''अभी तो मंजिल पर नजर'' |
यूं तो केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी तक मप्र की राजनीति में अधिक दिलचस्पी नहीं ले रहे थे, उनका राजनीतिक लक्ष्य ग्वालियर, चंबल संभाग तक सीमित था, लेकिन पिछले चार-पांच महीनों में अचानक सिंधिया ने प्रदेश की राजनीति में अपने कदम बढ़ाएं हैं। ऐसा नहीं है कि वे इससे पहले सक्रिय नहीं थे, लेकिन उनकी यात्राओं ने राजनीति में भूचाल ला दिया है और उनके एक बयान ने तो कांग्रेस शिविर में हल-चल ही मचा दी है। वे लगातार कह रहे हैं कि मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष भूरिया ही कांग्रेस का चेहरा है और अगर कोई आदिवासी मुख्यमंत्री बनता है, तो यह मप्र के लिए गौरव की बात होगी। सिंधिया के इस बयान से दिग्विजय सिंह खेमा खफा हुआ है। विशेषकर दिग्विजय समर्थक नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह की राह में कहीं न कहीं यह बयान बाधा बनकर खड़ा हो गया है। दिलचस्प यह है कि इस बयान पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने संतुलित टिप्पणी करके यह कह दिया है कि मुख्यमंत्री का चयन तो विधायक करेंगे। इसके बाद भी सिंधिया लगातार भूरिया को ही मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता रहे हैं। सिंधिया ने थोड़े समय में ही 40 जिलों के दौरे कर लिये हैं और वे लगातार अपने दौरों के जरिए कांग्रेस को मजबूत करने का काम भी कर रहे हैं। इन दिनों मप्र में एक नया ध्रुवीकरण पैदा हो रहा है जिसकी बागडोर सिंधिया के हाथों में धीरे-धीरे आ रही है जिसमें सत्यव्रत चतुर्वेदी, सुरेश पचौरी, अरूण यादव शामिल हैं। सिंधिया की राजनीति गतिविधियों से मप्र की राजनीति में अच्छी खासी हलचल पैदा हो गई है। सिंधिया 25 मई को राजधानी में थे, उन्होंने फिर से मुख्यमंत्री पद के लिए भूरिया को ही बेहतर उम्मीदार बताया। इससे साफ जाहिर है कि भविष्य में सिंधिया भूरिया पर ही दांव खेलेंगे।
''मोबाइल पर बात करते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया'' |
दुबे जी गजव का फोटो लाये हैं
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