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''क्या दिन थे हमारे'' |
मध्यप्रदेश में पहली बार किसी आईपीएस की हत्या ने हर व्यक्ति को चौंका दिया है। मुरैना में अवैध रूप से गिट्टी, पत्थर भरकर ले जा रही ट्रेक्टर ट्रॉली को रोकने के कारण मौत हो गई थी। सीबीआई ने 90 दिन में इस पूरे मामले को हत्या नहीं, बल्कि एक हादसा करार दिया है। 08 मार्च, 2012 को होली के दिन खेले गये इस खून की होली के छींटे खनन माफिया पर नहीं पड़े हैं, बल्कि एक दुर्घटना सीबीआई ने माना है। नरेंद्र कुमार की हत्या के बाद विपक्ष ने इस पूरे मामले को खनन माफिया से जोड़ दिया था। भाजपा सरकार कटघरे में फंस गई थी।
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''आईपीएस नरेंद्र कुमार अपनी पत्नी मधुरानी के साथ'' |
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''पिकनिक का भी भरपूर आनंद लिया'' |
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आनन-फानन में सीबीआई जांच के आदेश दिए। सीबीआई ने भी तीन महीने की जांच में खुलासा कर दिया कि नरेंद्र कुमार की मौत एक हादसा है। नरेंद्र कुमार की पत्नी मधुरानी जो कि स्वयं आईएएस है एवं पिता केशव देव को भी आशंका थी कि नरेंद्र कुमार की खनन माफिया ने हत्या की है। सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ट्रेक्टर-ट्रॉली को रोकने के लिए नरेंद्र उस पर चढ़ गये, तभी ड्राईवर ने उन्हें धक्का दिया, ड्राईवर पर शासकीय कार्य में बाधा और मोटर व्हीकल एक्ट का चार्ज भी लगाया गया। इस पूरे मामले की जांच से यह खुलासा हो गया है कि मुरैना में खनन माफिया तो है, लेकिन उसने किसी आईपीएस की हत्या नहीं की है। अब भाजपा हल्ला मचा रही है कि कांग्रेस को प्रदेश की जनता से मांफी मांगना चाहिए। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने मप्र बंद कराया था और जमकर विधानसभा में भी हल्ला मचाया था। इस घटना से एक बात तो साफ जाहिर हो गई है कि राजनीति जिस तरह से घटनाओं पर होती है उसके कई बार अर्थ दूसरे निकलते हैं, तब तक समय काफी गुजर चुका होता है।
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