बुधवार, 20 जून 2012

सरकारी स्‍कूलों में छात्राएं पहले लगाती है झाडू, फिर रोटियां

      मध्‍यप्रदेश के सरकारी स्‍कूलों की व्‍यवस्‍थाएं किस कदर चरमरा गई है इसके एक नहीं कई उदाहरण मिल जायेंगे। स्‍कूलों में पढ़ने वाली छात्राओं से साफ-सफाई अभी अभी भी कराई जा रही है, न तो स्‍कूल के शिक्षक-शिक्षिकाओं को शर्म आती है और न ही वे सफाई व्‍यवस्‍था के लिए कोई पहल करती हैं। वे तो शान के साथ कुर्सी डालकर बैठ जाती हैं और फरमान जारी कर देती है कि कमरों की सफाई करों और फिर स्‍कूलों में पढ़ने के लिए आई छात्राओं को हाथ में झाडू लेकर सफाई में जुटना पड़ता है। छात्राओं से इतना ही काम नहीं कराया जाता है, बल्कि मध्‍यान्‍ह् भोजन का खाना भी इन छात्राओं से पकवाया जाता है। छात्राएं रोटी बनाती हैं और बर्तन भी साफ करती हैं। इसके बदले में उन्‍हें मिलती है, पतली दाल और कच्‍ची रोटियां। राज्‍य के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इन बच्चियों को अपनी भांजियां मानते हैं और वे मामा होने के नाते भांजियों के लिए हरसंभव मदद के लिए भी तैयार रहते हैं। मामा की पहल पर ही भांजियों को स्‍कूल जाने के लिए साइकिल दिलाई गई, पढ़ने के लिए किताब-कापी उपलब्‍ध करा रहे हैं और पहनने के लिए ड्रेस तक दी जा रही है, इसके बाद भी निचले स्‍तर के सरकारी अधिकारी/कर्मचारी आज भी पुरानी मानसिकता में जीने को विवश हैं। उन्‍हें मुख्‍यमंत्री के आदेशों की कोई परवाह नहीं है। यही वजह है कि स्‍कूलों में बच्चियों से काम कराया जा रहा है, जबकि बच्चियों को पढ़ाकर उनका भविष्‍य संभारने का काम शिक्षकों का है, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं हो रही है। हरदा जिले में तो माध्‍यन्‍ह् भोजन के लिए बच्चियों से खाना पकवाया जा रहा है उससे पहले झाडू लगवाने और टाट-पट्टी बिछवाने का काम भी हो रहा है। ऐसी घटनाएं पहली बार सामने नहीं आई हैं, लेकिन स्‍कूल शिक्षा विभाग इन घटनाओं पर कोई भी कार्यवाही नहीं करता है जिसके कारण सरकार स्‍कूलों के शिक्षक शिक्षिकाएं आज भी छात्राओं से ही ज्‍यादा काम कराते हैं और उन्‍हें मुख्‍यमंत्री के आदेशों की भी कोई परवाह नहीं।

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