सोमवार, 28 मई 2012

सीमाएं हैं असुरक्षित मध्‍यप्रदेश में, अब गश्‍त और चैंकिंग पाइंट होंगे

         लंबे समय से मप्र की सीमाएं असुरक्षित होने के संकेत मिलते रहे हैं। राज्‍य में जिस तरह से संगठित अपराधों के तरीके नये-नये इजात किये जाने लगे हैं उससे यह आभास होने लगा है कि कही न कही अन्‍य राज्‍यों से अपराधियों ने अपनी आमद देनी शुरू कर दी है। राज्‍य में आतंकवादी गतिविधियों का बढ़ना और सिमी के नेटवर्क में इजाफा होने से साफ जाहिर है कि कही न कही दाल में काला है। भविष्‍य की चुनौतियों से निपटने के लिए मप्र के पुलिस महानिदेशक नंदन दुबे की पहल पर तीन राज्‍य के पुलिस महानिदेशक की बैठक कर उन मसलों पर चर्चा की जो राज्‍य की सीमाओं पर जब तब विवाद होते हैं। 
     मध्‍यप्रदेश यूं तो पांच राज्‍यों की सीमाएं से जुड़ा हुआ है जिसमें राजस्‍थान, गुजरात, उ0प्र0, छत्‍तीसगढ़ और महाराष्‍ट्र शामिल हैं। इसमें सबसे ज्‍यादा आवाजाही राजस्‍थान, गुजरात  और महाराष्‍ट्र से होती है। इन राज्‍यों की सीमाओं पर मदक पदार्थों की तस्‍करी, संगठित अपराध और मवेशियों की तस्‍करी के साथ-साथ सिमी के नेटवर्क का जाल भी फैल रहा है। इसकी भनक राज्‍य की पुलिस को है। यही वजह है कि डीजीपी ने पहल करके पुलिस महानिदेशक की बैठक बुलाई और उसमें सीमावर्ती इलाकों में संयुक्‍त गश्‍त और चैकिंग पाइंट लगाने पर सहमति बन गई है। यह जरूर है कि महाराष्‍ट्र और यूपी से अधिकारी नहीं आ पाये। मप्र की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए राज्‍य सरकार को बेहद गंभीर रहने की जरूरत है, क्‍योंकि सीमाएं आये दिन माहौल खराब कर रही हैं। सिमी का नेटवर्क मप्र के साथ-साथ गुजरात और राजस्‍थान में भी अच्‍छा खासा है। मप्र की पुलिस ने राज्‍य में सिमी के नेटवर्क को ध्‍वस्‍त किया है, लेकिन फिर भी सिमी ने चेहरा बदलकर अपना मूवमेंट बढ़ाया है जिसकी भनक राज्‍य की पुलिस को है। इस बैठक में नबालिग और आदिवासी लड़कियों की तस्‍करी का मामला भी उठा था। निश्चित रूप से मप्र के प‍ुलिस महानिदेशक नंदन दुबे ने एक सार्थक पहल करके राज्‍य की सीमाओं को फिर से चाक-चौबंद करने की पहल की है, जो कि एक सराहनीय कदम माना जायेगा। इस दिशा में लगातार प्रयास करने की जरूरत है। 
                               '' जय हो मप्र की''

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