मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान घोषणाएं करने में बेहद अव्वल हैं। वे हर कार्यक्रम में कोई न कोई ऐसी घोषणा करते हैं जिसको लेकर सरकारी तंत्र के हाथ-पैर फूलने लगते हैं। सीएम की घोषणा पर थोड़े दिन योजनाएं बनती है, फाइले दौड़ती हैं और फिर उन पर विराम लग जाता है। ऐसी एक नहीं अनगिनत घोषणाएं मप्र की फाइलों में तैरती मिल जायेगी। अब मुख्यमंत्री चौहान ने जनता के सहयोग से श्रीलंका में सीता माता का मंदिर बनाने का एलान किया है। दिलचस्प यह है कि मुख्यमंत्री चौहान 21 सितंबर को सांची में सीता माता का मंदिर बनाने का सपना जनता के सामने परोस रहे थे तब राजधानी के बड़े तालाब में साधू-संत जल सत्याग्रह कर रहे थे। उनकी पीड़ा यह है कि मंदिरों को तो सरकार तोड़ रही है और साधू-संतों पर कोई गौर नहीं कर रही है। उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने जाकर साधू-संतों को मनाया, तब वे तालाब से बाहर निकले।
मध्यप्रदेश सरकार इन दिनों धार्मिक पर्वों और तीर्थ स्थल की यात्राएं कराने का कार्यक्रम उत्सव की भांति मना रही है। तीर्थ यात्रियों के जत्थे जहां तहां से रवाना हो रहे हैं। बुजुर्ग भी खुश हैं कि उन्हें सरकार के सहारे यात्रा करने को मिल रही है। यूं भी भाजपा नेता धर्म की पुडि़या के सहारे अपने वोट बैंक को मजबूत करने में लगे रहते हैं। अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का सपना है कि श्रीलंका में सीता माता का मंदिर बनाया जाये। इसके साथ ही श्रीलंका की धार्मिक यात्रा के लिए सब्िसडी और बौद्व गया को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा में शामिल करने का एलान किया गया है। चौहान का कहना है कि श्रीलंका में सीतामाता जिस वाटिका में रही हैं जहां उन्होंने अग्नि परीक्षा दी वहां भव्य मंदिर बनाया जाये। इसके लिए मप्र सरकार धन की कमी नहीं होने देगी। गांव-गांव से करोड़ों रूपया एकत्रित कर श्रीलंका पहुंचाया जायेगा। इससे पहले भाजपा राम मंदिर के लिए करोड़ों का चंद एकत्रित कर चुकी है, लेकिन राम मंदिर आज भी एक दिव्य स्वप्न बनकर रह गया है। दूसरी ओर मप्र के साधू-संत सरकार के कामकाज से बेहद नाराज हैं। अखिल भारतीय संत समिति की प्रदेश इकाई के मुखिया दंडी स्वामी के नेतृत्व में साधू संत 21 सितंबर को बड़े तालाब के पानी में धरने पर बैठ गये। जैसे-तैसे उद्योग मंत्री ने उन्हें मनाया, तब वह पानी से बाहर निकले। साधू संतों का कहना है कि राज्य सरकार अब तक प्रदेश के 1400 मंदिरों को अतिक्रमण और यात्रायात में बाधिक होने के कारण हटा चुकी है इसमें भोपाल के 22 मंदिर शामिल हैं। कई बार कार्यवाही पक्षपात पूर्ण ढंग से की गई है। इससे साफ जाहिर है कि सरकार श्रीलंका में मंदिरों के लिए तो बड़े-बड़े वादे कर रही है, लेकिन दूसरी ओर साधू-संत परेशान हैं।
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