पर्यटन स्थलों के विकास की परिकल्पना बार बार बुनी जा रही है पर उन अमल पर गौर करने की जरूरत न तो राजनेता महसूस करते है और न ही नौकरशाही को आवश्यकता महसूस होती है, हालात यह हो गए है कि आजकल मप्र में पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है पर उन्हें जो सुविधाएं मिलना चाहिए उस दिशा किसी भी स्तर पर गंभीरता नहीं दिखती है, सोमवार यानि 17 सितंबर को मप्र के सीएम शिवराजसिंह चौहान ने राज्य पर्यटन विकास परिषद की बैठक में सुझाव दे दिया है कि नए पर्यटन स्थलों को तलाश किया जाए पर यह सवाल आज भी मॉजू है कि जो पर्यटन स्थल है उन्हें और बेहतर रूप देने पर लगातार मशक्कत क्यों नहीं होती है, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्ताराखंडसहित आदि राज्यों ने पर्यटन को उघोग का दर्जा देकर व्यापक स्तर पर न सिर्फ रोजगार के द्वार खोले है बल्कि आय के स्त्रोत भी विकसित किये है, इस दिशा में मप्र में प्रयास किए गए पर वे सार्थक परिणाम नहीं दे पाए है, इसके बाद भी विचार की प्रक्रिया धीमी रफतार से चल रही है, सीएम का चितिंत होना स्वभाविक है पर उन्हें पर्यटन के विकास और भविष्य को लेकर लगातार बैठकें करना चाहिए, राज्य में पर्यटन स्थलों के प्रति आम पर्यटकों का रूझान है बल्कि धार्मिक पर्यटन के विकसित होने की संभावनाएं प्रबंल है, इसके बाद भी नौकरशाही गहरी नींद में रहती है
पर्यटन को बढावा और चुस्त चाल -
पर्यटन को बढावा देने के सपने तो खूब दिखाए जाते है पर उन्हें जमीन पर उतारने की दिशा में पहल नहीं हो पाती है, अब प्रदेश में पर्यटन को बढावा देने के लिए 10 विशेष जोन बनाए जांएंगे, इको पर्यटन के विकसित करने का सपना तो लंबे समय से देखा जा रहा है, पर बजट के अभाव में कोई काम नहीं हो पा रहे है,जबकि बीते पांच साल में पर्यटकों की संख्या चार गुना बढ गई है, हेरिटेज टूरिज्म को बढावा देने के लिए 24 निजी और राज्य के स्वमित्व वाली सात गढी तथा किला का चुनाव किया गया है, इसके साथ पर्यटकों सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हवाई और रेल मार्गो का विस्तार किया जा रहा है, कितना दुखद है कि राज्य को बने पचास साल हो चुके है पर अभी तक पूरे प्रदेश में हवाई और रेल सेवाएं मुहैया नहीं हो पाई है बडा हल्ला मचने के बाद तो भोपाल मे अंतरांष्टीय विमानतल स्थापित हो पाया है, भोपल के आसपास अंतराष्टीय पर्यटन स्थल है पर उन तक पहुंचने के लिए सार्थक और समय पर पर्यटन सेवाएं भी नहीं है और न ही ठहरने की व्यवस्था हो पा रही है इस दिशा में राजनेताओं के साथ साथ अफसरों को भी अपनी गति को बढाना होगा तभी पर्यटन को सार्थक् रूप मिल पाएगा
पर्यटन को बढावा देने के सपने तो खूब दिखाए जाते है पर उन्हें जमीन पर उतारने की दिशा में पहल नहीं हो पाती है, अब प्रदेश में पर्यटन को बढावा देने के लिए 10 विशेष जोन बनाए जांएंगे, इको पर्यटन के विकसित करने का सपना तो लंबे समय से देखा जा रहा है, पर बजट के अभाव में कोई काम नहीं हो पा रहे है,जबकि बीते पांच साल में पर्यटकों की संख्या चार गुना बढ गई है, हेरिटेज टूरिज्म को बढावा देने के लिए 24 निजी और राज्य के स्वमित्व वाली सात गढी तथा किला का चुनाव किया गया है, इसके साथ पर्यटकों सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हवाई और रेल मार्गो का विस्तार किया जा रहा है, कितना दुखद है कि राज्य को बने पचास साल हो चुके है पर अभी तक पूरे प्रदेश में हवाई और रेल सेवाएं मुहैया नहीं हो पाई है बडा हल्ला मचने के बाद तो भोपाल मे अंतरांष्टीय विमानतल स्थापित हो पाया है, भोपल के आसपास अंतराष्टीय पर्यटन स्थल है पर उन तक पहुंचने के लिए सार्थक और समय पर पर्यटन सेवाएं भी नहीं है और न ही ठहरने की व्यवस्था हो पा रही है इस दिशा में राजनेताओं के साथ साथ अफसरों को भी अपनी गति को बढाना होगा तभी पर्यटन को सार्थक् रूप मिल पाएगा
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