इन दिनों मप्र में दो बड़ी हस्तियों की बेहद चर्चा हो रही है। फिल्मी दुनिया के महानायक अमिताभ बच्चन की जमीनी खरीदी को लेकर विवादों में हैं, तो श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपक्षे की मप्र यात्रा कठघरे में फंस गयी है। श्री राजपक्षे को मप्र सरकार ने सांची में बौद्व विश्वविद्यालय की भूमिपूजन कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए बुलाया है। यह कार्यक्रम 21 सितंबर, 2012 को होगा। इस पर डीएमके पार्टी के सचिव वायको ने तीखी नाराजगी जाहिर करते हुए यह तक कह दिया है कि अगर श्रीलंका के राष्ट्रपति को सांची में बुलाया गया, तो वह विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनकी नजर में राजपक्षे खून के प्यासे हैं। उनका कहना है कि इन्होंने वर्ष 2009 में एलटीटीई से युद्व के नाम पर मई, 2009 में निर्दोष तमिल बच्चो, महिलाओं और बुजुर्गों सहित 1 लाख 36 हजार तमिल लोगों को मरवा दिया था। वे तो यह तक कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बैठक में यह कह दिया था कि श्रीलंका सरकार के राष्ट्रपति को कभी कोई मदद नहीं की जायेगी। अब मप्र की सरकार ऐसे खून के प्यासे व्यक्ति को भूमिपूजन के लिए आमंत्रित कर रही है, जो कि उचित नहीं है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि श्रीलंका के राष्ट्रपति को कार्यक्रम में आयोजित नहीं किया जाये। यह मेल मुख्यमंत्री सचिवालय पहुंच गया है। इसको लेकर बेहद हड़कंप भोपाल में मचा हुआ है।
महानायक अमिताभ बच्चन भी एक जमीन खरीदी को लेकर भारी विवादों में आ गये हैं। यह जमीन उनकी पत्नी के नाम खरीदी गई थी, जो कि कैचमेंट एरिया की जमीन बताई जा रही है। पांच एकड़ की जमीन की रजिस्ट्री की जांच जिला पंजीयक ने शुरू कर दी है। जांच में यह खुलासा होगा कि कैचमेंट एरिया और ग्रीन बेल्ट जमीन की रजिस्ट्री किस आधार पर की गई है। दिलचस्प यह है कि जिस किसान से जमीन खरीदी गई थी, जब अमिताभ बच्चन ने उसे नोटिस थमाया कि उसने ग्रीनवेल्ट एरिया बताये बिना जमीन क्यों बेची, तो किसान ने अमिताभ बच्चन को जवाब दिया है कि यह तो जमीन खरीदने से पहले क्रेता को खुद देखना चाहिए कि वह कौन से जमीन खरीद रहा है। महानायक की जमीन का विवाद भी दिनोंदिन गहरा रहा है।
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