गुरुवार, 31 मई 2012

अलग-अलग युगों की खोजी जा रही है धरोहर

       इतिहास आज भी हमारे लिए दस्‍तावेज है। इस धरोहर की तलाश में हम गांव-गांव और गली-गली भटक रहे हैं। कभी यह धरोहर मूर्तियों, सिक्‍कों, गुफाओं अथवा अन्‍य औंजारों के जरिए हमें हासिल होती हैं। मध्‍यप्रदेश का पुरातत्‍व विभाग एक कदम आगे बढ़कर प्रदेश के हर जिले और ब्‍लाक स्‍तर पर अब पुरातात्विक सर्वे करा रहा है। इस सर्वे के माध्‍यम से सिंधु घाटी सभ्‍यता के दौर के पत्‍थर या औजार हों या आदि-मानव काल के अवशेष तराशे जा रहे हैं, ताकि उस काल की गणना की जा सके। इसके साथ ही अशोक, विक्रमादित्‍य या फिर अंग्रेजों से संघर्ष काल से जुड़े दस्‍तावेजों का भी संरक्षण करने की कोशिश हो रही है। यह काम गांव-गांव में किया जा रहा है, ताकि उन्‍हें भविष्‍य के लिए संरक्षित किया जा सके। इतिहास से जुड़ी धरोहरों की खोज को सभी 50 जिलों में स्‍थानीय स्‍तर पर फैली धरोहर को सर्वे के माध्‍यम से खोजा जा रहा है। 
          मध्‍यप्रदेश ऐतिहासिक स्‍थलों की धरोहर के लिए जाना पहचाना जाता है। यहां पर कई गुफाएं खोजी गई हैं और उन गुफाओं का महत्‍व तलाशकर पर्यटक स्‍थल के रूप में विकसित भी किया गया है। यह सच है कि राज्‍य में इस दिशा जितना ध्‍यान दिया जाना चाहिए था, उतना ध्‍यान नहीं दिया गया है जिसके चलते हम अपनी धरोहर का संरक्षण उस तरह से नहीं कर सकें हैं जिस तरह किया जाना चाहिए, लेकिन अब पुरातत्‍व विभाग नये सिरे से धरोहर के सर्वे के काम में जुटा है, जो अपने आप में एक सराहनीय कदम है।

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