है और लंबे समय बाद राजधानी का पाठक एक नहीं कई अखबार पढ़कर अपनी प्यास बुझा रहा है, जो कि अपने आप में उल्लेखनीय पहलू है।
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