फिलहाल तो विधानसभा चुनाव में एक साल का समय बाकी है, लेकिन राजनैतिक दलों ने अपने-अपने दांव-पेंच चलने शुरू कर दिये हैं। इसके चलते कांग्रेस तीन दिन की मंथन बैठक कर चुकी है जिसमें भविष्य की योजनाएं और रणनीति को अंजाम दिया गया। अब भाजपा की भी 11 सितंबर से खंडवा में प्रदेश कार्यसमिति की बैठक हो रही है जिसमें चुनावी एजेंडे पर मोहर लगाई जायेगी साथ ही यह तय किया जायेगा कि किस तरह से चुनाव में तीसरी बार हैट्रिक बनाई जाये।
चुनावी समर इस बार मध्यप्रदेश में दिलचस्प होने वाला है। भाजपा तीसरी बार भगवा रंग फहराने की हरसंभव कोशिश करेगी। इसके लिए भाजपा संगठन ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है, तो सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भी योजनाओं के जरिए लोगों को आकर्षित करने के भरसक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में तीर्थ-दर्शन योजना शुरू की है जिसका एक पड़ाव पूरा हो गया है निश्चित रूप से यह योजना उन बुजुर्गों के लिए एक स्वप्न ही साबित हो रही है, जो कि कभी तीर्थ यात्रा करने का सोच भी नहीं सकते थे, उन्हें सरकार अपने खर्चें से यात्रा करा रही है। अब कांग्रेस को भी इस योजना ने परेशान कर दिया है और वह भी अपने कार्यकर्ताओं से कह रही है कि यात्रा का लाभ लो। इसके साथ ही भाजपा सरकार के खिलाफ विरोधियों ने लामबंद होना शुरू कर दिया है। भाजपा नेता पर्दे के पीछे सरकार के खिलाफ सक्रिय हो गये हैं। मुख्यमंत्री की छवि पर दाग लगाने के षड़यंत्र किये जा रहे हैं। कांग्रेस भी चुप बैठने के मूड में नहीं है। वह भी किसी न किसी बहाने हल्ला मचाना चाहती है। कांग्रेस के लिए भी यह चुनाव अस्तित्व का सवाल है, क्योंकि अगर दूसरी बार कांग्रेस सरकार बनाने में कामयाब नहीं हुई तो उसकी भूमिका भी राज्य में शून्य हो जायेगी, इससे चिंतित होकर कांग्रेस के नेता नये सिरे से रोडमैप बना रहे हैं। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह और प्रदेशाध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने भी अपने-अपने हिसाब से सक्रियता बढ़ाई है। वही केंद्रीय राज्यमंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी मैदान में उतारने के लिए विचार हो रहा है। अब देखना यह है कि कांग्रेस और भाजपा किस तरह से अपने दांव-पेंच चलती है और सरकार लाने के लिए सक्रियता दिखाती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
EXCILENT BLOG