शुक्रवार, 1 जून 2012

तीन साल, तीन बच्‍चे : घर में खोद लिया कुंआ

दो बहनों और एक साथी का कमाल, तीन साल में खोद डाली कुईयां, यह बालिकाएं हैं रचना और लीला
      दिल में अगर तमन्‍ना हो तो कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है। इसी राह पर चलकर मध्‍यप्रदेश के विदिशा जिले की तहसील गंजबासौदा में तीन बच्‍चों ने तीन साल में रात-दिन मेहनत करके 35 फीट का कुंआ (कुईयां) खोद डाला। बच्‍चों की लगन, परिश्रम का ही परिणाम था कि आज उनके घर में एक कुंआ हो गया है, जहां वे अब आसानी से सुबह-शाम पानी उससे ले सकते हैं, जबकि इससे पहले उन्‍हें पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था। इन बच्‍चों ने अपने घर में कुंआ इसलिए खोदा कि उनमें से एक बच्‍चे के स्‍वाभिमान को इस कदर चोटर लगी कि वे कुंआ खोदने के लिए प्रतिज्ञा कर बैठे। हुआ यह है कि सार्वजनिक हैंडपंप पर हुए विवाद से एक बालिका रचना को पड़ोसियों ने तमाचे जड़ दिये, जिससे विचलित होकर रचना ने नई कुईयां घर में ही खोदने का इरादा बना लिया। इस काम में उसकी छोटी बहन लीला और पड़ोस में ही साथ में खेलने वाले 14 वर्षीय बालक राजेश कुशवाहा ने इस अभियान में हाथ बटाया और देखते-ही-देखते तीन साल में कुईयां पानी देने लगी। यह इलाका गंजबासौदा में लाल पठार मुहल्‍ले का है, जहां पर ग्‍यारसपुर के मोहम्‍मदगढ़ गांव का खेत सिंह मालवीय का भूमिहीन परिवार रहता है। इन बच्‍चों के माता-पिता मजदूरी करके अपने परिवार का लालन-पोषण करते हैं। इन बच्‍चों की मेहनत का ही प्रतिफल है कि आज उनके घर में खोदी गई कुईयां से वह आसानी से पानी निकाल रहे हैं। अब इस पानी का उपयोग आस-पड़ोस के लोग भी करते हैं। जिस किशोरी रचना ने एक चाटा खाने के बाद यह कुईयां खोदने का निर्णय लिया था अब वह 12 वर्ष की हो गई है । उसके पिता खेत सिंह और मां गुलाबी बाई भी अपनी इस बेटी के अथक परिश्रम के साक्षी हैं, क्‍योंकि उन्‍होंने भी इस कुईयां को खोदने में अहम भूमिका अदा की है। वैसे भी कहा जाता है कि बाल मन विचलित जल्‍दी होता है और वह जो तय कर लेता है उसमें उसे सफलता ही मिलती है। इसका उदाहरण सामने है। 
                            '' जय हो मध्‍यप्रदेश की'' 

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