बुधवार, 6 जून 2012

नाज है इन पर

''60 वर्ष का बेटा और 80 साल की मां : आधुनिक जमाने का श्रवण कुमार''
       समाज में हमारे आसपास ऐसे पात्र होते हैं, जिन पर कोई गौर नहीं करता है, लेकिन वह दुनिया से हटकर ऐसा काम करते हैं जिन पर सबको नाज होता है। मध्‍यप्रदेश में ऐसे लोगों की संख्‍या सीमित तो है, लेकिन लगातार उन लोगों का काफिला बढ़ता जा रहा है, जो कि अपनी भावनाओं और लीग से हटकर काम कर रह हैं। इनकी सेवा, समर्पण और विश्‍वास देखकर लगता है कि ऐसे लोग ही समाज के रखवाले हैं और हमें उन पर नाज भी होना चाहिए। 
60 वर्ष का श्रवण कुमार : 
         मध्‍यप्रदेश के शहरों में आजकल ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि बुजुर्ग माता-पिता को उनके कमाऊपूत बेटे घर से प्रताडि़त करके बाहर निकाल रहे हैं और बुजुर्ग मां बाप रैन बसेरों में अपनी जिंदगी गुजर-बसर करने के लिए मजबूर हैं। बुजुर्गों की पिछले म‍हीने हुई सीएम हाउस में पंचायत के दौरान भी बुजुर्ग लोगों ने ऐसी शिकायत मुख्‍यमंत्री से की थी। भोपाल, इंदौर में तो ऐसे प्रसंग अनगिनत मिल जायेंगे, जिनके बेटे मोटी-मोटी रकम नौकरी से कमा रहे हैं, लेकिन मां-बाप कहीं और उपेक्षित रहकर जीवनयापन कर रहे  हैं। मध्‍यप्रदेश में साडि़यों और तोतों के लिए प्रसिद्व चंदेरी में तो 60 साल का श्रवण कुमार अपनी मां को बीते पांच सालों से लगातार देवी के दर्शन कराने के लिए गोदी में बैठकर गांव से लाकर दर्शन करा रहा है। चंदेरी से 05 किमी दूर सिंहपुर पांडरी गांव के निवासी 60 वर्षीय आदिवासी गणेशराम अपनी 80 वर्षीय मां रतनिया बाई को कंधे और गोदी में  बैठाकर गांव से मां जागेश्‍वरी मैया के दर्शन कराने ला रहा है। इसके पीछे का कारण यह है कि मां को एक दिन रात में दुर्गा मैया ने दर्शन दिये कि अगर तुम्‍हें रोशनी चाहिए, तो दर्शन करने आओ, तो फिर क्‍या था बूढ़ी मां के आग्रह को बेटा टाल नहीं सका और लगातार दर्शन करा रहा है। इससे मां के आंखों की रोशनी थोड़ी-थोड़ी आने भी लगी है। 
बेसहारा महिला का बेटा बन निभाया बादा : 
        समाज में ऐसे भी लोग मौजूद हैं, जो कि हर किसी के लिए कोई भी काम करने के लिए समर्पित हो जाते हैं। मप्र के टीकमगढ़ जिले में 80 वर्षीय बेसहारा सियाबाई यादव की मौत के बाद उसकी अंत्‍योष्टि करने का जिम्‍मा बेटे के रूप में नगर पालिका अध्‍यक्ष राकेश गिरी ने उठाया। न सिर्फ गिरी ने मां-बेटे के रिश्‍तों को मजबूत किया, बल्कि अंत्‍योष्टि के दिन  अपनी भूमिका अदा करके बाल भी कटवाएं और उनकी अस्थियां संचित करके इलाहाबाद भी ले गये। इसके बाद गिरी ने 9 करोड़ की लागत से बन रहे पालिका प्‍लेजा का नाम अपनी मां के नाम से रखा है। निश्चित रूप से भले ही समाज दुआ न दें, लेकिन बूढ़ी मां जरूर दुआएं दे रही होंगी, बेटे को। 
विदिशा के इंजीनियर को 80 लाख का पैकेज : 
मध्‍यप्रदेश की प्रतिभाएं न सिर्फ देश भर में धूम मचा रही है, बल्कि अब तो विदेशों में भी उनकी मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा का आईआईटी इंजीनियर स्‍वप्निल जैन को टिवटर कंपनी से 80 लाख रूपये सालाना पैकेज के रूप में आफर मिला है। 22 साल के स्‍वप्निल अक्‍टूबर म‍हीने में कैलीफोनिया प्रांत के सैन फ्रांसिको शहर में अपना कैरियर शुरू करेंगे। इसी साल उन्‍होंने आईआईटी दिल्‍ली से कम्‍प्‍यूटर साईंस में बीटेक किया है। स्‍वप्निल के पिता संजय जैन का ज्‍वलेरी का व्‍यवसाय है। इससे पहले भी इस नौजवान को फेसबुक ने 28 लाख और गोगुल ने 75 लाख का ऑफर दिया था। इस युवक का सपना है कि पहले वह नौकरी करेगा उसके बाद वह मप्र में इंस्‍ट्री खोलेगा। 
बेटियां भी दिखा रही खेलों में हौंसला : 
        अभी तक मप्र के खेलों में बेटियां बढ़-चढ़ कर हिस्‍सा नहीं लिया करती थी, लेकिन अब बेटियां भी किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। मप्र की बेटी और भोपाल निवासी मेरीकॉम ने तो बॉकसिंग रिंग में एक अलग ही स्‍थान बना लिया है। इसी के साथ ही सरिता तोमर भी मुक्‍केबाज बनकर उभर रही हैं। वहीं दूसरी ओर हॉकी जैसे जोखिम भरे खेल में अब लड़कियों ने आना शुरू कर दिया है। 
भोपाल की शान है, बड़ा तालाब : शाम का खूबसूरत मंजर
       
वाह क्‍या दृश्‍य है
रात्रि का नजारा और खूबसूरत झील

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