''मुख्यमंत्री चौहान से चर्चा करते प्रधानमंत्री के आईटी सलाहकार सेम पित्रौदा'' |
फिलहाल तो मध्यप्रदेश बार-बार बिजली की आंख मिचौली से त्रस्त है। बिजली की सप्लाई बार-बार बाधक बनती है जिसके कारण शहरों और गांवों के विकास के जो सपने हम सब देखते हैं वह सब पूरे नहीं हो पा रहे हैं। मप्र निश्चित रूप से विकास के नये आयाम छूना चाहता है। इसके लिए प्रयासरत भी है। राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान है कि प्रदेश स्वर्णिम राज्य बने इसके लिए वह समय-समय पर सक्रिय भी नजर आते हैं, लेकिन नौकरशाही कहीं न कहीं बाधा बनी है जिसके चलते स्वर्णिम राज्य का सपना एक कदम आगे भी नहीं बढ़ पाया है। अब मुख्यमंत्री ने सूचना प्रौद्योगिकी के पेरोकार और नेशनल नॉलेज कमीशन के चैयरमैंन सेम पित्रौदा के साथ ई-नेटवर्क का जाल राज्य में फैलाने का इरादा बनाया है। सेम पित्रौदा ने भी 07 जून को अपने दौरे के दौरान स्वीकार किया कि राजनीतिक इच्छा शक्ति और नवाचारी प्रयासों से मप्र ई-गवर्नेन्स में आदर्श राज्य बन सकेगा, उनका विश्वास है कि भोपाल विश्व परिदृश्य में आदर्श एनवारनमेंट सिटी और उज्जैन में नॉलेज सिटी भविष्य में बनेगी। धार्मिक नगरी उज्जैन में नॉलेज सिटी को विकसित करने का काम राज्य सरकार लंबे समय से कर रही है। 3500 करोड़ की लागत से करीब 450 हेक्टेयर क्षेत्र में यह नॉलेज सिटी बन रही है, जहां पर 50 हजार विद्यार्थी एक साथ पड़ सकेंगे। इसी स्थान पर विश्व स्तर का कालीदास स्कूल फॉर वर्ल्ड थ्रेटर भी बनाया जायेगा। नॉलेज सिटी में ही धनवंतरी स्कूल खोलने की भी योजना है। इसके साथ ही मप्र की राजधानी भोपाल के निकट विश्व की दो बड़ी धरोहर भीम बैठिका और सांची हैं। यही वजह है कि सेम पित्रौदा ने संकल्प लिया है कि अगले पांच साल में भोपाल को ग्लोबल एनवायर्नमेंट सिटी बनाई जायेगी। इसके साथ ही जगह-जगह इंफार्मेशन कियोस्क बीपीओ, वायरलेस इनेबल्ड सिटी, भोपाल में लाइव साइंस, बायो साइंस, एनवायर्नमेंट फ्रेंडली टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने पर जोर दिया है। सेम पित्रौदा चाहते हैं कि अदालतों में ई-ऑर्डर, ई-सम्मन, ई-लायब्रेरी जैसी व्यवस्थाएं स्थापित हो। इन व्यवस्थाओं से पुलिस, अस्पताल और जेल को भी जोड़ा जाये। ई-गवर्नेन्स के क्षेत्र में भी सेम पित्रौदा ने जोर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायतों को ई-परियोजना से जोड़ने की योजना है। इसके तहत मध्यप्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड कनेक्विटी प्रदान की जायेगी। ई-कोर्ट्स एवं कोर्ट्स ऑफ टूमारो एवं सेंटर फॉर इनोवेशन की स्थापना पर भी विचार किया गया। निश्चित रूप से मप्र में आईटी के क्षेत्र में कई दिशा में काम हो रहे हैं, लेकिन आज भी सरकारी विभागों में उनकी बनी हुई वेबसाइट न तो खोली जाती है और न ही अपडेट होती हैं। यहां तक कि इन वेबसाइटों पर विभागों में होने वाले निर्णयों को भी अपडेट नहीं किया जा रहा है।
''योजनाओं पर मंथन करते सेम पित्रौदा एवं अधिकारीगण'' |
मप्र में सिर्फ जल संसाधन विभाग इकलौता विभाग है जिसकी वेबसाइट हर दिन अपडेट होती है। यहां तक कि मुख्यमंत्री सचिवालय की वेबसाइट भी प्रतिदिन अपडेट नहीं होती होगी। यह सच है कि पिछले पांच वर्षों में आईटी के क्षेत्र में राज्य ने एक कदम आगे बढ़ाया है। तकनीकी शिक्षा विभाग ने तो इंजीनियरिंग के प्रवेश ऑनलाईन कराये हैं। ऐसे कई अन्य काम हो रहे हैं, लेकिन अभी भी संतोष इन कामों पर नहीं किया जा सकता है। बेहतर सोच और नये नजरिएं के साथ हमको मैदान में उतरना होगा, तभी प्रदेश आईटी के क्षेत्र में चमक सकता है।
''जय हो मप्र की''
ई-नेटवर्क का जाल फैलाना चाहते हैं मध्यप्रदेश में सेम पित्रौदा : ''जय हो मप्र की''
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