मंगलवार, 18 सितंबर 2012

उत्‍सव और खुशियों में डूबा मप्र

           मौसम का राग बदलते ही मप्र की आवो-हवा भी करवट लेने लगी है। झमाझम बारिश के बाद अब उत्‍सव और खुशियों का दौर शुरू हा गया है। सितंबर से नवंबर तक हर तरफ खुशियों के नजारे ही नजारे नजर आने लगे हैं। सितंबर के अंतिम सप्‍ताह में गणेश चतुर्थी से जो उत्‍सव का सिलसिला शुरू होगा तो वह दीप पर्व तक चलेगा। इस दौरान सड़कों पर जश्‍न और झिलमिलाते रंग-बिरंगी रोशनी पूरे माहौल को नया जज्‍वां मिलेगा। निश्चित रूप से मप्र उन बिरले राज्‍यों में शामिल है, जहां पर झणिक तनाव, मतभेद, बाद‍ विवाद और संघर्ष की स्थिति बनती है, लेकिन थोड़े समय बाद राज्‍य फिर अपनी गति से चल पड़ता है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि 01 नवंबर 1956 को जब मप्र की स्‍थापना हुई तब विभिन्‍न राज्‍यों से मिलकर मप्र का निर्माण हुआ है। जिसके फलस्‍वरूप अलग-अलग भाषा, संस्‍कार और परंपराओं ने लोगों को अपने-अपने हिसाब से बांध रखा है। भले ही मप्र को अपने विभाजन की पीड़ा भोगनी पड़ रही है, लेकिन फिर भी राज्‍य में खुशियां और उत्‍सव के मौके लोग तलाशते रहते। यही वजह है कि हमारी सामाजिक परिकल्‍पनाएं और त्‍यौहार हमें बार-बार लोगों के निकट ले जाते हैं और उसमें डूबकर हम एक नई दुनिया बसाने का सपना भी देखते हैं। गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को है। प्रदेशभर जगह-जगह विंघ्‍न विनाशक गणेशजी विराजेगे। राज्‍य के हर हिस्‍से और कौने में गणेश उत्‍सव की झाकियां सज-धज रही है और लोग खुशिया मानने की तैयारी में जुटी हुई है। इससे पहले भगवान कृष्‍ण का जन्‍म भी उसी तनमतया और धूम से मनाया जा चुका है, जिसकी झलक गणेश उत्‍सव में भी खूब नजर आयेगी। चेहरों में खुशी और मन में उत्‍सव का नजारा हर तरफ नजर आ रहा है।

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