ओंकारेश्वर और इंदिरा सागर बांध से प्रभावित परिवारजन जमीन और पुनर्वास के लिए जल में जंग कर रहे हैं। उनका सत्याग्रह 15 दिन पूरा कर चुका है और आज वे सोलहवें दिन में प्रवेश कर गये हैं। अभी तक सरकार की तरफ से कोई सार्थक पहल नहीं हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के प्रतिनिधि के रूप में उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और विजयशाह ने आंदोलनकारियों के बीच जाकर चर्चाएं की हैं। इसके साथ ही भोपाल में भी आंदोलनकारियों के नेता आलोक अग्रवाल के साथ 08 सितंबर को विस्तार से चर्चा हो चुकी है। मंत्रियों ने आश्वस्त किया है कि 48 घंटे के भीतर समस्या का हल कर दिया जायेगा, लेकिन 24 घंटे गुजर चुके हैं, लेकिन अभी तक समस्या का निदान नहीं हुआ है। इसके साथ ही विवाद गहराता जा रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता अब आक्रमक भाषा का प्रयोग करने लगे हैं। उनकी नेता चितरूपा पालित ने 08 सितंबर को आंदोलन स्थल पर तीखे स्वर में कह दिया कि गुजरात की मोदी सरकार ने जिस तरह से नरसंहार कराया था, उसी तरह प्रदेश में शिवराज सिंह आदिवासियों और किसानों को मार रहे हैं। यह सुनते ही उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भड़क गये और उन्होंने बीच में ही टोकते हुए कहा कि अगर बांध की समस्याओं पर बात करना है, तो कीजिए अन्यथा यह सब नहीं सुनूगां। इससे बहस लंबी खिच गई।
रविवार, 9 सितंबर 2012
जमीन के लिए जल में जंग
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