जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया उनके स्थलों को चिन्हित करने का काम अब मप्र का पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग ने अपने हाथ में लिया है। इस विभाग का इरादा है कि राज्य में जिन वीर और वीरांगनाओं ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी है उनको याद करने के लिए स्थलों को तलाश किया जाये और उन्हें चिन्हित कर वीर भूमि निर्मित की जाये। मध्यप्रदेश में प्राचीन स्थल कई स्थानों पर मौजूद हैं उनको हम नमन भी करते हैं, लेकिन अभी भी ऐसे वीर सैनिक गायब हैं, जिनके बारे में बहुत सारी जानकारियां नहीं हैं। प्रदेश में सैकड़ों वीर और वीरांगनाएं हुई जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। ऐसे वीर और साहसी लोगों के ग्रह स्थलों एवं आवासों को सहेजने की मंशा से योजना बनाई गई है। प्रदेश में 1857 से पहले के स्मारकों को सहेजने के लिए पुरातत्व विभाग और संस्कृति विभाग मिलकर रणनीति तैयार कर रहा है। निश्चित रूप से यह एक सराहनीय कदम है।
हम भूले शहीदों को :
यह भी कड़वा सच है कि जिन शहीदों ने हमें आजादी दिलाई हम उनके कर्त्तव्य और अधिकारों को तो भूल ही गये हैं, बल्कि उनके स्मारक भी हम भूलते जा रहे हैं। यहां तक कि कई प्राचीन स्मारक स्थल तो अतिक्रमण की भेंट चढ़ गये हैं। इन पुरातात्विक महत्व के स्थलों पर अतिक्रमणकारियों ने हैंडपंप खुदवा लिया है, तो कहीं पार्क बना लिया है, तो कहीं चाय की गुमटी खुल गई है। इन्हें दूर करने के लिए स्थानीय शासन विभाग कोई पहल नहीं कर रहा है। इसी प्रकार पुरातात्विक महत्व के स्थलों से मूर्तियों की चोरियां भी हो रही हैं। विशेषकर बुंदेलखंड इलाकों में चोरी की बारदातें लगातार बढ़ी हैं।
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