रविवार, 2 सितंबर 2012

फिर दलित को पीट-पीटकर मार डाला मप्र में


          जहां एक ओर भाजपा सरकार वोट की खातिर बार-बार अपना दलित प्रेम का प्रदर्शन कर रही है, वहीं दूसरी ओर दलित वर्ग के साथ अत्‍याचार और उत्‍पीड़न की घटनाएं सीमाएं तोड़ रही है। आलम यह हो गया है कि दलित वर्ग के एक नौजवान को पीट-पीटकर मौत के घाट सुला दिया जाता है। पुलिस कड़ी कार्यवाही का आश्‍वासन देकर मामले पर पर्दा डालने की कोशिश करती है। इस बार 30 वर्षीय युवक बृजेश अहिरवार को पीट-पीटकर मारने की दो कहानियां पुलिस गड़ रही है। अब कौन सी कहानी सच है यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा पर क्‍या यह प्राकृतिक न्‍याय के खिलाफ नहीं है कि किसी दलित वर्ग युवक को इतना पीटा जाये कि अस्‍पताल में इलाज की नौबत न आये और बीच में ही दम तोड़ दे। उस युवक ने गुनाह बड़ा भले ही किया हो, लेकिन क्‍या किसी को पीट-पीटकर मारने का हक दे दिया है । यह घटना लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज के संसदीय क्षेत्र की है, जो कि अपने आपको दलित हितैषी बताने में कोई कौर-कसर नहीं छोड़ती हैं। मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी प्रिय जिला विदिशा है, जहां से वे वर्षों संसद का प्रतिनिधित्‍व करते रहे हैं। इसके बाद भी दलित युवक के साथ दिल दहला देने वाली घटना हो जाती है। यह सच है कि पुलिस ने टीआई और एसआई को सस्‍पेंड कर दिया है, लेकिन आखिरकार उन कारणों की तफतीश की ही जाना चाहिए कि बार-बार विदिशा जिले में दलित वर्ग के साथ उत्‍पीड़न क्‍यों हो रहा है। 
         परिवारजनों के अनुसार यह घटना 01 सितंबर, 2012 की है, जब 30 वर्षीय बृजेश अहिरवार पर आरोपी मोनू जैन, रवि जैन और गोविंद धाकड़ ने लोहे की राड और डंडों से ऐसा मारा कि वह अधमरा हो गया और उसे घर के बाहर छोड़कर चले गये और परिवार के लोग घायल युवक को लेकर पुलिस कार्यालय पहुंचे तब वहां पर एक विदाई पार्टी चल रही थी। पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, तब तक घायल युवक सड़क पर तड़पता ही रहा। इस मामले में पुलिस एक नई कहानी बता रही है कि बृजेश अहिरवार ने शराब के नशे में गोविंद धाकड़ की चाय की दुकान में घुसने से घायल हो गया। जिस पर परिवारजन एफआईआर दर्ज कराना चाहता था, लेकिन पुलिस ने ध्‍यान नहीं दिया और बृजेश की पुलिस ऑफिस के सामने तड़प-तड़पकर मौत हो गई। बृजेश अहिरवार की पत्‍नी विनीता अहिरवार अपनी दो छोटी बेटियों के साथ अब गुहार कर रही है। पुलिस का यह भी कहना है कि अस्‍पताल ले जाते समय रास्‍ते में ही युवक की मौत हो गई थी, जिसकी पुष्टि डॉक्‍टर बी0एल0आर्य ने कर दी है। इसके बाद तो परिवारजनों ने खूब हंगामा मचाया और वह सड़क पर उतर आये। डीआईजी आशा माथुर का कहना है कि सारे मामले की जांच की जा रही है। पुलिस निश्चित रूप से कहीं न कहीं दोषी है। बड़ा आश्‍चर्य लगता है कि भोपाल से 50 किमी दूर विदिशा जिले में एक दलित युवक को इस तरह से पीटकर मार दिया जाता है और कार्यवाही के नाम पर दो पुलिस कर्मियों पर गाज गिरती है इसके बाद जांच शुरू हो जाती है और फिर चलता है गवाहों के बयानों का दौर। वह दिन कभी नहीं आता है, जब इस बात की खोज की जाये कि आखिरकार किसी भी दलित वर्ग के युवक को ऐसा नहीं पीटा जाये कि वह मौत को ही गले लगा ले। परिवार का इकलौता बारिश था। निश्चित रूप से परिवार पर बड़ा संकट आना स्‍वाभाविक है। राज्‍य सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए‍ कि आखिरकार दलित वर्ग पर उत्‍पीड़न थम क्‍यों नहीं रहा है।

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